Pune Land Deal: 1800 करोड़ की सरकारी ज़मीन महज 300 करोड़ में बेची, अजित पवार के बेटे पार्थ पवार की मुश्किलें बढ़ीं, FIR दर्ज!

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Pune Land Deal: महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर से हलचल मच गई है, और इस बार ये हलचल उपमुख्यमंत्री अजित पवार के परिवार से जुड़ी है। उनके बेटे पार्थ पवार पर पुणे पुलिस ने एक बड़ा आरोप लगाया है। पार्थ पवार के खिलाफ एक ज़मीन घोटाले में एफआईआर दर्ज की गई है, जिससे राज्य में राजनीतिक माहौल गर्मा गया है। ये मामला सरकारी ज़मीन को अवैध रूप से सस्ते दामों में बेचने से जुड़ा है, और अब विपक्षी पार्टियां इस मामले को लेकर प्रदेश सरकार को घेरने में जुट गई हैं।

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क्या है पूरा मामला? (Pune Land Deal)

जानकारी के अनुसार, पार्थ पवार की कंपनी Amadea Enterprises ने पुणे के मंडावा इलाके में स्थित 16.19 हेक्टेयर सरकारी ज़मीन को महज ₹300 करोड़ में खरीद लिया, जबकि इस ज़मीन का असली बाजार मूल्य ₹1600 से ₹1800 करोड़ के बीच था। यह डील तब और संदिग्ध बन गई, जब यह सामने आया कि इस ज़मीन की बिक्री पर ₹21 करोड़ की स्टांप ड्यूटी के बजाय केवल ₹500 की स्टांप ड्यूटी ली गई। इस घोटाले में पार्थ पवार के अलावा उनकी कंपनी के अन्य दो साझेदार भी शामिल हैं।

पुलिस ने दर्ज की FIR

पुणे पुलिस ने इस मामले में तीन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। आरोपियों में पार्थ पवार के साथ उनके अन्य साझेदार भी शामिल हैं। पुलिस का कहना है कि यह डील पूरी तरह से नियमों का उल्लंघन करते हुए की गई थी, और सरकारी संपत्ति को कौड़ियों के भाव बेचा गया। इस मामले में अब पुलिस जांच शुरू कर चुकी है, और पार्थ पवार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं, क्योंकि यह मामला हाईप्रोफाइल होने के साथ-साथ सीधे तौर पर एक बड़े राजनेता के परिवार से जुड़ा है।

जांच के आदेश और अधिकारियों पर कार्रवाई

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत कार्रवाई की दिशा में कदम उठाए। उन्होंने राज्य के राजस्व और भूमि रिकॉर्ड विभाग से पूरी जानकारी मांगी और मामले की जांच के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री का कहना था, “प्रथम दृष्टया मामला गंभीर प्रतीत हो रहा है, और अगर किसी भी स्तर पर अनियमितताएं पाई गईं तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”

इसके अलावा, इस मामले में सरकारी अधिकारियों पर भी गाज गिरी है। तहसीलदार सूर्यकांत येवले और सब-रजिस्ट्रार आरबी तारु को निलंबित कर दिया गया है। यह कार्रवाई भी मुख्यमंत्री के आदेश पर की गई है, जिन्होंने यह सुनिश्चित किया कि कोई भी जिम्मेदार अधिकारी बख्शा न जाए।

पार्थ पवार के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद, यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या इस मामले में अजित पवार भी शामिल हैं या फिर उनका परिवार किसी गलत कार्य में लिप्त नहीं है।

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