Bihar Chunav 2025: बिहार में विधानसभा चुनाव की आहट के साथ ही सियासत गरमा गई है, और अब महागठबंधन ने एक ऐसा दांव चला है, जिससे मुकाबला रोचक हो गया है। इस बार RJD और कांग्रेस समेत पूरे विपक्षी गठबंधन ने सत्ता में आने पर तीन उपमुख्यमंत्री बनाने की रणनीति सामने रखी है। खास बात ये है कि ये तीनों उपमुख्यमंत्री अलग-अलग सामाजिक वर्गों दलित, मुस्लिम और अति पिछड़ा (EBC) से होंगे।
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RJD प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रवीण सिंह कुशवाहा ने इस योजना की पुष्टि करते हुए बताया कि तेजस्वी यादव के नेतृत्व में गठबंधन सामाजिक न्याय को एक नया रूप देना चाहता है। तेजस्वी खुद एक पिछड़े वर्ग से आते हैं और इस बार NDA के नीतीश कुमार से सीधा मुकाबला करेंगे। NDA की ओर से भी पहले से ही दो डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी (ओबीसी) और विजय सिन्हा (भूमिहार) पद पर काबिज हैं।
सीटों का फॉर्मूला और साझेदारों की भूमिका- Bihar Chunav 2025
महागठबंधन के संभावित सीट बंटवारे की बात करें तो RJD को करीब 125 सीटें दी जा सकती हैं, जो कि 2020 में मिली 144 सीटों से कुछ कम है। कांग्रेस 50-55 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और वाम दलों को 25 के आसपास सीटें मिलने की उम्मीद है। बाकी बची सीटें VIP, LJP (पारस गुट) और झारखंड मुक्ति मोर्चा जैसे सहयोगियों के हिस्से जाएंगी।
वीआईपी पार्टी के प्रवक्ता देव ज्योति ने दावा किया है कि अगर गठबंधन सत्ता में आता है, तो मुकेश सहनी उपमुख्यमंत्रियों में से एक होंगे। उन्होंने इसे तेजस्वी यादव की “सोच से आगे की राजनीति” बताया।
सामाजिक समीकरण साधने की रणनीति
तेजस्वी यादव के इस कदम को ‘यादव-मुखी राजनीति’ की छवि से बाहर निकलने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। विश्लेषक इसे उनकी रणनीतिक परिपक्वता बता रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषक धीरेन्द्र कुमार का मानना है कि यह न केवल दलित, अल्पसंख्यक और EBC वर्ग को प्रतिनिधित्व देने का प्रयास है, बल्कि वंशवाद के आरोपों को भी हल्का करता है। इससे तेजस्वी यादव खुद को सिर्फ ‘यादव वोट बैंक’ तक सीमित नहीं रखना चाहते।
कांग्रेस की तरफ से भी इस रणनीति को राहुल गांधी की समावेशी सोच के तहत देखा जा रहा है। कांग्रेस नेता प्रवीण सिंह कुशवाहा ने कहा, “यह केवल एक चुनावी दांव नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय को नए सिरे से परिभाषित करने की कोशिश है।”
विरोधियों का तंज और सवाल
जहां महागठबंधन इस रणनीति को नया सामाजिक समीकरण बता रहा है, वहीं विरोधी दल इसे “फर्जी वादों का पुलिंदा” बता रहे हैं। उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक मोर्चा के राम पुकार शर्मा ने इस घोषणा को “कल्पना में बना महल” बताया और दावा किया कि महागठबंधन इस बार तीन अंकों तक भी नहीं पहुंचेगा। जन सुराज पार्टी के अनिल कुमार सिंह ने भी इसे “VIP नेता मुकेश सहनी को गठबंधन में बनाए रखने की एक सस्ती कोशिश” कहा।
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