Supriya Shrinet: हाल ही में कांग्रेस की तेज़-तर्रार प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत भीमसेना द्वारा आयोजित इंटरव्यू में नज़र आईं। जहां पत्रकार साधना भारती ने उनसे तीखे और बिना लाग-लपेट वाले सवाल पूछे — मुद्दा था राजनीति का, कांग्रेस की विचारधारा का और मौजूदा सत्ता की रणनीतियों का। लेकिन इस बातचीत में जो हिस्सा सबसे ज़्यादा चर्चा में रहा, वो था बिहार की राजनीति और ‘वोट चोरी’ का मुद्दा। यह बातचीत तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हुई, क्योंकि साधना के सवाल तीखे थे और सुप्रिया के जवाब भी उतने ही जबरदस्त। आईए आपको विस्तार से बताते हैं बिहार राजनीति पर सुप्रिया श्रीनेत की विचारधारा।
इंटरव्यू के दौरान साधना ने कहा, “मोदी जी के चेहरे के एक्सप्रेशन बदलते देखे हैं, अब बिहार का चुनाव है — बस कांग्रेस वोट चोरी पकड़ने की बात करती है, लेकिन कैसे गद्दी छोड़ेगी?” इस तरह की चुनौतीपूर्ण टिप्पणी पर सुप्रिया ने कांग्रेस की ओर से अपना पक्ष रखा और जनता के बीच जागरूकता बढ़ाने की अहमियत पर जोर दिया।
“यह मुहिम राहुल गांधी ने क्यों शुरू की?”
साधना की टिप्पणी पर सुप्रिया ने कहा कि राहुल गांधी ने यह मुहिम इसलिए उठाई है क्योंकि जनता को सच दिखाना ज़रूरी है। उन्होंने कहा, “संस्थाओं का काम है चुनाव निष्पक्ष कराना, लेकिन जब नाम डिलीट किए जा रहे हों, वोटर लिस्ट में बदलाव हो रहा हो तब ऑपरेशन ‘वोट चोरी’ को रोका जाना चाहिए।” उन्होंने आरोप लगाया कि ज्ञानेश कुमार जैसे अधिकारियों ने वोटर लिस्ट में गड़बड़ी की, नाम डिलीट किए व सॉफ्टवेयर से बदलाव किए गए।
सुप्रिया ने कहा कि लोक (जनता) ही लोकतंत्र को बचा सकती है, और नेता जनता को जागरूक करने का काम करते हैं। उनका मानना है कि कांग्रेस इस चुनाव में मुद्दों को लेकर लोगों के बीच जाएगी, न कि सिर्फ आरोपों पर टिकेगी।
वोटर हक़ यात्रा और वोटर लिस्ट में कटौती| Supriya Shrinet
सुप्रिया ने बताया कि इस मुहिम में एक बहुत बड़ा सवाल बन गया है—इलेक्शन कमीशन ने बिहार में 65 लाख नाम काटे, बिना किसी ठोस कारण बताए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कारण सार्वजनिक करने की बात सामने आई थी, लेकिन आयोग ने आधार को मानने से इनकार किया। वह कहती हैं कि बिहार में वोट चोरी अब मुद्दा बन चुका है, और जनता को यह जानने का हक़ है कि किस तरह चुनाव परिणाम को प्रभावित किया जा रहा है।
इतना ही नहीं, सुप्रिया श्रीनेतने ने न सिर्फ वोट चोरी मुद्दे पर तीखी टिप्पणी की, बल्कि बिहार की जमीनी समस्याओं जैसे बेरोजगारी, महंगाई, आर्थिक असमानता, पलायन और भ्रष्टाचार को भी मुख्य एजेंडा बताया।
“20 साल से एक ही मुख्यमंत्री — अब अचानक बड़े वादे?”
साधना भारती के सवालों के बीच, सुप्रिया ने यह सवाल उठाया कि जब पिछले 20 सालों से एक ही व्यक्ति बिहार का मुख्यमंत्री रहा है, तो अब उसको कौन सा “मुहूर्त” मिल गया है? उन्होंने कहा:
“अब वो कह रहा है कि मैं आऊंगा तो ये कर दूंगा। 20 साल में क्यों नहीं किया? किस चीज का इंतजार करते थे?”
मुद्दों का दायरा: सिर्फ चुनाव आयोग नहीं, आम जिंदगी की जद्दोजहद
सुप्रिया ने यह भी रेखांकित किया कि बिहार की जनता सिर्फ वोटर लिस्ट और कमीशन की बातें नहीं सुनना चाहती वे बेरोजगारी, महंगाई, भ्रष्टाचार और पलायन जैसी जिंदगी की लड़ाइयां लड़ती रही हैं। उन्होंने कहा:
“बिहार का युवा अब बदलाव की चाह बना चुका है… लोगों को 10 जगह भटकना पड़ता है काम की तलाश में, ज़मीन की तलाश में।”
उनका यह कहना था कि वोटर अधिकार यात्रा ने जनता में एक नई लहर जगाई है और कांग्रेस इस लहर को मुद्दों के भरोसे चुनाव मैदान में उतारेगी।
मोदी सरकार और विपक्षी चिंताएं
सुप्रिया ने यह भी कहा कि मोदी जी और बीजेपी को यह बदलाव कम अखर रहा है:
“इसे सुनकर और सोचकर मोदी जी और उनकी पार्टी परेशान हो गई है।”
उनका दावा था कि बीजेपी केवल वोट बचाने की राजनीति करती है, लेकिन कांग्रेस वोटरों की उम्मीदों पर चुनाव लड़ेगी।
तेजस्वी यादव: मुख्यमंत्री चेहरे के नाम पर क्या सोचती हैं
इसी बीच जब साधना ने पूछा कि तेजस्वी यादव को लोग काफी पसंद कर रहे हैं, क्या वे कांग्रेस के लिए मुख्यमंत्री चेहरा बन सकते हैं? सुप्रिया ने इस पर स्पष्ट कहा कि वे बिहार की वोटर नहीं हैं और राज्य की कांग्रेस की नेतृत्व भूमिका तय करना उनका काम नहीं। हालांकि उन्होंने माना कि तेजस्वी यादव लोकप्रिय हैं और उपमुख्यमंत्री भी रह चुके हैं, इसीलिए उन्हें पूरी तरह नकारा नहीं जा सकता।
राहुल गांधी बनेगें प्रधानमंत्री?
इतना ही नहीं, सुप्रिया ने माना कि राहुल गांधी देश के प्रधानमंत्री बनेंगे। उन्होंने कहा, “बिल्कुल, 110%, और वह (राहुल गांधी) प्रधानमंत्री बनेंगे। और मुझे लगता है कि इस देश को राहुल गांधी जैसे प्रधानमंत्री की ज़रूरत है। ऐसा व्यक्ति जो सिर्फ़ बातें ही न करे, बल्कि अपनी बात पर अमल भी करे।”
राजनीति की जंग या जमीनी बात?
साधना के सवालों और सुप्रिया की प्रतिक्रियाओं ने यह साफ कर दिया है कि इस चुनाव में केवल जात‑पात, विकास या योजनाएँ ही नहीं लड़ाई का हिस्सा होंगे। मुद्दे होंगे वोट डालने का अधिकार, लोकतंत्र की रक्षा, और नाम-लॉक लिस्टों की पारदर्शिता। कांग्रेस इस बार लड़ने की रणनीति उन लोगों की आवाज़ बनने की है, जिनकी आस्था लोकतंत्र में है।