Bihar Election Helicopter Campaign: बिहार के चुनावी मौसम में इस बार एक अलग ही तस्वीर देखने को मिल रही है। आसमान में गूंजते हेलीकॉप्टरों की आवाज और पटना हवाई अड्डे से उड़ते चार्टर्ड विमान, यह सब एक ऐसे चुनावी माहौल का हिस्सा थे, जिसमें राजनीति की एक नई परिभाषा लिखी जा रही है। पिछले कुछ हफ्तों में बिहार के विभिन्न इलाकों में जो हवाई प्रचार हुआ, उसने राजनीति, खर्च और रणनीति के लिहाज से एक नया रिकॉर्ड बना दिया।
हेलीकॉप्टरों का असाधारण चुनावी अभियान- Bihar Election Helicopter Campaign
बिहार के राजनीतिक इतिहास में इस बार का प्रचार अभूतपूर्व था। दूसरे चरण के प्रचार के खत्म होने तक करीब 450 से अधिक हेलीकॉप्टर उड़ानें भरी गईं। यह संख्या न केवल बिहार के चुनावी इतिहास में सबसे ज्यादा थी, बल्कि एक नई रणनीतिक दिशा का भी संकेत देती है। चुनावी प्रचार में इतनी बड़ी संख्या में हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल पहले कभी नहीं किया गया था।
रविवार शाम जैसे ही प्रचार की समय सीमा समाप्त हुई, आसमान में गूंजते हेलीकॉप्टरों की आवाज थम गई, लेकिन चुनाव प्रचार का जो असर था, वह लंबे समय तक बिहार की राजनीति पर छाया रहेगा। यह प्रचार केवल एक अभियान नहीं था, बल्कि एक ऐसे राजनीतिक युद्ध का हिस्सा था, जिसका खर्च करोड़ों रुपये में था। इस बार के चुनाव में 20 जिलों की 122 सीटों के लिए प्रचार किया जा रहा था, और इसे करने के लिए रोजाना लगभग 25 हेलीकॉप्टर और 12 चार्टर्ड विमान पटना हवाई अड्डे से उड़ान भरते थे।
खर्च और किराए का आसमान छूता आंकड़ा
यह चुनाव सिर्फ ज़मीन पर नहीं, बल्कि हवा में भी लाखों-करोड़ों के दांव पर खेला जा रहा था। हेलीकॉप्टरों और चार्टर्ड फ्लाइट्स का किराया भी आसमान छू रहा था। चार्टर्ड जेट का किराया 4 लाख से 9 लाख रुपये प्रति घंटा था, जबकि एक सिंगल-इंजन हेलीकॉप्टर का किराया लगभग 1.5 लाख रुपये प्रति घंटा था। वहीं, ट्विन-इंजन हेलीकॉप्टर के लिए यह आंकड़ा 2.5 लाख रुपये से लेकर 4 लाख रुपये तक पहुंच जाता था।
इन आंकड़ों से साफ है कि इस चुनाव में नेता न केवल ज़मीन पर रैलियां कर रहे थे, बल्कि हवा में भी करोड़ों रुपये खर्च हो रहे थे। पटना हवाई अड्डे से रोज़ाना 4-5 चार्टर्ड विमान नेताओं को लेकर आते थे और फिर वे हेलीकॉप्टर से विभिन्न जिलों में रैलियां करने निकल जाते थे। इस पूरे हवाई अभियान की लागत करोड़ों रुपये तक पहुंचने का अनुमान है।
राजनीतिक रणनीतियों की जंग
हेलीकॉप्टरों और विमानों का यह प्रचार अभियान कुछ नेताओं की रणनीति का हिस्सा था। उदाहरण के लिए, राजद के नेता तेजस्वी यादव ने प्रचार के आखिरी दिन ही अरवल, रोहतास और जहानाबाद में 16 रैलियां कीं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी दोनों चरणों में कुल 84 रैलियों को संबोधित किया, जिनमें से 73 रैलियां उन्होंने हेलीकॉप्टर से कीं। यह तेज प्रचार इस बात का संकेत है कि इस बार दांव बहुत ऊंचा था और नेताओं को सीमित समय में ज़्यादा से ज़्यादा क्षेत्रों में पहुंचने की आवश्यकता थी।
जनता और नेताओं के बीच की खाई
जहां एक ओर बड़े नेता हेलीकॉप्टर से रैलियों में जा रहे थे, वहीं दूसरी ओर जन सुराज जैसे नेताओं ने पैदल चलकर गांव-गांव जाकर प्रचार किया। यह दो अलग-अलग राजनीतिक सोच को दर्शाता है – एक तरफ महंगी, चमकदार और हवाई प्रचार की रणनीति, तो दूसरी तरफ सच्चाई और जनता के बीच की सीधी जुड़ाव वाली सरल रणनीति। यह फर्क इस बात को सामने लाता है कि क्या चुनावी खर्च में कमी लाने के लिए सख्त नियम बनाए जाने चाहिए, ताकि लोकतंत्र में संतुलन बना रहे।
मतदाताओं की अहमियत
इस चुनाव में कुल 3.7 करोड़ से ज्यादा मतदाता अपने मत का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसमें 1,302 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें 136 महिलाएं भी शामिल हैं। प्रमुख हस्तियों जैसे कि भाजपा की श्रेयसी सिंह और जदयू की मंत्री लेसी सिंह ने इस चुनाव में अपनी किस्मत आजमाई है। यह आंकड़े इस चुनाव की गहराई और विविधता को दर्शाते हैं।
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