Operation Sindoor: लोकसभा में सोमवार को ऑपरेशन सिंदूर पर हुई विशेष चर्चा के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विपक्ष पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि विपक्ष के कुछ नेताओं द्वारा यह सवाल उठाना कि “कितने विमान गिरे”, राष्ट्रीय भावनाओं का सही प्रतिनिधित्व नहीं करता। राजनाथ सिंह ने यह भी कहा कि जब लक्ष्य बड़े होते हैं, तो छोटे मुद्दों पर सवाल नहीं उठाए जाते।
राजनाथ सिंह ने कहा, “विपक्ष ने यह नहीं पूछा कि हमारे सशस्त्र बलों ने कितने दुश्मन विमान गिराए। अगर सवाल पूछना है, तो यह होना चाहिए कि क्या भारत ने आतंकवादी ठिकानों को नष्ट किया, और इसका जवाब है, हां। क्या ऑपरेशन सिंदूर सफल रहा? इसका जवाब है, हां।” उन्होंने कहा कि इस ऑपरेशन में हमारे किसी भी सैनिक को नुकसान नहीं पहुंचा। उनके मुताबिक, किसी भी परीक्षा के बाद परिणाम मायने रखते हैं और ऑपरेशन सिंदूर ने पूरी तरह से निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त किया है।
1962 और 1971 के युद्ध का उदाहरण देते हुए राजनाथ सिंह ने कहा, “हमने तब यह नहीं पूछा था कि कितने विमान गिरे थे। उस समय हमारा ध्यान देश की सुरक्षा और लक्ष्य पर था।”
ऑपरेशन सिंदूर पर बाहरी दबाव का आरोप खारिज- Operation Sindoor
रक्षा मंत्री ने ऑपरेशन सिंदूर को बाहरी दबाव में रोकने के आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया। उनका कहना था, “भारत ने ऑपरेशन सिंदूर इसलिए रोका क्योंकि हमारे तय किए गए राजनीतिक और सैन्य उद्देश्य पूरे हो चुके थे। किसी भी बाहरी दबाव के कारण इसे रोकने का आरोप निराधार और गलत है।” उन्होंने यह भी बताया कि जब भारतीय वायुसेना ने 10 मई को पाकिस्तान के एयरफील्ड पर करारा हमला किया, तो पाकिस्तान ने हार मान ली और संघर्ष रोकने की पेशकश की।
राजनाथ सिंह ने कहा, “हमने पाकिस्तान से जो समझौता किया, वह इस शर्त पर था कि अगर भविष्य में कोई दुस्साहस हुआ, तो ऑपरेशन फिर से शुरू किया जाएगा।”
पाकिस्तान के आतंकवादी शिविरों को नष्ट करने की सफलता
सिंह ने आगे बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के सात आतंकवादी शिविर पूरी तरह नष्ट कर दिए गए थे। उन्होंने बताया कि यह ऑपरेशन 22 मिनट में समाप्त हो गया था और पहलगाम हमले का बदला लिया गया था। राजनाथ सिंह ने कहा, “हमारे लक्ष्य थे—आतंकवादी ठिकानों को नष्ट करना और पाकिस्तान को यह संदेश देना कि अगर कोई हमारे नागरिकों को नुकसान पहुंचाता है, तो भारत चुप नहीं बैठेगा।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ऑपरेशन में किसी भी निर्दोष नागरिक को निशाना नहीं बनाया गया था। उनका कहना था कि हमारी सैन्य रणनीति में यह सुनिश्चित किया गया था कि कोई भी नागरिक नुकसान न पहुंचे।
गोगोई का सवाल: ऑपरेशन सिंदूर क्यों रोका गया?
इसी बीच, कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई ने सरकार से कुछ अहम सवाल किए। उन्होंने पूछा, “ऑपरेशन सिंदूर क्यों रोका गया? पहलगाम हमले में जो आतंकवादी शामिल थे, उन्हें अब तक क्यों नहीं पकड़ा गया?” गोगोई ने गृह मंत्री अमित शाह से यह सवाल भी किया कि पहलगाम हमले में सुरक्षा चूक की नैतिक जिम्मेदारी उन्हें लेनी चाहिए। उनका कहना था, “जब लोग आतंकवादी हमलों में मारे जाते हैं, तो एंबुलेंस एक घंटे तक नहीं पहुंचती। यह चूक किसकी है?”
गोगोई ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने पहलगाम हमले के बाद टूर ऑपरेटरों को दोषी ठहराया और यह सरकार की कमजोर और बुजदिल रणनीति का हिस्सा था। गोगोई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधते हुए कहा, “प्रधानमंत्री मोदी को पहलगाम जाना चाहिए था, लेकिन वे सऊदी अरब से लौटकर सीधे चुनावी भाषण देने बिहार गए।”
पीओके और चीन पर भी सवाल उठाए गए
गोगोई ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) और चीन के खिलाफ सरकार की नीति पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कहते हैं कि हमारा मकसद युद्ध नहीं था, लेकिन अगर पीओके को आज नहीं लेंगे तो कब लेंगे?” गोगोई का कहना था कि सरकार ‘चीन को लाल आंख दिखाने’ की बात करती है, लेकिन चीन का नाम तक नहीं लिया गया।
उन्होंने यह भी सवाल किया, “जब पूरा देश और विपक्ष प्रधानमंत्री के साथ खड़ा था, तो अचानक युद्धविराम क्यों हुआ? अगर पाकिस्तान घुटनों पर था तो सरकार क्यों झुकी?”
ट्रंप के बयान का जिक्र
गोगोई ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयान का हवाला देते हुए कहा कि ट्रंप ने 26 बार यह दावा किया था कि उन्होंने व्यापारिक मुद्दों पर बातचीत करके युद्ध को रुकवाया। गोगोई ने सरकार से यह सवाल किया कि क्या सच्चाई यही है, और अगर यह सच है तो देश की जनता और हमारे सैनिकों को क्यों नहीं बताया जा रहा?
सिंह की प्रतिक्रिया और संदेश
वहीं, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा, “हमारी सेना शेरों की तरह है। शेर जब मेंढकों को मारता है तो उसका संदेश बहुत अच्छा नहीं जाता। पाकिस्तान जैसा देश, जो दूसरों पर निर्भर है, उससे मुकाबला करना हमारे स्तर को गिराना है। हमारी नीति आतंकवाद के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करने की है।”