Prashant Kishor Net Worth: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों ने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) और उनकी नई पार्टी जनसुराज के लिए बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। चुनाव से पहले जोश और आत्मविश्वास से भरे प्रशांत किशोर ने दावा किया था कि जेडीयू (JD(U)) इस बार केवल 25 सीटों पर सिमट जाएगी। उन्होंने यह तक कहा कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो वे राजनीति से संन्यास ले लेंगे। लेकिन जैसे ही नतीजे आए, उनकी भविष्यवाणी पूरी तरह उलट गई। जेडीयू ने 85 सीटों पर भारी जीत दर्ज की, वहीं जनसुराज के किसी भी उम्मीदवार को जीत हासिल नहीं हुई।
जनसुराज का चुनावी प्रदर्शन- Prashant Kishor Net Worth
जनसुराज का सूपड़ा साफ हो गया। किसी भी सीट पर पार्टी का उम्मीदवार जीत नहीं सका। पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर ने बिहार में अपनी राजनीतिक शुरुआत 2024 में की थी। उनके इस कदम को लेकर शुरुआती चर्चा में राजनीतिक हलचल रही, लेकिन अब नतीजों ने उनकी छवि पर सवाल खड़ा कर दिया है।
पटना में जेडीयू की जीत को लेकर लगाए गए पोस्टर ने भी माहौल गर्म कर दिया। पोस्टर में प्रशांत किशोर की बड़ी तस्वीर के साथ लिखा गया, “जदयू को 25 सीट से ज्यादा होने के कारण प्रशांत किशोर ने राजनीति से लिया संन्यास।” यह पोस्टर सोशल मीडिया और स्थानीय चर्चा का केंद्र बन गया। हालांकि, प्रशांत किशोर की ओर से इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया अभी नहीं आई है।
उदय सिंह का बयान
बिहार चुनाव में जनसुराज के प्रदर्शन पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह ने बयान जारी किया। उन्होंने कहा कि पार्टी चुनावी नतीजों से निराश नहीं है। उदय सिंह ने बताया कि पिछले तीन वर्षों में पार्टी ने लगातार जनसंवाद और जमीनी मेहनत की, लेकिन जनता का वोट एनडीए की ओर गया। उन्होंने यह भी कहा कि लोगों में यह डर था कि कहीं राजद सत्ता में वापसी न कर ले, जिसकी वजह से अंतिम समय में वोट एनडीए के पक्ष में चला गया।
प्रशांत किशोर का बचपन और शुरुआती पढ़ाई
आईए अब प्रशांत किशोर की जीवनी पर एक नज़र डालते हैं। बिहार के रोहतास जिले के कोनार गांव में 1977 में जन्मे प्रशांत किशोर का बचपन कई शहरों में बीता। उनके पिता डॉक्टर थे और बक्सर में पोस्टिंग के दौरान प्रशांत ने अपनी शुरुआती पढ़ाई वहीं पूरी की। पढ़ाई में उनकी अच्छी पकड़ थी और परिवार चाहता था कि वे IIT जाकर इंजीनियर बनें, लेकिन किशोर की रुचि अलग थी। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज में सांख्यिकी में दाखिला लिया, लेकिन तबियत खराब होने के कारण ग्रेजुएशन बीच में छोड़कर घर लौट आए। इसके बाद लखनऊ और हैदराबाद जाकर उन्होंने ग्रेजुएशन और पोस्ट-ग्रेजुएशन पूरी की।
उनकी पेशेवर शुरुआत संयुक्त राष्ट्र (UN) के साथ हुई, जहां उन्होंने आठ साल तक देश-विदेश में काम किया। इसके बाद उन्होंने 2011 तक संयुक्त राष्ट्र द्वारा वित्तपोषित सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों में भी योगदान दिया।
प्रशांत किशोर की राजनीतिक यात्रा और पहले के अनुभव
वहीं, प्रशांत किशोर के राजनीतिक सफर की बात करें तो, उन्होंने इसकी शुरुआत गुजरात में 2012 विधानसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के प्रचार से की। इसके बाद उन्होंने सिटिज़न्स फॉर अकाउंटेबल गवर्नेंस (CAG) का गठन किया और 2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत में योगदान दिया। उनके खास अभियान जैसे ‘चाय पर चर्चा’, 3D रैलियां और सोशल मीडिया प्रोग्राम्स ने भारतीय राजनीति में नई राहें खोलीं।
सफल चुनावी रणनीतिकार के रूप में प्रशांत किशोर
प्रशांत किशोर ने 2014 के बाद CAG को इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी (I-PAC) में बदल दिया। इसके जरिए उन्होंने बिहार में नीतीश कुमार को तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने में मदद की। इसके अलावा, पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह, आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी (YSRCP), दिल्ली में आम आदमी पार्टी, पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस और तमिलनाडु में DMK के चुनाव अभियान की रणनीति भी तैयार की।
उनके इन अभियानों में विशेष रूप से मतदाता मानसिकता बदलने, सोशल मीडिया का प्रभाव, रोड शो और स्थानीय संवाद कार्यक्रम शामिल रहे। 2020 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में AAP को 70 में से 62 सीटें जीतने में उनकी रणनीति सफल रही। 2021 में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की जीत भी उनके रणनीतिक कौशल का परिणाम रही।
राजनीतिक सफर और जनसुराज
प्रशांत किशोर ने 2018 में जनता दल (यूनाइटेड) जॉइन किया, लेकिन नागरिकता संशोधन कानून पर नीतीश कुमार की नीति की आलोचना करने के बाद उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया गया। मार्च 2021 में अमरिंदर सिंह ने उन्हें प्रधान सलाहकार बनाया।
इसके बाद, जनसुराज की औपचारिक घोषणा 2 अक्टूबर 2024 को हुई। इस कदम के पीछे उनका उद्देश्य प्रत्यक्ष राजनीति में उतरना था। लेकिन बिहार चुनाव में पार्टी का शून्य परफॉर्मेंस और जेडीयू की भारी जीत ने उनके दावों को चुनौती दी।
प्रशांत किशोर कार कलेक्शन
प्रशांत किशोर के कार कलेक्शन की बात करें तो प्रशांत किशोर ने अपने रोड शो और रैलियों में उनके वाहन हमेशा ध्यान खींचते हैं। आमतौर पर उन्हें फोर्ड एंडेवर में देखा जाता है, वहीं कभी-कभी वे टोयोटा फॉर्च्यूनर में भी रैलियों में मौजूद रहते हैं।
टोयोटा फॉर्च्यूनर अपनी पावर, आरामदायक सीट और स्टाइलिश लुक के लिए जानी जाती है। भारत में इसकी एक्स-शोरूम कीमत लगभग 35 लाख से 50 लाख रुपये के बीच है। दूसरी ओर फोर्ड एंडेवर की कीमत लगभग 29 लाख से 36 लाख रुपये होती है। ये गाड़ियाँ उनके स्टाइल और पहुंच का संकेत देती हैं, खासकर जब वे रोड शो या चुनावी रैलियों में निकलते हैं।
प्रशांत किशोर की कुल संपत्ति
वहीं, आधिकारिक रूप से प्रशांत किशोर की कुल संपत्ति की जानकारी सार्वजनिक नहीं है। लेकिन एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने खुद बताया कि पिछले तीन साल में उन्होंने कंसल्टेंसी के जरिए लगभग 241 करोड़ रुपये कमाए हैं। इस आय पर उन्होंने 30.95 करोड़ रुपये GST और 20 करोड़ रुपये इनकम टैक्स भर चुके हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उनकी कुल संपत्ति लगभग 25 से 30 करोड़ रुपये के बीच आंकी जाती है।
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