Bihar Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का बिगुल बज चुका है और पहले चरण के लिए नामांकन की अंतिम तारीख शुक्रवार को है। माहौल गरमा गया है और राजनीतिक दलों ने अपने-अपने मजबूत प्रत्याशियों को मैदान में उतार दिया है। इस बीच राज्य की सबसे चर्चित सीटों में से एक राघोपुर एक बार फिर सुर्खियों में है। वजह साफ है राजद नेता तेजस्वी यादव ने गुरुवार को यहां से अपना नामांकन दाखिल कर दिया है।
वैशाली जिले की यह विधानसभा सीट लालू प्रसाद यादव के परिवार की पारंपरिक सीट मानी जाती है। यहां 1995 से अब तक लालू परिवार का दबदबा रहा है। लेकिन इस बार मुकाबला पहले जैसा आसान नहीं लग रहा। विपक्ष की तरफ से एक बार फिर भाजपा प्रत्याशी सतीश कुमार यादव मैदान में हैं, जो इस सीट को लेकर लंबे समय से एक्टिव हैं और इसे तेजस्वी यादव के लिए एकतरफा लड़ाई नहीं बनने देने की पूरी कोशिश में जुटे हैं।
राघोपुर का इतिहास: कभी गढ़, कभी चुनौती- Bihar Elections 2025
1995 में लालू यादव ने जनता दल के टिकट पर पहली बार राघोपुर से विधानसभा की सीट जीती थी। इसके बाद कुछ साल राजगीर यादव इस सीट से विधायक रहे, लेकिन 2000 में लालू यादव ने फिर वापसी की। फिर 2005 में दो बार हुए चुनावों में राबड़ी देवी यहां से विजयी हुईं।
लेकिन 2010 में तस्वीर बदल गई। नीतीश कुमार के सुशासन की छवि और भाजपा-जेडीयू गठबंधन की ताकत के बीच राबड़ी देवी इस सीट से सतीश कुमार यादव के हाथों करीब 13 हजार वोटों से हार गईं।
तेजस्वी की एंट्री और लगातार दो जीत
2015 में पहली बार तेजस्वी यादव ने राघोपुर से चुनाव लड़ा और 22 हजार वोटों से जीत दर्ज की। उस वक्त राजद और जेडीयू का गठबंधन था। वहीं सतीश कुमार इस दौरान भाजपा में शामिल हो चुके थे। 2020 के चुनाव में भी मुकाबला इन्हीं दो के बीच हुआ, लेकिन इस बार अंतर और ज्यादा बढ़ गया। तेजस्वी को जहां करीब 97 हजार वोट मिले, वहीं सतीश यादव 60 हजार पर ही रुक गए। एलजेपी के उम्मीदवार राकेश रौशन को भी यहां 25 हजार वोट मिले थे, जिससे साफ था कि अगर विपक्षी वोट एकजुट हो जाएं, तो मुकाबला करीबी बन सकता है।
2025 में विपक्ष एकजुट, लड़ाई होगी कांटे की?
इस बार चुनावी समीकरण पहले से अलग हैं। भाजपा, जेडीयू और लोजपा (रामविलास)—तीनों दल मिलकर तेजस्वी यादव के खिलाफ मोर्चा बना चुके हैं। ऐसे में सतीश कुमार यादव को फिर से मौका दिया गया है। अनुभव और स्थानीय पकड़ के दम पर वह इस चुनाव को रोमांचक बना सकते हैं।
यादव वोट बैंक पर पकड़ की असलियत?
राघोपुर सीट यादव बहुल है—करीब 32% यादव वोटर। राजद इस आधार पर यहां खुद को मजबूत मानती है, लेकिन पिछले चुनावों ने दिखाया है कि ये वोट बैंक पूरी तरह राजद के पक्ष में नहीं जाता। खासकर तब, जब विपक्ष एकजुट हो जाए।
नतीजा क्या होगा?
फिलहाल इतना साफ है कि राघोपुर की लड़ाई केवल ‘पारंपरिक सीट’ बनाम ‘विपक्षी गठबंधन’ की नहीं, बल्कि एक पुराने अनुभव और युवा चेहरे की भी है। सतीश यादव का स्थानीय नेटवर्क और भाजपा-जेडीयू का समर्थन तेजस्वी के लिए मुश्किलें बढ़ा सकता है। तेजस्वी यादव को इस बार ज्यादा मेहनत करनी होगी, क्योंकि मैदान में चुनौती कमजोर नहीं, बल्कि बार-बार टक्कर देने वाला चेहरा है।