Jagdeep Dhankhar Resignation Reason: संसद का मॉनसून सत्र हमेशा की तरह हंगामेदार रहा, लेकिन इस सत्र के पहले दिन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी। सोमवार को सत्र की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन से हुई, जिसमें उन्होंने देश की एकता की आवश्यकता पर जोर दिया। लेकिन जैसे-जैसे सत्र आगे बढ़ा, विपक्ष की तरफ से सरकार पर आरोपों और विरोध का सिलसिला तेज हुआ, और अंततः उपराष्ट्रपति के इस्तीफे ने सबका ध्यान खींच लिया।
क्या था इस्तीफे का कारण? (Jagdeep Dhankhar Resignation Reason)
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई को सोमवार की शाम 9:25 बजे स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दिया। हालांकि, विपक्षी नेताओं का कहना है कि यह सिर्फ स्वास्थ्य का मुद्दा नहीं था, बल्कि इसके पीछे कोई राजनीतिक कारण छिपा हो सकता है। दरअसल, पूरे दिन की बैठकों और राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान न तो धनखड़ अस्वस्थ लगे, और न ही उनकी तबियत में कोई परेशानी का संकेत मिला। उन्होंने दिनभर बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (BAC) की बैठकें लीं और विपक्षी नेताओं से भी मुलाकात की। ऐसे में अचानक इस्तीफा देना कई सवालों को जन्म देता है।
जस्टिस वर्मा का मुद्दा और सरकार से टकराव
साथ ही, धनखड़ के इस्तीफे से जुड़ी एक अहम घटना यह थी कि उन्होंने राज्यसभा में जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर चर्चा की थी। यह प्रस्ताव 50 से अधिक सांसदों द्वारा हस्ताक्षरित था, और धनखड़ ने इसे औपचारिक रूप से स्वीकार किया था। इस प्रस्ताव को लेकर सूत्रों का कहना है कि सत्ता पक्ष को यह कदम खटक सकता था, क्योंकि यह न्यायपालिका से टकराव को बढ़ावा देने वाला था। वहीं, यह भी कहा जा रहा है कि जस्टिस वर्मा के खिलाफ इस कार्रवाई को स्वीकार करके धनखड़ ने सरकार की मौन सहमति के बिना कदम उठाया था।
विपक्ष का आरोप और पार्टी नेताओं की गैरमौजूदगी
इस्तीफे से पहले, राज्यसभा में कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने एक पोस्ट में कहा कि उपराष्ट्रपति का इस्तीफा बेहद अप्रत्याशित था। उन्होंने कहा कि धनखड़ ने मंगलवार को होने वाली बैठक की तैयारी के तहत राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान महत्वपूर्ण घोषणाएं की थी, लेकिन अचानक इस्तीफा देने से यह स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई। जयराम रमेश ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि 21 जुलाई को हुए घटनाक्रम के दौरान, बीजेपी के नेताओं जेपी नड्डा और किरेन रिजीजू ने दूसरी BAC बैठक में हिस्सा नहीं लिया, जिससे उपराष्ट्रपति आहत हो सकते थे।
इसके अलावा, कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा ने भी बताया कि धनखड़ बिल्कुल स्वस्थ थे और संसद की कार्यवाही का संचालन हंसमुख अंदाज में कर रहे थे, लेकिन अचानक हुई बैठक में नड्डा और रिजीजू की अनुपस्थिति ने उन्हें निराश किया। इसके बाद यह माना जा रहा है कि इस घटनाक्रम ने सत्ता पक्ष को असहज किया, और शायद यही कारण था कि उपराष्ट्रपति ने इस्तीफा देने का फैसला किया।
स्वास्थ्य या राजनीति?
इसी बीच, यह सवाल उठता है कि क्या उपराष्ट्रपति के इस्तीफे के पीछे सच में स्वास्थ्य कारण थे, या फिर यह एक सियासी चाल का हिस्सा था? जस्टिस वर्मा के महाभियोग प्रस्ताव से लेकर नड्डा और रिजीजू की बैठक में गैरमौजूदगी तक, हर एक घटना ने इस इस्तीफे को और भी संदिग्ध बना दिया। सूत्रों के मुताबिक, जब जयराम रमेश ने धनखड़ से फोन पर बात की, तो उन्होंने यह कहा कि वे अपने परिवार के साथ स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं, लेकिन राजनीति में जो कुछ हुआ, उसे लेकर यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि इस्तीफे की वजह कुछ और थी।
क्या है इस्तीफे के बाद का अगला कदम?
अब इस इस्तीफे के बाद यह सवाल उठता है कि आगे क्या होगा? क्या यह इस्तीफा सरकार और उपराष्ट्रपति के बीच किसी बड़ी असहमति का परिणाम था? कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि अगर धनखड़ ने न्यायमूर्ति वर्मा के मामले में सरकार की सहमति के बिना कार्रवाई की होती तो इससे सत्तारूढ़ पार्टी के लिए असहज स्थिति पैदा हो सकती थी।