BJP MLA Balmukund Acharya: जयपुर के हवामहल क्षेत्र से बीजेपी विधायक बाबा बालमुकुंद आचार्य का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिससे विवाद खड़ा हो गया है। इस वीडियो में बालमुकुंद आचार्य रामगंज पुलिस थाने के अंदर थानेदार की कुर्सी पर बैठकर पुलिस अधिकारियों को निर्देश देते नजर आ रहे हैं। इसके अलावा, वह नगर निगम के अधिकारियों को भी फोन पर डांट-फटकार लगाते हुए दिखाई दे रहे हैं।
वीडियो ने मचाया बवाल- BJP MLA Balmukund Acharya
वीडियो में बालमुकुंद आचार्य थानेदार की कुर्सी पर बैठकर न केवल पुलिस अधिकारियों की क्लास ले रहे हैं, बल्कि उनके सामने बैठे अन्य थानेदारों को भी सख्त लहजे में डांटते हुए सुनाई दे रहे हैं। वह नगर निगम के अधिकारियों से भी फोन पर बात करते हुए उन्हें हड़काते हैं और कहते हैं, “माथा फोड़ देंगे ध्यान रखना, महाराज कहते हो मुझे।” यह दृश्य काफी चौंकाने वाला था, और देखने वाले इस पर हैरान रह गए। वीडियो के सामने आने के बाद भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी भी हैरान हो गए और उन्होंने यह पूछा कि क्या वह शिकायत विधायक को करें या फिर थानेदार को?
कांग्रेस ने किया विधायक पर हमला
इस वीडियो को लेकर कांग्रेस नेताओं ने बालमुकुंद आचार्य को आड़े हाथों लिया है। कांग्रेस के नेता और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने इस पर तंज कसते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट किया। उन्होंने लिखा, “कानून बनाने वाले अब कानून चलाने का शौक पाल बैठे हैं। जिन्हें जनता ने नीति निर्माण के लिए चुना था, वह आज सत्ता के नशे में संविधान और कानून की गरिमा भूल बैठे हैं। हवामहल की जनता हैरान है, ये माननीय विधायक हैं या थानेदार?” इस टिप्पणी के साथ कांग्रेस ने विधायक की इस हरकत पर गंभीर सवाल उठाए हैं और कहा है कि कानून का पालन करना उनका कर्तव्य है, न कि उसे उल्लंघन करना।
रामगंज पुलिस थाने की घटना
यह पूरा मामला रामगंज पुलिस थाने का है, जहां 13 जुलाई को श्रावण माह के दौरान जयपुर शहर से निकलने वाली कावड़ यात्राओं की सुरक्षा को लेकर बैठक का आयोजन किया गया था। बैठक में कांवड़ियों की सुरक्षा, यातायात व्यवस्था, वाहनों की पार्किंग और यात्रा के दौरान मीट की दुकानों को बंद कराने पर चर्चा हो रही थी। इसी बैठक के दौरान बालमुकुंद आचार्य थानेदार की कुर्सी पर बैठ गए और अपनी बातों को पूरी तरह से रौब के साथ रखने लगे।
विधायक की रौब वाली भूमिका और प्रशासनिक लहजा
वीडियो में विधायक को थानेदारों से कहते हुए सुना जा सकता है कि घटनाओं पर कार्रवाई ठीक से नहीं होती और हर 6 महीने में शांति के नाम पर बैठकें की जाती हैं। इस तरह का व्यवहार और रुख अधिकारियों के प्रति उनकी अवहेलना और सत्ता के नशे का प्रतीक माना जा सकता है, जिससे प्रशासन के प्रति जनता का विश्वास कमजोर हो सकता है।