Punjab Panchayat Election: पंजाब में जिला परिषद और पंचायत समिति के चुनाव रविवार, 14 दिसंबर को शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो गए। सुबह 8 बजे शुरू हुआ मतदान शाम 4 बजे तक चला। हालांकि दिन की शुरुआत सामान्य रही, लेकिन जैसे-जैसे मतदान आगे बढ़ा, वैसे-वैसे सियासी आरोप-प्रत्यारोप भी तेज होते चले गए। राज्य चुनाव आयोग के मुताबिक पूरे प्रदेश में करीब 48 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया है। अब सभी की निगाहें 17 दिसंबर को होने वाली मतगणना पर टिकी हैं।
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कितने निकायों के लिए हुए चुनाव? (Punjab Panchayat Election)
इस बार पंजाब में कुल 22 जिला परिषदों और 153 पंचायत समितियों के लिए चुनाव कराए गए। जिला परिषदों के तहत 357 जिला पंचायत सदस्यों को चुना जाना है, जबकि पंचायत समितियों के लिए 2863 क्षेत्र पंचायत सदस्य सीटों पर मतदान हुआ। यही निर्वाचित सदस्य आगे चलकर जिला परिषद अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख का चुनाव करेंगे। चुनाव प्रक्रिया का यह दूसरा चरण भी सियासी रूप से बेहद अहम माना जा रहा है।
महिलाओं को मिला आधा प्रतिनिधित्व
स्थानीय निकाय चुनावों में इस बार भी 50 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित रहीं। इसका असर मतदान केंद्रों पर भी देखने को मिला, जहां कई इलाकों में महिला उम्मीदवारों और मतदाताओं की सक्रिय भागीदारी नजर आई। लंबे समय से लंबित इन चुनावों के बाद अब गांवों को दोबारा चुनी हुई पंचायत और जिला परिषद मिलने की उम्मीद जगी है।
छह महीने की देरी के बाद मतदान
दरअसल, जिला परिषद और पंचायत समिति के ये चुनाव मई 2025 में होने थे, लेकिन अलग-अलग कारणों से इनमें करीब छह महीने की देरी हुई। इस दौरान गांवों में विकास से जुड़े कई फैसले अटके रहे। अब चुनाव संपन्न होने के बाद माना जा रहा है कि ग्रामीण विकास से जुड़े काम फिर से रफ्तार पकड़ेंगे।
उम्मीदवारों की बड़ी मौजूदगी
इन चुनावों में मुकाबला काफी दिलचस्प रहा। पंचायत समिति के लिए 8098 और जिला परिषद के लिए 1249 उम्मीदवार मैदान में उतरे। लगभग हर बड़े राजनीतिक दल ने अपने समर्थकों और स्थानीय चेहरों को टिकट देकर पूरी ताकत झोंकी। यही वजह है कि कई जिलों में मुकाबला बेहद करीबी रहा।
क्यों कहा जा रहा है 2027 का सेमीफाइनल?
पंजाब की राजनीति में पंचायत और जिला परिषद चुनावों को हमेशा से अहम माना जाता है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि राज्य की करीब दो-तिहाई विधानसभा सीटें ग्रामीण इलाकों से आती हैं। औसतन चार से छह जिला पंचायत सदस्य मिलकर एक विधानसभा क्षेत्र का राजनीतिक रुझान तय करते हैं। यही कारण है कि इन चुनावों को 2027 विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल कहा जा रहा है।
गांवों की सियासी नब्ज टटोलने की कोशिश
राजनीतिक दल इन नतीजों के जरिए यह समझने की कोशिश करेंगे कि किस इलाके में उनका आधार मजबूत है और कहां कमजोरी है। क्षेत्रवार और जातिवार समीकरणों का आकलन भी इन्हीं आंकड़ों से किया जाएगा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जिला पंचायत सदस्यों को मिले वोट यह संकेत देते हैं कि कोई पार्टी जमीन पर कितनी मजबूत है।
सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच आरोपों की जंग
चुनाव के दौरान और बाद में सियासत भी गरम रही। आम आदमी पार्टी जहां इन चुनावों को अपनी ग्रामीण पकड़ की परीक्षा मान रही है, वहीं विपक्ष कांग्रेस, बीजेपी और अकाली दल ने आरोप लगाए कि सत्ताधारी पार्टी ने चुनाव प्रक्रिया में सरकारी तंत्र का फायदा उठाया। हालांकि आम आदमी पार्टी ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है।
किसके लिए कितना अहम रहा यह चुनाव?
यह चुनाव आम आदमी पार्टी के लिए इसलिए अहम है क्योंकि वह सत्ता में रहते हुए यह दिखाना चाहती है कि ग्रामीण पंजाब में उसका भरोसा बरकरार है। वहीं कांग्रेस इन नतीजों के जरिए 2027 में सत्ता वापसी की जमीन तैयार करना चाहती है। अकाली दल और बीजेपी के लिए यह चुनाव ग्रामीण इलाकों में अपनी राजनीतिक ताकत को दोबारा परखने का मौका है।
अब सबकी नजर 17 दिसंबर पर
अब असली तस्वीर 17 दिसंबर को सामने आएगी, जब मतगणना होगी। इन नतीजों से न सिर्फ जिला परिषद और ब्लॉक समितियों की सत्ता तय होगी, बल्कि यह भी साफ हो जाएगा कि 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले पंजाब की सियासत किस दिशा में बढ़ रही है।









