Amit Malviya Fake News: सोशल मीडिया पर भ्रामक जानकारी फैलाने के मामले में एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय घिर गए हैं। इस बार उन्होंने एक वीडियो शेयर किया जिसमें कुछ लोग खुद को कोड़ों से मारते नजर आ रहे हैं। इस वीडियो को पोस्ट करते हुए उन्होंने दावा किया कि “कर्नाटक के दलित आज जंतर मंतर (दिल्ली) में इकट्ठा हुए हैं और कांग्रेस को वोट देने की गलती पर खुद को सजा दे रहे हैं।” जैसे ही ये विडिओ सोशल मीडिया पर वाइरल हुआ लोगों ने अमित मालवीय की पोल खोल दी।
क्या था वीडियो में? Amit Malviya Fake News
सबसे पहले विडिओ की बात करते हैं, तो वीडियो में कुछ लोग पारंपरिक पोशाकों में नजर आ रहे हैं और वे अपने शरीर पर चाबुक मारते दिखाई देते हैं। इसे देखकर कोई भी समझ सकता है कि यह कोई धार्मिक अनुष्ठान है। लेकिन मालवीय ने इसे कांग्रेस विरोधी प्रदर्शन के तौर पर पेश किया, जिससे सोशल मीडिया पर हंगामा मच गया।
Dalits from Karnataka have gathered at Jantar Mantar (Delhi) today, flogging themselves in protest over the mistake of voting for Congress. pic.twitter.com/E5IxAnouG6
— Amit Malviya (@amitmalviya) October 2, 2025
लोगों ने बताया झूठा दावा
मालवीय का यह ट्वीट तुरंत वायरल हुआ, लेकिन इसके साथ ही उनका झूठ भी सामने आ गया। एक यूजर ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा:
“अमित मालवीय से झूठा पूरे सोशल मीडिया पर कोई नहीं मिलेगा। झूठ का ऑस्कर सिर्फ इन्हें या इनके साहेब को ही मिलेगा। कर्नाटक के दलित अपने गांव में भगवान की पूजा कर रहे हैं और ये सिरफिरा झूठा इसे कांग्रेस के ख़िलाफ़ दिल्ली में प्रदर्शन बता रहा है।”
अमित मालवीय से झूठा पूरे सोशल मीडिया पर कोई नहीं मिलेगा झूठ का ऑस्कर सिर्फ इसे या इसके साहेब को ही मिलेगा!
कर्नाटक के दलित अपने गाँव में भगवान की पूजा कर रहे हैं और खुश है और ये सिरफिरा झूठा इसे कांग्रेस के ख़िलाफ़ दिल्ली में प्रदर्शन बता रहा है।@x क्या इस झूठी पोस्ट और अमित… https://t.co/YGUb1f6xup pic.twitter.com/6iGPmB7VQ0— Surendra Rajput (@ssrajputINC) October 3, 2025
वहीं एक अन्य यूजर ने ट्वीट किया:
“मालपुआ बीएसडी वाला न तो भारत के बारे में जानता है और न ही भारतीय संस्कृतियों के बारे में। फर्जी खबरों का फव्वारा फिर से आ गया है। यह कर्नाटक के कोडम्बल गाँव का धेगु मेगु अनुसूचित जाति समुदाय है। वे देवी मरियम्मा की पूजा करते हैं, नाचते हैं और जीविका चलाने के लिए कोड़े मारते हैं।”
Malpua Bsd wala neither knows about India nor Indian cultures.
Fountain of Fake News is back spreading fake propaganda again.It’s Dhegu Megu SC community of Kodambal village in Karnataka. They worship Goddess Mariyamma, dance and whip themselves to earn a living.… pic.twitter.com/bMDdmE5qJx
— D (@Deb_livnletliv) October 2, 2025
जैसे ही ये बातें स्पष्ट होती हैं, पोस्ट के नीचे खुद लिखा है कि ये गलत है, और पोस्टर ने खुलासा किया है:
“यह कर्नाटक के कोडम्बल गांव का धेगु मेगु एससी समुदाय है। ये मरियम्मा देवी की पूजा करते हैं, नाचते हैं और चाबुक मारते हैं – राजनीति या कांग्रेस से इसे कुछ लेना-देना नहीं है।”
असलियत क्या है?
सच तो यह है कि यह वीडियो कर्नाटक के कोडम्बल गाँव का है। वहाँ के धेगु मेगु अनुसूचित जाति समुदाय के लोग हर साल माता मरियम्मन की पूजा करते हैं, पारंपरिक नृत्य करते हैं और खुद को कोड़े मारते हैं। यह पूजा उनकी आस्था और संस्कृति का हिस्सा है और इसका राजनीति या कांग्रेस पार्टी से कोई लेना-देना नहीं है।
मालवीय की भ्रामक जानकारी कोई नई बात नहीं
अमित मालवीय का नाम पहले भी कई बार गलत और भ्रामक जानकारी फैलाने के मामलों में सामने आ चुका है। वह कई बार विपक्ष, सामाजिक संगठनों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ झूठे दावे कर चुके हैं। चूंकि वे भाजपा के आईटी सेल के मुखिया हैं, इसलिए उनके ट्वीट्स को पार्टी समर्थक बड़े पैमाने पर साझा करते हैं, जिससे झूठी बातें सच जैसी दिखने लगती हैं।
चलिए ऐसे ही कुछ मामलों पर एक नजर डालते हैं:
1. सीएए प्रदर्शनकारियों पर झूठा आरोप
घंटाघर, लखनऊ में ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे?
Since this is a season of pulling out old videos, here is one from Lucknow where anti-CAA protestors can be seen raising ‘Pakistan Zindabad’ slogans… Damn! Someone needs to have a samvaad with them and ask them to carry tricolour and Bapu’s picture for the cameras next time… pic.twitter.com/Lvg7sj2G9Z
— Amit Malviya (@amitmalviya) December 28, 2019
साल 2019, 28 दिसंबर को मालवीय ने एक वीडियो शेयर किया था जिसमें उन्होंने दावा किया कि सीएए का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारी “पाकिस्तान जिंदाबाद” के नारे लगा रहे हैं। लेकिन ऑल्ट न्यूज़ की फैक्ट चेकिंग में सामने आया कि वास्तव में नारा था: “काशिफ साहब जिंदाबाद”, जो AIMIM के नेता काशिफ अहमद के लिए था। यह सरासर फर्जी जानकारी थी।
2. एएमयू के छात्रों के खिलाफ भ्रामक वीडियो
क्या छात्रों ने कहा था “हिंदुओं की कब्र खुदेगी”?
साल 2019, 16 दिसंबर को मालवीय ने एक और वीडियो शेयर किया जिसमें कहा गया कि एएमयू के छात्र हिंदुओं के खिलाफ नारे लगा रहे हैं। लेकिन हकीकत ये थी कि छात्र हिंदुत्व की राजनीति, ब्राह्मणवाद और जातिवाद के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। उन्होंने कहा, “हिंदुत्व की कब्र खुदेगी, एएमयू की छाती पर, सावरकर की कब्र खुदेगी, एएमयू की छाती पर।”
AMU students are chanting ‘हिंदुओ की कब्र खुदेगी, AMU की धरती पर…’
Chaps at Jamia want ‘हिंदुओं से आज़ादी…’
If this is the mindset that pervades in these ‘minority’ institutions, imagine the plight of Hindus and other minorities in Pakistan, Bangladesh and Afghanistan… pic.twitter.com/VRNeOyhaHY
— Amit Malviya (@amitmalviya) December 15, 2019
3. राहुल गांधी की “आलू से सोना” मशीन
कटे-छंटे वीडियो से फैलाई गलतफहमी
नवंबर 2017 में मालवीय ने राहुल गांधी का एक वीडियो पोस्ट किया जिसमें वे कहते नजर आ रहे हैं कि “ऐसी मशीन लगाऊंगा, इस साइड से आलू घुसेगा, उस साइड से सोना निकलेगा।” यह वीडियो बहुत वायरल हुआ और राहुल गांधी की खूब खिल्ली उड़ाई गई।
People are sending this to me and asking in disbelief if he actually said this.. Of course he did! pic.twitter.com/rgdTf26ARv
— Amit Malviya (@amitmalviya) November 15, 2017
जबकि पूरा वीडियो देखने पर साफ होता है कि राहुल दरअसल प्रधानमंत्री मोदी पर तंज कस रहे थे और कह रहे थे कि यह बयान खुद मोदी ने आलू किसानों से किया था। यानी मालवीय ने जानबूझकर वीडियो को एडिट कर उसे भ्रामक तरीके से पेश किया।
4. कुंभ मेले में मोदी को बताया ‘पहले राज्य प्रमुख’
एक और तथ्यात्मक गलती
2019 में नरेंद्र मोदी जब प्रयागराज के कुंभ में स्नान करने गए तो मालवीय ने ट्वीट किया कि “मोदी पहले राज्य प्रमुख हैं जो कुंभ आए हैं”। जबकि सच्चाई यह है कि राज्य प्रमुख राष्ट्रपति होता है, न कि प्रधानमंत्री। भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद कुंभ मेले में हिस्सा ले चुके हैं। यहाँ तक कि जवाहरलाल नेहरू भी प्रधानमंत्री रहते हुए कुंभ गए थे। यानी मालवीय का दावा एक बार फिर गलत निकला।
भाजपा की रणनीति या सिर्फ एक ‘गलती’?
अब सवाल ये उठता है कि बार-बार ऐसी गलत जानकारियों को फैलाना एक व्यक्ति की गलती है या एक सोची-समझी रणनीति? जब कोई नेता इतने बड़े पद पर होता है और उसके पास सोशल मीडिया पर लाखों की फॉलोइंग होती है, तो उसकी कही गई हर बात का असर होता है। जब वह जानबूझकर भ्रामक वीडियो या खबरें पोस्ट करता है, तो समाज में नफरत, भ्रम और विभाजन को बढ़ावा मिलता है।
यह सिर्फ राजनीतिक स्टंट नहीं, बल्कि लोकतंत्र और सामाजिक सद्भाव के लिए खतरनाक हो सकता है।
अमित मालवीय का ताज़ा ट्वीट एक बार फिर यही साबित करता है कि राजनीतिक फायदे के लिए धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक पहलुओं को तोड़-मरोड़ कर पेश करना अब आम होता जा रहा है। लोकतंत्र की सेहत के लिए जरूरी है कि ऐसे झूठे दावों पर सवाल पूछे जाएं, जांच हो और जवाबदेही तय हो।
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