Gujarat News: गुजरात के नवसारी जिले के तालोद गांव के नए सरपंच नील देसाई की कहानी किसी प्रेरणा से कम नहीं है। नील देसाई वह नाम हैं जिन्होंने कभी 12वीं की परीक्षा में 26 बार हार का सामना किया, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और न केवल ऑर्गेनिक केमिस्ट्री में डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की, बल्कि पंचायत चुनाव में 80% वोटों से जीत हासिल कर सरपंच बन गए। उनकी कहानी यह साबित करती है कि संघर्ष और लगातार कोशिश करने से बड़ी कोई योग्यता नहीं होती।
12वीं की परीक्षा में 26 बार फेल- Gujarat News
नील देसाई की यात्रा 1989 में शुरू हुई थी, जब उन्होंने 10वीं की परीक्षा पास की और इंजीनियर बनने का सपना देखा। इसके बाद उन्होंने साइंस स्ट्रीम में 12वीं की परीक्षा दी, लेकिन वह 1991 में फेल हो गए। इसके बाद उन्होंने लगातार कोशिश की, लेकिन हर बार उन्हें असफलता का सामना करना पड़ा। 26 बार 12वीं की परीक्षा में फेल होने के बाद भी उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी और अपनी पढ़ाई जारी रखी।
डिप्लोमा से डिग्री तक
12वीं में बार-बार फेल होने के बावजूद नील ने हार नहीं मानी। उन्होंने 10वीं के बाद इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया और 1996 में उसे पूरा किया। इसके बाद, नौकरी करते हुए और अपना बिजनेस संभालते हुए, नील ने 12वीं की परीक्षा देना जारी रखा। 2005 में, जब राज्य सरकार ने डिप्लोमा वालों को डिग्री कोर्स करने की अनुमति दी, तो नील ने इस मौके का फायदा उठाया और वीएस पटेल कॉलेज से केमिस्ट्री में BSc और MSc की डिग्री हासिल की। फिर 2018 में, उन्होंने उका-तरसाडिया यूनिवर्सिटी से ऑर्गेनिक केमिस्ट्री में PhD की डिग्री प्राप्त की, जिसमें उन्होंने स्टील के क्षरण को रोकने के लिए ग्रीन इनहिबिटर पर रिसर्च किया।
समाज सेवा और पर्यावरण में योगदान
नील देसाई का समाज सेवा में भी अहम योगदान रहा है। वह पिछले 30 सालों से पर्यावरण बचाने के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने ‘हरियाली ग्रुप’ नाम से एक संस्था बनाई है, जिसके तहत उन्होंने सात मियावाकी जंगल बनाए हैं। इस तकनीक से कम जगह में बहुत सारे पेड़ लगाए जाते हैं। नील ने गुजरात के वांगम गांव में 150 साल पुराने एक कुएं को ठीक किया है और अब वह 20 और कुओं को ठीक करने की योजना बना रहे हैं।
पंचायत चुनाव में जीत
नील देसाई की सच्ची ताकत उनके कार्यों में है, जो उन्होंने बिना किसी राजनीतिक बैकग्राउंड के किए। तालोद गांव के 7,000 लोगों में से 5,300 लोग वोट देने के लिए रजिस्टर्ड थे। 3,633 वोटों में से 2,907 वोट उन्हें मिले, और इस तरह नील ने 80% वोटों से सरपंच का पद जीता। गांववालों ने उनकी डिग्री नहीं, बल्कि उनके काम को देखा और उन पर विश्वास जताया।
गांव को मॉडल बनाना
अब, सरपंच के रूप में नील देसाई का उद्देश्य तालोद गांव को एक मॉडल गांव बनाना है। इसके लिए उन्होंने ‘5-S’ एजेंडा तैयार किया है: स्वच्छता, स्वास्थ्य, शिक्षण, सलिल (पानी), और शिस्त (अनुशासन)। नील देसाई अब 12वीं की परीक्षा फिर से देंगे और यह साबित करेंगे कि अगर मन में सच्ची इच्छा हो, तो किसी भी मुश्किल को पार किया जा सकता है।
गांववालों के लिए 12वीं की परीक्षा पास करेंगे
नील देसाई का कहना है, “मैंने कभी हार नहीं मानी। जब मैं फेल हुआ, तब भी मैंने कोशिश करना जारी रखा। अब जब मेरे गांव ने मुझ पर इतना भरोसा दिखाया है, तो मैं 12वीं पास करके उनके विश्वास का सम्मान करना चाहता हूं।” वे लोगों को यह संदेश देना चाहते हैं कि कभी भी उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए, चाहे रास्ता कितना भी कठिन हो।