Bihar Politics: तेजस्वी यादव की अपील: “हर नाम जुड़वाना है, लोकतंत्र बचाना है” – वोटर लिस्ट को लेकर विपक्षी दल हुए सक्रिय

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Bihar Politics: बिहार की सियासत में इन दिनों मतदाता सूची को लेकर हलचल तेज़ हो गई है। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता तेजस्वी यादव ने कार्यकर्ताओं के नाम एक वीडियो संदेश जारी कर बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। उन्होंने पार्टी नेताओं और बूथ लेवल वर्कर्स से अपील की है कि 1 सितंबर तक चल रहे वोटर लिस्ट के दावे-आपत्ति प्रक्रिया में पूरी ताकत झोंक दी जाए, ताकि जिन मतदाताओं के नाम काटे गए हैं, उन्हें फिर से जोड़ा जा सके।

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तेजस्वी इस वक्त वोटर अधिकार यात्रा पर निकले हुए हैं। इस अभियान में उनके साथ कांग्रेस के राहुल गांधी, सीपीआई-एमएल के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य, वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी समेत महागठबंधन के अन्य नेता भी जुड़ चुके हैं। तेजस्वी ने साफ कहा है कि ये सिर्फ चुनावी प्रक्रिया नहीं, बल्कि लोकतंत्र और संविधान को बचाने की लड़ाई है।

सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद बढ़ी हलचल- Bihar Politics

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर नाम कटने के मामले पर सुनवाई के दौरान सख्ती दिखाई थी। अदालत ने यह सवाल भी उठाया कि जब देशभर में राजनीतिक दलों के पास 1.60 लाख से ज़्यादा बूथ लेवल एजेंट (BLA) हैं, तो ये लोग अब तक क्या कर रहे थे? कोर्ट ने साफ कहा कि इन्हें मतदाताओं की मदद के लिए लगाया गया है, सिर्फ कागज़ों में नाम दर्ज कर देने से बात नहीं बनेगी।

तेजस्वी की वीडियो अपील में क्या कहा गया?

वीडियो संदेश में तेजस्वी ने कहा, “जो नाम काटे गए हैं, उनको जोड़ने की प्रक्रिया में सभी कार्यकर्ता जुट जाएं। किसी गरीब या नए वोटर का नाम छूटे नहीं। ये चुनाव आयोग की तरफ से की जा रही साजिश है। हम सबको मिलकर इस बेईमानी का जवाब देना है। खासकर युवाओं के नाम जोड़वाने में कोई कमी ना रह जाए।”

उन्होंने यह भी कहा कि “जहां वोटर अधिकार यात्रा हो चुकी है, वहां पूरी ताकत से काम में लग जाइए। और जहां यात्रा होनी है, वहां एक दिन का वक्त निकालकर तैयार रहिए। वोटर लिस्ट की गड़बड़ियों को ठीक कराना अब आपकी जिम्मेदारी है।”

सुप्रीम कोर्ट से एक राहत की खबर

सुप्रीम कोर्ट ने विपक्षी दलों को थोड़ी राहत भी दी है। कोर्ट के आदेश के बाद अब चुनाव आयोग अपने 11 निर्धारित दस्तावेजों के साथ आधार कार्ड को भी पहचान प्रमाण के तौर पर मान्य कर रहा है। इसका मतलब ये है कि अब आम लोगों के लिए दावा और आपत्ति दाखिल करना थोड़ा आसान हो गया है।

अब तक की स्थिति क्या है?

चुनाव आयोग की जानकारी के मुताबिक, 1 सितंबर तक आपत्ति और दावा दाखिल करने की प्रक्रिया चलेगी। लेकिन सोमवार सुबह 10 बजे तक केवल 10 आपत्तियां और दावे ही राजनीतिक दलों की ओर से आए हैं और वो भी सिर्फ सीपीआई-एमएल की तरफ से। बाकी किसी पार्टी ने अब तक कोई आधिकारिक दावा या आपत्ति दाखिल नहीं की है।

हालांकि, सभी बड़ी पार्टियों ने अपने-अपने बीएलए ज़रूर नियुक्त किए हैं। भाजपा ने 53,338, राजद ने 47,506, जेडीयू ने 36,550, कांग्रेस ने 17,549, सीपीआई-एमएल ने 1,496, जबकि सीपीएम ने 899 बूथ लेवल एजेंट लगाए हैं।

नए वोटरों का उत्साह

इस बीच एक अच्छी खबर ये भी है कि 3,79,692 नए वोटरों ने अपना नाम वोटर लिस्ट में जुड़वाने के लिए आवेदन किया है, जबकि 1,40,931 लोगों ने सीधे आपत्ति और दावा दाखिल किया है। आयोग ने कहा है कि 1 सितंबर तक सभी आपत्तियों का निपटारा करके 30 सितंबर को फाइनल वोटर लिस्ट जारी कर दी जाएगी।

अब आगे क्या?

तेजस्वी यादव की अपील के बाद राजद और अन्य विपक्षी दलों में थोड़ी हलचल तो दिख रही है, लेकिन ज़मीनी स्तर पर कितना असर पड़ेगा, ये आने वाले हफ्तों में साफ होगा। अभी वक्त है,1 सितंबर तक हर कार्यकर्ता को अपने-अपने बूथ पर सक्रिय होना होगा, तभी उन वोटरों का हक़ वापस मिल सकेगा जिनका नाम बिना वजह लिस्ट से हटा दिया गया।

राजनीति में चुनावी रणनीति से बड़ा कोई हथियार नहीं होता – और इस बार लड़ाई सिर्फ वोट के लिए नहीं, वोटर के हक़ के लिए भी है।

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