Anant Singh Arrested: बिहार की सियासत एक बार फिर उबाल पर है। मोकामा के बाहुबली और पांच बार के विधायक अनंत सिंह की गिरफ्तारी ने विधानसभा चुनाव 2025 से ठीक पहले राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है। सवाल अब यही है कि क्या उनकी गिरफ्तारी के बाद उनका नामांकन रद्द हो जाएगा, या फिर वे जेल से ही चुनावी मैदान में उतर पाएंगे? जवाब कानून की उन्हीं धाराओं में छिपा है जो किसी उम्मीदवार की पात्रता तय करती हैं।
चुनावी माहौल में मोकामा फिर चर्चा में- Anant Singh Arrested
बिहार में 6 नवंबर को पहले चरण का मतदान होना है और सभी राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों को लेकर तैयारी में जुटे हैं। इस बीच मोकामा सीट सुर्खियों में आ गई है क्योंकि दुलारचंद यादव हत्या कांड में अनंत सिंह की गिरफ्तारी ने पूरे चुनावी माहौल को बदल कर रख दिया है। पुलिस का कहना है कि अनंत सिंह घटनास्थल पर मौजूद थे, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया। यह मामला न सिर्फ कानूनी बल्कि राजनीतिक रूप से भी बेहद अहम बन गया है, क्योंकि अनंत सिंह इस बार जेडीयू के टिकट पर चुनावी मैदान में थे।
क्या जेल में रहकर चुनाव लड़ सकते हैं?
अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या अनंत सिंह जेल में रहते हुए चुनाव लड़ पाएंगे? इसके लिए हमें देखना होगा जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 (Representation of the People Act – RPA) को, जो भारत में चुनाव लड़ने की योग्यता और अयोग्यता तय करता है।
इस कानून की धारा कहती है कि अगर किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है, लेकिन उस पर अदालत ने अभी तक सजा नहीं सुनाई है, तो वह चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य नहीं माना जाएगा। यानी अगर मामला विचाराधीन है और अदालत का फैसला नहीं आया है, तो उम्मीदवार जेल में रहते हुए भी नामांकन दाखिल कर सकता है। ऐसे में सिर्फ गिरफ्तारी के आधार पर उसका नामांकन रद्द नहीं किया जा सकता।
कब नहीं मिलती चुनाव लड़ने की अनुमति
हालांकि, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8(3) में यह भी साफ कहा गया है कि अगर किसी व्यक्ति को दो साल या उससे ज्यादा की सजा सुनाई जाती है, तो वह चुनाव नहीं लड़ सकता। और यह अयोग्यता सजा पूरी होने के बाद भी कुछ समय तक बनी रहती है।
अनंत सिंह के मामले में अब तक अदालत ने कोई सजा नहीं सुनाई है, केवल गिरफ्तारी हुई है। इसलिए कानूनी रूप से वे चुनाव लड़ने से वंचित नहीं हैं। लेकिन यह भी सच है कि मामला गंभीर आरोपों से जुड़ा है, और अदालत के फैसले या चुनाव आयोग के किसी विशेष निर्देश पर आगे की स्थिति बदल सकती है।
कानूनी और राजनीतिक असर
कानूनी तौर पर अनंत सिंह का नामांकन रद्द नहीं होगा, लेकिन राजनीतिक रूप से यह गिरफ्तारी उनके लिए बड़ी चुनौती है। एक तरफ मोकामा में उनकी मजबूत पकड़ है, वहीं विरोधी दल इस घटना को मुद्दा बनाकर हमला बोल रहे हैं।
जेडीयू के लिए भी यह स्थिति असहज है, क्योंकि पार्टी पहले ही “साफ छवि” की राजनीति पर जोर दे रही थी।
नतीजा क्या होगा?
फिलहाल साफ है कि जब तक अदालत कोई सजा नहीं सुनाती, अनंत सिंह चुनाव लड़ सकते हैं, चाहे वे जेल में ही क्यों न हों। लेकिन अगर अदालत में मामला तेजी से आगे बढ़ा और दोष सिद्ध हुआ, तो उनकी उम्मीदवारी रद्द भी हो सकती है।
