पुलिस की ज्यादती ने ली युवक की जान, बेबस पिता को रोते देखकर पत्रकार भी फूट-फूटकर रोने लगे!

पुलिस की ज्यादती ने ली युवक की जान, बेबस पिता को रोते देखकर पत्रकार भी फूट-फूटकर रोने लगे!

एक तो गरीबी ऊपर से खाकी वर्दी का सितम… ऐसे में एक व्यक्ति ने मौत का रास्ता चुनना ही बेहतर समझा। एक युवक जो केवल 8 हजार रुपये महीने कमाता है, उसमें वो परिवार का पालन-पोषण , देख-रेख करता है, उस पर अगर 13 हजार से भी ज्यादा का जुर्माना ठोंक दिया जाए, तो? वो क्या करेगा? 

जहर खाकर युवक ने दी जान

हरियाणा के करनाल से एक ऐसा सनसनीखेज मामले वाला सामने आया, जिसके बारे में जानेंगे तो आपका भी दिल दहल उठेगा। पुलिस की बेदर्दी का ये हिला देने वाला मामला है। यहां खाकी वर्दी की बेरहमी से परेशान एक युवक ने मौत को गले लगा लिया। उसने जहर खाकर अपनी जान दे दी। 

बाइक चोरी की है…कहकर पुलिस ने की मारपीट

मामला कुछ ऐसा है कि एक निजी फैक्ट्री में काम करने मोहित नाम का एक युवक काम करता था। दोपहर के वक्त वो खाना खाने के लिए जा रहा था कि इसी दौरान बीच में पुलिस ने चेकिंग के लिए उसे रोक दिया। पुलिस ने मोहित से बाइक के पेपर्स देखने के लिए मांगे। जिसके बाद पुलिस ने ये आरोप लगाए कि बाइक चोरी की है और साथ ही युवक के साथ मारपीट भी की। इसके साथ ही पुलिस ने मोहित पर 13 हजार 500 रुपये का जुर्माना भी लगा दिया। पुलिस की मारपीट और बर्ताव से आहत होकर युवक ने जहर खाकर अपनी जान दे दी। 

इस घटना ने मोहित के पूरे परिवार को तोड़कर रख दिया। मृतक के पिता के मुताबिक उनके दो बेटे हैं। एक बेटा शारीरिक रूप से कमजोर है, जिसके चलते पूरा परिवार मोहित पर निर्भर था। अब मोहित की मौत के बाद उसके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। बेबस पिता का रो-रोकर बुरा हाल है। 

पत्रकार भी नहीं रोक पाए अपने आंसू

इस घटना से जुड़ा एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। जिसमें बेबस पिता की हालत देखकर एक पत्रकार भी अपने आंसू रोक नहीं पाता। लाइव रिपोर्टिंग के दौरान ही IBN24 के रिपोर्टर फूट फूटकर रोने लगते हैं। उस वीडियो में पिता भी रोते रोते कहते नजर आ रहे हैं कि मेरे बच्चे के साथ नाइंसाफी हुई हैं। 

वहीं जांच अधिकारी मामले को लेकर एक्शन लेने की बात कहते नजर आ रहे हैं। उनका कहना है कि इसको लेकर सीसीटीवी फुटेज देखी जाएगीं, जो भी पुलिसकर्मी मारपीट करता पाया जाता है, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। 

इस मामले को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। खाकी वर्दी आम जनता की रक्षा के लिए होती है। जब वो ही इतनी बेरहम हो जाए तो आखिर जनता किसके जाए तो कहां जाए? बिना किसी सुनवाई के इतने बड़े बड़े चालान काटना कहां तक जायज है? खाकी की इस बेरहमी ने एक परिवार को पूरी तरह से उजाड़कर रख दिया। आखिर कब तक गरीबों पर पुलिस यूं ही ज्यादती करती रहेगी? कब पुलिस की ये गुंडागर्दी रुकेगी? 

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