IRCTC Scam: दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, साथ ही उनके बेटे और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के खिलाफ आईआरसीटीसी घोटाले में धारा 420 के तहत आरोप तय कर दिए हैं। इस फैसले ने न सिर्फ लालू परिवार की कानूनी मुश्किलें बढ़ा दी हैं, बल्कि बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राजनीतिक हलचलों को भी बढ़ा दिया है।
आईआरसीटीसी घोटाले की पृष्ठभूमि और आरोप- IRCTC Scam
यह मामला 2004 से 2009 के बीच का है, जब लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे। आरोप है कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग कर रेलवे के दो होटलों के आवंटन में गड़बड़ी की। यह घोटाला करीब 16 साल पुराना है, लेकिन कोर्ट के इस फैसले ने इसे फिर से सुर्खियों में ला दिया है। राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव का भी नाम इस मामले में जुड़ा है, जिससे पूरा परिवार अब इस गंभीर आरोप की फांस में फंसा हुआ है।
कोर्ट का यह आदेश अब इस केस को ट्रायल स्टेज में ले जाएगा, जहां अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष अपनी दलीलें रखेंगे। लालू परिवार ने अभी तक आरोपों से साफ इनकार किया है और कहा है कि वे न्याय प्रक्रिया में अपनी निर्दोषता साबित करेंगे। हालांकि, वक्त इस फैसले के लिए चुनौतीपूर्ण है क्योंकि बिहार विधानसभा चुनाव का पहला चरण मात्र 23 दिन दूर है और दूसरे चरण का मतदान भी 28 दिन बाद होने वाला है।
राजनीतिक माहौल में बड़ा झटका
इस कोर्ट के फैसले ने लालू परिवार के लिए एक बड़ा झटका दिया है। न केवल उनके ऊपर कानूनी दबाव बढ़ा है, बल्कि यह फैसला चुनावी राजनीति में भी बड़ा मुद्दा बनने वाला है। एनडीए इसे चुनावी रणनीति में खूब भुना सकता है। भाजपा और जेडीयू के नेता इस मुद्दे को ‘भ्रष्टाचार बनाम विकास’ की लड़ाई के रूप में पेश करेंगे और महागठबंधन की छवि पर प्रहार करेंगे।
एनडीए के लिए यह एक सुनहरा मौका है कि वे लालू परिवार के भ्रष्टाचार के आरोपों को चुनावी मुद्दा बनाकर वोटरों को समझाएं कि विकास के लिए भ्रष्टाचार से लड़ना जरूरी है। दूसरी ओर, महागठबंधन को अब अपने सुर बदलकर रक्षात्मक रणनीति अपनानी पड़ेगी ताकि जनता का मन न बदले।
महागठबंधन के लिए चुनौती
राष्ट्रीय जनता दल के लिए यह फैसला राजनीतिक और कानूनी दोनों रूपों में मुश्किल पैदा करेगा। तेजस्वी यादव को न केवल चुनावी मंच पर विरोधियों के हमलों का जवाब देना होगा, बल्कि अदालत में भी परिवार की सफाई करनी होगी। इस स्थिति में महागठबंधन को चुनावी रणनीति में बदलाव करना होगा और इस फैसले को ‘राजनीतिक साजिश’ बताकर अपनी राजनीति बचानी होगी।
लालू परिवार बिहार की राजनीति में दशकों से एक मजबूत शक्ति रहा है। लेकिन इस मामले में आरोप तय होने के बाद उनके राजनीतिक विरोधी इसे बड़ा हथियार बनाएंगे। खासकर युवा और शहरी वोटर इस मुद्दे को लेकर सजग हो सकते हैं, जो महागठबंधन के लिए चिंता की बात है।
वोटरों पर असर और चुनावी रणनीति
आईआरसीटीसी घोटाले के आरोप तय होने के बाद तेजस्वी यादव की छवि पर दबाव बढ़ेगा। उन्हें अपनी राजनीतिक साख बचाने के साथ-साथ हर बयान और कदम पर सतर्क रहना होगा, क्योंकि एनडीए के नेता हर मोड़ पर उन पर निशाना साधेंगे। भाजपा और जेडीयू विकास, सुशासन और भ्रष्टाचार मुक्त शासन को लेकर पहले से चुनावी माहौल बना रहे हैं, अब इस मामले से उनका दावा और मजबूत होगा।
एनडीए इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के तौर पर पेश करेगा और महागठबंधन की ‘कमजोरी और भ्रष्टाचार की विरासत’ को उजागर करने की पूरी कोशिश करेगा। वहीं, महागठबंधन को अपने वोट बैंक को बचाने के लिए सटीक जवाब देना होगा कि वे भ्रष्टाचार के आरोपों को राजनीति से प्रेरित मानते हैं।