Bihar Election 2025: बिहार में विधानसभा चुनाव की तैयारियां तेज हो चुकी हैं और इस बीच राजद (राष्ट्रीय जनता दल) में बड़ा उलटफेर देखने को मिला है। सोमवार की शाम, जब पार्टी द्वारा कुछ नेताओं को चुनावी चिन्ह (सिंबल) जारी किया गया था, तो उसी रात उन्हें यह चिन्ह वापस करने के लिए कह दिया गया। यह घटनाक्रम तब हुआ जब पार्टी प्रमुख लालू प्रसाद यादव के बेटे और राजद के नेता तेजस्वी यादव दिल्ली से लौटे थे।
ये है मामला- Bihar Election 2025
रिपोर्ट्स के मुताबिक, सोमवार शाम जिन नेताओं को चुनाव चिन्ह जारी किए गए थे, रात होते-होते उन्हें फिर से फोन कर के वापस बुला लिया गया और कहा गया कि वे यह चिन्ह लौटा दें। हालांकि, पार्टी की ओर से यह स्पष्ट नहीं किया गया कि अचानक यह फैसला क्यों लिया गया। कुछ नेताओं का कहना था कि जिन तस्वीरों को सोशल मीडिया पर वायरल किया जा रहा था, उनमें दिखाए गए चिन्ह असल में सिर्फ एआई द्वारा तैयार किए गए थे और किसी को भी वास्तविक चुनावी चिन्ह नहीं दिया गया था।
इस घटनाक्रम के बाद, राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के पटना स्थित आवास पर भारी हलचल मच गई। दिल्ली से लौटने के बाद, उनके आवास के बाहर टिकट के लिए इंतजार कर रहे नेताओं और कार्यकर्ताओं की भीड़ जुट गई। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, पार्टी के कुछ नेताओं को अंदर बुलाया गया और वे पीले लिफाफों के साथ बाहर निकले, जिससे इस बात की संभावना जताई जा रही है कि ये लिफाफे पार्टी की टिकट वितरण प्रक्रिया से जुड़ी जानकारी दे रहे थे।
सीट बंटवारे पर भी उलझनें जारी
यह घटनाक्रम ऐसे समय पर हुआ है, जब बिहार में महागठबंधन और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे को लेकर विवाद खुलकर सामने आ चुका है। अब तक, महागठबंधन में सीटों के बंटवारे पर कोई औपचारिक सहमति नहीं बन पाई है। बताया जा रहा है कि लालू प्रसाद यादव नहीं चाहते कि कांग्रेस 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में 54 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़े, जबकि कांग्रेस इस समय मुख्यमंत्री पद के चेहरे पर भी कोई स्पष्ट फैसला नहीं कर पाई है।
वहीं, दूसरी ओर, सत्तारूढ़ एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) ने रविवार (12 अक्टूबर) को अपनी सीट बंटवारे की घोषणा कर दी है। इसके तहत, जेडी(यू) और भाजपा 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी, जबकि बाकी सीटें छोटे सहयोगियों के लिए छोड़ दी गई हैं।
राजद के रणनीतिक बदलाव
हाल ही में जदयू छोड़ने वाले सुनील सिंह (परबत्ता) और मटिहानी से कई बार विधायक रहे नरेंद्र कुमार सिंह उर्फ बोगो समेत कुछ प्रमुख नेताओं को राजद का चुनाव चिन्ह सौंपा गया था। यह कदम तेजस्वी यादव की एक रणनीति के तहत उठाया गया था, जिसके तहत वे भूमिहार समुदाय के एक महत्वपूर्ण हिस्से को राजद के साथ जोड़ने की कोशिश कर रहे थे। भूमिहार समुदाय पारंपरिक रूप से भाजपा और एनडीए का समर्थक माना जाता है, और राजद इस समुदाय को अपने पाले में लाने की दिशा में काम कर रहा है।
राजद के कई मौजूदा विधायक भी इस घटनाक्रम का हिस्सा बने और वे लालू प्रसाद यादव के आवास से पार्टी का चुनाव चिन्ह लेकर बाहर निकले। इनमें प्रमुख नाम ‘भाई वीरेंद्र’, चंद्रशेखर यादव (मधेपुरा), और इसराइल मंसूरी (कांटी) जैसे नेता शामिल हैं।