नई दिल्ली : पंजाब नेशनल बैंक में धोखाधड़ी करने के मामले में मुख्य आरोपियों में से एक मेहुल चोकसी पर शिकंजा कसता जा रहा है। दरअसल, मेहुल चोकसी देश से भाग कर एंटीगुआ में छुपा हुआ है और उसे वापस लाने के लिए भारत सरकार लगातार एंटीगुआ सरकार से बातचीत कर रही है। इस मामले में एंटीगुआ सरकार भी भारत को पूरी तरह से मदद कर रही है।
भारत सरकार मेहुल चोकसी पर शिकंजा कसने के लिए एक-एक कदम आगे बढ़ रहा है। एंटीगुआ इसके लिए भारत और एंटीगुआ ने प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर कर दिया है। जिसके बाद मेहुल चोकसी को देश वापस लाना आसान हो गया है। इस हस्ताक्षर के बाद मेहुल चोकसी को कानूनी प्रक्रिया के द्वारा भारत लाने में आसानी होगी।
इस संधि के बारे में भारत सरकार का कहना है कि प्रत्यर्पण संधि 1962 के प्रावधान एंटीगा ऐंड बरबुडा पर भी लागू होंगे लेकिन पहले ऐसा नहीं था। पहले एंटीगुआ की तरफ से कहा गया था कि दोनों देश राष्ट्रमंडल के सदस्य है इस वजह से उसके कानून में चोकसी के प्रत्यर्पण की उम्मीद खुद-ब-खुद बन जाती है। एंटीगुआ ने कहा था कि दोनों देशों के बीच भले ही प्रत्यर्पण संधि न हो लेकिन राष्ट्रमंडल के सदस्य होने के नाते इस बारे में सोचा जा सकता है।
आपको बता दें कि इस मामले को लेकर केंद्र सरकार को लेकर विपक्ष हमेशा से हमलावर रहा है। अब इस संधि के हस्ताक्षर के बाद सरकार को थोड़ी राहत मिली है। इस हस्ताक्षर संधि को मोदी सरकार की कामयाबी मानी जा रही है।
आपको बता दें कि पिछली बार एंटीगुआ की तरप से बयान जारी किया गया था कि चोकसी के नागरिकता आवेदन को रोकने के लिए भारत की तरफ से कोई आपत्ति नहीं जतायी गयी थी और ना ही भारत के संबंधित अधिकारियों की तरफ से इस बारे में रोक लगाने की बात कही गयी थी। तभी चोकसी को साल 2017 में एंटीगुआ की नागरिकता दी गयी। आपको बता दें कि चोकसी ने 2018 के जनवरी में एंटीगुआ की नागरिकता हासिल की और निष्ठा की शपथ ली थी।