Hemant Soren JMM News: क्या झारखंड में होने वाला है बड़ा उलटफेर? सोरेन-भाजपा समीकरण ने बढ़ाई हलचल

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Hemant Soren JMM News: बिहार चुनाव खत्म होते ही राजनीतिक हलचल अब झारखंड में शिफ्ट हो गई है। यहां सियासी महकमे में हलचल इतनी तेज है कि रांची से लेकर दिल्ली तक सिर्फ एक सवाल गूंज रहा है कि क्या हेमंत सोरेन भाजपा के साथ हाथ मिला सकते हैं? क्या जेएमएम-एनडीए गठबंधन बनने की जमीन तैयार हो रही है? और क्या झारखंड में मौजूदा सरकार खतरे में है?

दरअसल, पिछले कुछ दिनों में जो घटनाएं एक के बाद एक सामने आई हैं, उन्होंने इन अटकलों को और मजबूत किया है। हेमंत सोरेन का पत्नी कल्पना सोरेन के साथ अचानक दिल्ली पहुंचना, राज्यपाल संतोष गंगवार की अमित शाह से मुलाकात और बिहार चुनाव में महागठबंधन की करारी हार ये सब सिर्फ संयोग नहीं माने जा रहे। सियासत में टाइमिंग अक्सर कहानी बयान करती है, और इस बार भी ऐसा होता दिख रहा है।

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कैसे शुरू हुई गठबंधन की अटकलें? Hemant Soren JMM News

झारखंड की 81 विधानसभा सीटों में फिलहाल हेमंत सोरेन की जेएमएम सरकार कांग्रेस, राजद और वाम दलों के साथ सत्ता में है। इनके पास कुल 56 विधायकों का समर्थन है। लेकिन पिछले कुछ महीनों से इस गठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा।

इसी बीच कई ऐसी घटनाएं हुईं जिससे जेएमएम भाजपा की संभावित नजदीकियों पर सवाल उठने लगे:

हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन का दिल्ली दौरा

सूत्रों का दावा है कि दिल्ली में हेमंत सोरेन की भाजपा नेतृत्व से ‘चर्चा’ हुई है। हालांकि यह आधिकारिक तौर पर कभी स्वीकार नहीं किया गया।

राज्यपाल का अमित शाह से मिलना

मंगलवार को झारखंड के राज्यपाल संतोष गंगवार ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। राज्यपाल और गृह मंत्री की मुलाकात का राजनीतिक मतलब निकालना कोई नई बात नहीं। लेकिन इस समय होना इसे और ज्यादा चर्चा में ले आया।

बिहार चुनाव के बाद IND गठबंधन में बढ़ती दरारें

बिहार में महागठबंधन की हार ने इंडीया गठबंधन को पहले से कमजोर बना दिया। इसके बाद झारखंड में भी पार्टनर्स के बीच रिश्तों में खटास बढ़ गई।

हेमंत सोरेन की कानूनी मुश्किलें

हेमंत सोरेन जमीन घोटाला मामले में जेल जा चुके हैं और अभी जमानत पर बाहर हैं। माना जा रहा है कि इन परिस्थितियों में भाजपा के साथ समीकरण उनके लिए फायदे का सौदा बन सकता है।

अगर जेएमएम-भाजपा साथ आए तो क्या बदलेगा?

गठबंधन का नया संभावित गणित कुछ ऐसा बन सकता है:

  • जेएमएम: 34
  • भाजपा: 21
  • एलजेपीआर: 1
  • एजेएसयू: 1
  • जेडीयू: 1

कुल = 58 विधायक

यह आंकड़ा मौजूदा 56 वाले इंडीया गठबंधन से अधिक है। यानी अगर जेएमएम ने पाला बदला तो सरकार गिराना और नई सरकार बनाना दोनों संभव हैं। यही वजह है कि सियासी गलियारों में यह चर्चा इतनी गर्म है।

तो आखिर इंडीया गठबंधन में दरार क्यों पड़ी?

इस कहानी की शुरुआत बिहार चुनाव से होती है। बिहार विधानसभा चुनाव में जेएमएम ने महागठबंधन से 7 सीटों की मांग रखी थी। हेमंत सोरेन चाहते थे कि ये सीटें जेएमएम के चुनाव चिन्ह पर लड़ी जाएं, लेकिन तेजस्वी यादव ने यह मांग ठुकरा दी। जेएमएम चकाई, धमदाहा, कटोरिया, पिरपैंती, मनीहारी, जमुई और बॉर्डर एरिया की एक और सीट चाहती थी। जब मांग नहीं मानी गई तो जेएमएम ने बिहार गठबंधन से किनारा कर लिया। इसके बाद जेएमएम महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने साफ कहा कि झारखंड गठबंधन की भी समीक्षा की जाएगी, क्योंकि बार-बार विश्वासघात हुआ है। यही वह वक्त था जब झारखंड गठबंधन में ‘खटास’ पैदा हुई।

सरकार के भीतर बढ़ती नाराज़गी

सूत्र बताते हैं कि पिछले कुछ समय से झारखंड कैबिनेट की बैठकों में भी हेमंत सोरेन और कांग्रेस व राजद मंत्रियों के बीच बातचीत बहुत कम होती है। कई बार एक ही कैबिनेट हॉल में बैठने के बाद भी बातचीत नहीं होती। कई महत्वपूर्ण सरकारी कार्यक्रम या कैंसल हुए या फिर हेमंत सोरेन उनसे दूरी बनाते दिखे।

मोराबादी मैदान में नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम में कांग्रेस और राजद की झलक तक नहीं दिखी इसने अंदरूनी तनाव को और बढ़ा दिया। दुमका के कार्यक्रम में भी राजद और कांग्रेस के मंत्री नदारद रहे। इन घटनाओं ने यह संकेत दे दिया कि गठबंधन सिर्फ “कागज़” पर है, दिलों में नहीं।

क्या वाकई ‘खेला’ होने वाला है?

हालांकि जेएमएम ने भाजपा से किसी भी तरह की ‘डील’ से इनकार किया है, लेकिन राजनीतिक जानकारों का मानना है कि झारखंड में बड़ी हलचल होने की पूरी संभावना है। सियासत में वक्त का पहिया कब घूम जाए, कौन जानता है। बिहार चुनाव के नतीजों के बाद से इस पहिए की दिशा बदलती दिख रही है।

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