कौन था ‘खालिस्तानी’ जनरल लाभ सिंह, जिसने पुलिस की नौकरी छोड़ चुनी थी आतंक की राह

Khalistani General Labh singh
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जरनैल सिंह भिंडरावाले से प्रेरित होकर पंजाब में कई सिखों ने खालिस्तान का रास्ता अपनाया था…भिंडरावाले तो मारा गया लेकिन उसके पीछे उसके अनुयायियों ने खालिस्तान को लेकर कई संगठन बना लिए…पंजाब को अशांत करने के मंसूबे उनके दिलो दिमाग में घर कर गए थे…भिंडरावाले से प्रभावित होकर आतंक की दुनिया में आने वाला एक ऐसा ही खालिस्तानी था जनरल लाभ सिंह..जो भारत की कई बड़ी बैंक डकैतियों का मास्टरमाइंड भी था. आज के लेख में हम आपको खालिस्तानी जनरल लाभ सिंह के बारे में बताएंगे, जो पुलिस की नौकरी छोड़कर भिंडरावाले के पीछे चल पड़ा था लेकिन इसका हश्र भी भिंडरावाले की तरह ही हुआ.

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कौन था ‘जनरल लाभ सिंह’?

जनरल लाभ सिंह का असल नाम ‘सुखदेव सिंह’ उर्फ ‘सुक्खा सिपाही’ था। लाभ सिंह का जन्म अमृतसर की पट्टी तहसील में हुआ था। वह बचपन से ही पुलिस में भर्ती होना चाहता था और अपनी लगन के चलते 1971 में वह पंजाब पुलिस में शामिल हो गया। नौकरी के बाद उसने देविंदर कौर नाम की लड़की से शादी की। वह अपनी शादीशुदा जिंदगी में काफी खुश था। वहीं, 70 के दशक में पूरा पंजाब खालिस्तानी अलगाववाद की आग में जल रहा था, जिसके चलते सुखदेव के दिल में भी खालिस्तान को लेकर भावनाएं उमड़ने लगीं। इसके बाद 1983 में उसने अपनी पुरानी पहचान और पुलिस की नौकरी छोड़ दी और खालिस्तानी आंदोलन में शामिल हो गया।

पुलिस कर्मचारी से बना हत्यारा

लाभ सिंह ने खलिस्तानी संगठन संग हाथ मिला लिया था. वहीं ‘हिंद समाचार’ समाचार पत्र के एडिटर रमेश चंदेर ने उस दौर में भिंडरावाले के ख़िलाफ़ कई एडिटोरियल्स लिखे थे। वह अपने एडिटोरियल्स में उसे पंजाब में फैले आतंक का कारण बताते थे, जिसके बाद 1984 में भिंडरावाले के कट्टरपंथीयों ने रमेश चंदेर की गोली मारकर हत्या कर दी। इस हत्या की ज़िम्मेदारी सिख मिलिटेंट ग्रुप ‘देशमेश रेजिमेंट’ ने ली। हत्या करने वालों में ‘लाभ सिंह’ भी शामिल था। इस हत्या के अलावा लाभ सिंह कई आतंकी घटनाओं में शामिल रहा।  इसी बीच, ऑपरेशन ‘ब्लू-स्टार’ के दौरान स्वर्ण मंदिर में भिंडरावाले मारा गया, उस समय लाभ सिंह भी उसके समर्थकों के बीच मौजूद था और उसे हिरासत में लिया गया था।

पुलिस की कैद से भाग निकला लाभ सिंह

लाभ सिंह ने रमेश चंदेर की हत्या और अन्य अपराधों के लिए दो साल जेल में काटें। 25 अप्रैल 1986 को पुलिस उसे जालंधर जिला अदालत में पेशी के लिए ले जा रही थी, इसी दौरान आतंकी संगठन के कमांडर ‘मनबीर सिंह छहेरू’ और उसके साथियों ने पुलिस पर हमला कर दिया। लाभ सिंह और उसके दो साथियों को भागने की कोशिश की और इन आतंकवादियों ने छह पुलिस अधिकारियों की हत्या कर दी और भाग गए। इस त्रासदी ने पंजाब सहित पूरे देश को हिलाकर रख दिया।

बैंक डकैती में जनरल लाभ सिंह का हाथ

पुलिस हिरासत से भागने के बाद ‘लाभ सिंह’ खालिस्तान कमांडो फोर्स (KCF) में शामिल हो गया। इसके बाद लाभ सिंह ने KCF की कमान संभाली और ‘जनरल लाभ सिंह’ बन गया। इसके बाद, 12 फ़रवरी, 1987 को ख़ालिस्तान कमांडो फ़ोर्स के सदस्य पुलिसकर्मी के भेष में पंजाब नेशनल बैंक की लुधियाना स्थित मिलर गंज ब्रांच में घुसते हैं और गार्ड को अपनी गिरफ़्त में ले लेते हैं। इसके बाद इन आतंकियों ने बैंक कर्मचारियों और अन्य लोगों को डराया-धमकाया और बिना गोली चलाए बैंक से करीब 6 करोड़ रुपये लेकर भाग गए।

इस डकैती का मास्टरमाइंड ‘जनरल लाभ सिंह’ था। इस डकैती का मकसद खालिस्तान कमांडो फोर्स के लिए पैसे जुटाना और एके-47 जैसे हथियार खरीदना था। इसके बाद जनरल लाभ सिंह ने अपनी राह में कांटा बनकर खड़े पंजाब के डीजीपी जूलियो फ्रांसिस रिबेरो को मारने की योजना बनाई। हालांकि उसकी ये योजना विफल रही। 12 जुलाई, 1988: यह वही तारीख है जब खालिस्तान कमांडो फोर्स के प्रमुख जनरल लाभ सिंह पुलिस मुठभेड़ में मारा गया। और इस तरह पुलिस अधिकारी से खालिस्तानी समर्थक बने लाभ सिंह की कहानी का अंत हो गया।

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