History Sheeter Sandeep Thakur: पीएम मोदी के कानपुर आगमन पर हिस्ट्रीशीटर के साथ मुलाकात का विवाद, सोशल मीडिया पर भड़क उठी बहस, पुलिस ने की सफाई

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History Sheeter Sandeep Thakur: 30 मई 2025 को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कानपुर के चकेरी एयरपोर्ट पहुंचे, तब उनका स्वागत करने पहुंचे भाजपा कार्यकर्ता संदीप ठाकुर की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं। इस तस्वीर ने प्रशासन और राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मचा दिया क्योंकि संदीप ठाकुर पर कानपुर पुलिस के विभिन्न थानों में दर्ज कई आपराधिक मुकदमे होने की जानकारी सामने आई। इसके बाद सोशल मीडिया पर एक पोस्ट तेजी से वायरल हुई जिसमें संदीप ठाकुर के खिलाफ 25 से अधिक मुकदमों की सूची साझा की गई। इस विवाद ने न केवल कानपुर की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े किए बल्कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा व्यवस्था पर भी गंभीर चिंताएं पैदा कीं।

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वायरल हुई पोस्ट और सोशल मीडिया में आग- History Sheeter Sandeep Thakur

संदीप ठाकुर ने खुद प्रधानमंत्री से हुई अपनी मुलाकात की तस्वीर फेसबुक पर शेयर की थी। उन्होंने इसे अपनी राजनीतिक उपलब्धि के रूप में दिखाया था। लेकिन इसी पोस्ट के बाद एक दूसरी पोस्ट वायरल हुई, जिसमें संदीप ठाकुर के खिलाफ दर्ज 25 से ज्यादा आपराधिक मामले बताए गए। इसमें हत्या के प्रयास, बलवा, मारपीट, धोखाधड़ी, अवैध असलहे रखने समेत गंभीर धाराएं शामिल थीं।

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इस वायरल पोस्ट के बाद विपक्षी दलों ने भाजपा पर जमकर निशाना साधा। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने भाजपा से सवाल किए कि ऐसे व्यक्ति को पार्टी में कैसे जगह मिली जो हिस्ट्रीशीटर है और जिसकी जांच चल रही हो। विपक्ष ने इसे यूपी की कानून व्यवस्था पर बड़ा सवाल बताया।

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पुलिस ने दी सफाई

कानपुर पुलिस ने मामले में जल्द ही सफाई दी। डीसीपी साउथ दीपेंद्र चौधरी ने कहा कि संदीप ठाकुर की हिस्ट्रीशीट वर्ष 2019 में समाप्त हो चुकी है, यानी उस साल से उनकी निगरानी बंद हो गई थी। उन्होंने कहा कि अगर उसके बाद कोई मुकदमा दर्ज हुआ है तो उसकी जांच कराई जाएगी। डीसीपी ने स्पष्ट किया कि मामले की गंभीरता से जांच की जा रही है।

उन्होंने बताया कि हिस्ट्रीशीट खत्म होना किसी व्यक्ति को अपराधमुक्त नहीं बनाता, लेकिन वर्तमान में संदीप ठाकुर पर कोई नया मामला नहीं चल रहा है। पुलिस ने यह भी कहा कि संदीप ठाकुर की जानकारियों की समीक्षा जारी है और जांच के बाद स्थिति स्पष्ट की जाएगी।

संदीप ठाकुर का पक्ष

इस विवाद में संदीप ठाकुर ने खुद भी अपनी सफाई दी है। उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ दर्ज अधिकांश मुकदमे कॉलेज राजनीति और पिछली सरकारों के समय के हैं। हत्या के प्रयास के एक मामले में वे कोर्ट से बरी हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में उन पर कोई चल रहा आपराधिक मामला नहीं है।

संदीप ने कहा, “राजनीति में कदम रखने के कारण कुछ लोग मुझे बदनाम करने के लिए झूठ फैलाते हैं। मेरी हिस्ट्रीशीट समाप्त हो चुकी है। मैं किसी को भी भ्रमित करने वाला नहीं हूं।”

पत्रकारों ने उठाए सवाल

पत्रकारों ने इस मामले को लेकर सरकार और सुरक्षा एजेंसियों की लापरवाही पर सवाल उठाए हैं। पत्रकार विवेक के त्रिपाठी ने सोशल मीडिया पर ट्वीट किया कि संदीप ठाकुर पर कानपुर के बर्रा थाना सहित कई थानों में कुल 27 मुकदमे दर्ज हैं, जिनमें राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत मामला भी शामिल है। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस प्रशासन संदीप की सही जानकारी प्रधानमंत्री कार्यालय को नहीं दे पाया, जिससे प्रधानमंत्री की सुरक्षा में सेंध लग सकती है।

पत्रकार ममता त्रिपाठी ने भी पीएमओ पर सवाल उठाए और लिखा कि प्रधानमंत्री से मिलने वालों का बैकग्राउंड चेक नहीं होता। उन्होंने यूपी पुलिस और डीजीपी से मामले की गहन जांच की मांग की और कहा कि प्रधानमंत्री की जान को जोखिम में डालना निंदनीय है।

भाजपा की प्रतिक्रिया और राजनीतिक विवाद

भाजपा की ओर से अभी इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं आया है। पार्टी ने कहा है कि सरकार अपराधियों के खिलाफ सख्त है और आरोपों की जांच कराई जाएगी। विपक्ष ने इसे प्रदेश की कानून व्यवस्था पर बड़ा प्रश्नचिह्न बताया है।

राजनीतिक गलियारों में इस घटना ने जोर पकड़ लिया है। भाजपा कार्यकर्ता संदीप ठाकुर का इतिहास और प्रधानमंत्री से उनकी मुलाकात राजनीतिक विवादों का केंद्र बनी हुई है। कई लोग इसे प्रशासन की चूक मान रहे हैं, जबकि कुछ इसे विपक्ष की राजनीतिक साजिश भी बता रहे हैं।

सुरक्षा व्यवस्था में सेंध की आशंका

प्रधानमंत्री की सुरक्षा को लेकर यह मामला बेहद गंभीर माना जा रहा है। सवाल उठ रहा है कि ऐसे शख्स को कैसे प्रधानमंत्री के इतने करीब आने की अनुमति मिली। इस पर कानपुर और लखनऊ के अधिकारियों की भूमिका पर भी संदेह किया जा रहा है। यह विवाद सुरक्षा एजेंसियों की तत्परता और सतर्कता पर गंभीर प्रश्न खड़ा करता है।

प्रधानमंत्री के स्वागत के लिए चुने गए लोगों की सूची में संदीप ठाकुर का नाम था, जिसे लेकर भी सवाल उठे हैं कि ऐसी सूची बनाते समय उनकी पृष्ठभूमि जांच क्यों नहीं की गई।

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