P Chidambaram controversial statement: कभी कांग्रेस पार्टी के रणनीतिकारों में शुमार रहे वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम इन दिनों अपने बयानों को लेकर पार्टी को बार-बार असहज कर रहे हैं। पिछले कुछ महीनों में उन्होंने ऐसे कई मुद्दों पर सार्वजनिक रूप से टिप्पणियां की हैं जो कांग्रेस के आधिकारिक स्टैंड से मेल नहीं खातीं। नतीजा ये कि कांग्रेस को बार-बार सफाई देनी पड़ रही है और बीजेपी को बैठे-बिठाए हमलावर होने का मौका मिल जाता है।
मणिशंकर अय्यर के बयानों की तरह ही चिदंबरम की बातें भी राष्ट्रीय सुरक्षा, इतिहास और कूटनीति जैसे संवेदनशील मसलों पर पार्टी की छवि पर असर डाल रही हैं। कांग्रेस हाईकमान इससे बेहद खफा है और अंदरखाने से खबरें आ रही हैं कि पार्टी ने उन्हें स्पष्ट चेतावनी दी है कि अब आगे ऐसा ना हो।
आइए, नजर डालते हैं उन 6 बयानों पर, जिन्होंने कांग्रेस को मुश्किलों में डाल दिया।
INDIA गठबंधन पर सवाल- P Chidambaram controversial statement
जब राहुल गांधी INDIA गठबंधन की ताकत गिनवाने में लगे थे, उस वक्त चिदंबरम ने मंच से कुछ ऐसा कहा, जिसने पूरे गठबंधन की एकजुटता पर ही सवाल खड़े कर दिए। उन्होंने कहा था कि “INDIA गठबंधन का भविष्य उतना उज्ज्वल नहीं है जितना कुछ लोग सोच रहे हैं।”
उन्होंने आगे यह भी कहा कि भाजपा जितनी मज़बूती से संगठित पार्टी भारत में शायद ही कभी रही हो। इस बयान ने न केवल कांग्रेस को बैकफुट पर डाला बल्कि गठबंधन में शामिल अन्य दलों के बीच भी असहजता फैला दी।
पहलगाम हमले पर पाकिस्तान को क्लीन चिट?
जुलाई 2025 में हुए पहलगाम हमले के बाद चिदंबरम का बयान सुर्खियों में रहा। उन्होंने कहा कि “सरकार ने कैसे मान लिया कि आतंकी पाकिस्तान से ही आए थे? हो सकता है वो देश के भीतर तैयार हुए हों।”
इस बयान से बीजेपी को सीधा हमला करने का मौका मिल गया। भाजपा ने कहा कि चिदंबरम पाकिस्तान को क्लीन चिट दे रहे हैं और आतंकियों की पहचान को लेकर सरकार पर सवाल खड़ा कर रहे हैं। अमित मालवीय ने तो यह तक कह डाला कि चिदंबरम भारत की बजाय इस्लामाबाद के वकील लगते हैं।
2008 मुंबई हमला: ‘यूपीए दबाव में झुकी’
30 सितंबर को एक कार्यक्रम में चिदंबरम ने कबूल किया कि 26/11 मुंबई हमले के बाद वे पाकिस्तान पर सैन्य कार्रवाई के पक्ष में थे, लेकिन अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय दबाव की वजह से ऐसा नहीं हो पाया।
उन्होंने कहा, “मेरे मन में सैन्य कार्रवाई का विचार था लेकिन विदेश मंत्रालय और बाकी लोगों ने संयम रखने की सलाह दी।”
यह बयान भी कांग्रेस के लिए सिरदर्द बन गया। भाजपा ने इसे ‘कायरता’ करार दिया और पूछा कि क्या कांग्रेस की विदेश नीति विदेशी दबाव से चलती थी?
ऑपरेशन ब्लू स्टार को बताया ‘गलत तरीका’
हिमाचल में एक लिटरेचर फेस्टिवल के दौरान चिदंबरम ने कहा कि “स्वर्ण मंदिर को खाली कराने का जो तरीका अपनाया गया, वह गलत था।”
उन्होंने यह भी कहा कि इंदिरा गांधी ने इसकी कीमत अपनी जान देकर चुकाई। यह बयान आते ही पंजाब कांग्रेस के भीतर से नाराजगी की आवाजें उठने लगीं। बीजेपी ने फिर से कांग्रेस पर सिख विरोधी मानसिकता का आरोप मढ़ दिया।
कांग्रेस आलाकमान को भी यह बयान पसंद नहीं आया। सूत्रों की मानें तो पार्टी ने चिदंबरम को दो टूक कह दिया है कि सार्वजनिक मंच से इस तरह की बातें करने से परहेज करें।
अफजल गुरु के पक्ष में बयान
हालांकि यह बयान 2016 का है, लेकिन इसका जिक्र हर बार होता है जब चिदंबरम की विवादित टिप्पणियों की चर्चा होती है। उन्होंने कहा था कि “अफजल गुरु का केस सही तरीके से नहीं सुना गया।”
यह वही अफजल गुरु है जिसे संसद पर हमले का दोषी मानकर 2013 में फांसी दी गई थी। चिदंबरम का कहना था कि सत्ता में रहते हुए वो चुप रहे, लेकिन अब एक आजाद नागरिक के तौर पर अपनी राय रख रहे हैं।
यह बयान संसद हमले में शहीद जवानों का अपमान करार दिया गया और कांग्रेस को इससे तुरंत किनारा करना पड़ा।
‘भाजपा सबसे संगठित पार्टी’ वाला बयान
किताब लॉन्च के मौके पर चिदंबरम ने भाजपा को ‘अब तक की सबसे संगठित राजनीतिक पार्टी’ बता दिया। उन्होंने कहा कि “इतिहास की मेरी समझ के अनुसार, भाजपा जैसी मजबूत राजनीतिक पार्टी देश में पहले नहीं रही।”
यह बयान सुनकर कांग्रेस कार्यकर्ता खुद दंग रह गए। जब पार्टी भाजपा के खिलाफ 24×7 लड़ाई के मूड में है, ऐसे में इस तरह की प्रशंसा पार्टी के एजेंडे को कमजोर करती है।