Who is Sushila Karki: नेपाल में राजनीतिक भ्रष्टाचार और कुशासन को लेकर लंबे समय से गहरी निराशा व्याप्त है। युवा पीढ़ी का मानना है कि पुराने नेता सिर्फ़ अपनी जेबें भर रहे हैं और देश के विकास के लिए कुछ नहीं कर रहे हैं। नेपाल में उच्च बेरोज़गारी दर और आर्थिक संकट एक बड़ी समस्या है। युवाओं को लगता है कि शिक्षा के बावजूद देश में नौकरी के अवसर नहीं हैं, जिसके कारण उन्हें रोज़गार के लिए विदेश जाना पड़ता है। हाल ही में genZ ने इसे लेकर नेपाल में एक बड़ा आंदोलन चलाया, जिससे काफ़ी संपत्ति का नुकसान भी हुआ। जिसके बाद सुशीला कार्की (Sushila Karki) को नेपाल (Nepal) का नया अंतरिम प्रधानमंत्री (Prime Minister) बनाया गया है। तो चलिए आपको इस लेख में बताते है आखिर कौन है सुशीला कार्की कौन है?
कौन है सुशीला कार्की
हाल ही में नेपाल (Nepal) में genZ प्रोटेस्ट के बाद सुशीला कार्की (Sushila Karki) को नेपाल की नई और अंतरिम प्रधानमंत्री बनया गया है। उन्होंने नेपाल (Nepal) की अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली है। सुशीला कार्की एक नेपाली क़ानूनी जानकर और लेखिका हैं, जो 12 सितंबर, 2025 से नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री (Prime Minister) के रूप में कार्यरत हैं। वह नेपाल का नेतृत्व करने वाली पहली महिला हैं। इससे पहले, वह 2016 से 2017 तक नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश थीं। सुशीला कार्की भ्रष्टाचार (Corruption) के खिलाफ अपने कड़े रुख के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने कानून और राजनीति विज्ञान (Political Science) की पढ़ाई की है और 1979 में अपना कानूनी करियर शुरू किया था।
उनकी शिक्षा का विवरण इस प्रकार है
- उन्होंने 1972 में नेपाल के महेंद्र मोरंग कैंपस (Mahendra Morang Campus) से स्नातक की डिग्री प्राप्त की।
- साल 1975 में उन्होंने भारत के वाराणसी स्थित बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से राजनीति विज्ञान (Political) में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की फिर उन्होंने 1978 में नेपाल के त्रिभुवन विश्वविद्यालय (Tribhuvan University of Nepal) से कानून की डिग्री प्राप्त की।
- सुशीला कार्की ने 1979 में अपने कानूनी करियर की शुरुआत की और 2016 में नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice) बनीं। उनकी न्यायिक और कानूनी पृष्ठभूमि ने उन्हें एक ईमानदार और भ्रष्टाचार विरोधी नेता के रूप में पहचान दिलाई है।
- साल 2009 में कार्की को नेपाल सुप्रीम कोर्ट में एडहॉक (Adhoc in Supreme Court) जज नियुक्त किया गया, जिसके बाद 2010 में वो परमानेंट जज बनीं।
- सुशीला कार्की 2016 में नेपाल की पहली महिला चीफ जस्टिस बनीं, जिसके बाद 2017 में उन्हें पद से हटाने के लिए उनके खिलाफ महाभियोग लाया गया।
नेपाल में लोकतंत्र कितने साल का है?
नेपाल में लोकतंत्र अभी 17 साल का ही हुआ है लेकिन नेपाल में 13 सरकारें बदल चुकी हैं. 2008 में लोकतंत्र घोषित होने के बाद नेपाल में 13 प्रधानमंत्री बन चुके हैं। जिसमें पुष्प कमल दहल प्रचंड 3 बार, शेर बहादुर देउबा 2 बार और केपी शर्मा ओली 3 बार प्रधानमंत्री बन चुके हैं। बीते दिन केपी शर्मा ओली को अपने पद से इस्तीफा देकर भागना पड़ा था। नेपाल के लोग 239 साल राजशाही व्यवस्था के अंतर्गत रहे और 2006 से शुरु हुए संघर्ष के बाद 2008 में यहां लोकतंत्र की स्थापना हुई।
यह सामाजिक न्याय और समावेशन के सिद्धांतों पर ज़ोर देता है, और यह सुनिश्चित करने के लिए विशेष प्रावधान करता है कि दलितों और मूल निवासियों जैसे हाशिए पर पड़े समुदायों को समान अवसर प्राप्त हों। इसके अलावा, संविधान एक संघीय ढाँचे की स्थापना करता है, जिसमें सात प्रांत, 77 ज़िले और 753 स्थानीय इकाइयाँ शामिल हैं। इसका उद्देश्य देश के भीतर राजनीतिक और आर्थिक शक्तियों का विकेंद्रीकरण करना है।