Rahul Gandhi Controversy: राहुल गांधी इस वक्त चर्चा में हैं, लेकिन उस वजह से नहीं, जिससे कोई नेता चर्चित होना चाहे। बीते कुछ दिनों में उन्होंने कई तीखे बयान दिए हैं, जिनमें चुनाव आयोग से लेकर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और दिवंगत नेता अरुण जेटली तक का ज़िक्र शामिल है। लेकिन हर बार उनका वार उल्टा पड़ता दिखा है। सवाल अब ये है कि क्या राहुल की रणनीति गड़बड़ा गई है या उन्हें सलाह देने वाला कोई नहीं बचा?
जेटली को लेकर बयान, जो आंकड़ों से मेल ही नहीं खा रहा- Rahul Gandhi Controversy
राहुल गांधी का ताज़ा विवाद उस वक्त शुरू हुआ जब उन्होंने दावा किया कि दिवंगत अरुण जेटली ने उन्हें कृषि कानूनों पर धमकाया था। लेकिन यहां बड़ी चूक हो गई, क्योंकि जेटली का निधन अगस्त 2019 में हुआ था, जबकि कृषि कानून तो 2020 में लाए गए। अब ये सवाल उठ रहे हैं कि क्या राहुल को तारीखें याद नहीं रहीं?
वहीं, बीजेपी और जेटली के परिवार ने इस पर सख्त आपत्ति जताई। बीजेपी ने इसे “शर्मनाक” करार दिया कि राहुल उन लोगों पर आरोप लगा रहे हैं जो अब इस दुनिया में नहीं हैं। याद रहे, 2019 में भी राहुल ने मनोहर पर्रिकर के साथ राफेल डील पर बातचीत का दावा किया था, जिसे पर्रिकर ने खुद खारिज कर दिया था।
ट्रंप से शुरू हुई बात, कांग्रेस के अंदर ही बवाल
राहुल गांधी ने संसद में कहा कि भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ अमेरिका के दबाव में रोका और ट्रंप को झूठा करार देने की मांग की। उन्होंने ट्रंप के उस बयान का समर्थन किया जिसमें भारत को ‘डेड इकॉनमी’ बताया गया था। इसके बाद मामला और उलझ गया।
अगर मोदी जी में 50% भी इंदिरा गांधी जितना दम है, तो संसद में साफ़ कहें – डोनाल्ड ट्रंप झूठ बोल रहे हैं!
कह दें कि न उन्होंने ceasefire कराया और न ही हमारे कोई plane गिरे।
सेना को अपनी छवि बचाने का ज़रिया मत बनाइए, मोदी जी! pic.twitter.com/Fbtu4OeYic
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 29, 2025
कांग्रेस के ही नेता शशि थरूर और राजीव शुक्ला ने राहुल की इस सोच से खुलकर असहमति जताई। यानी राहुल के बयान अब पार्टी के भीतर भी असहजता पैदा कर रहे हैं।
चुनाव आयोग पर भी गंभीर आरोप, लेकिन पीछे हटे
राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर पक्षपात के आरोप लगाए, खासतौर पर महाराष्ट्र और हरियाणा चुनावों को लेकर। लेकिन जब आयोग ने बातचीत के लिए बुलाया, तो वे मिलने नहीं पहुंचे। बीजेपी ने इसे “गंभीर आरोप और गैर-जिम्मेदार व्यवहार” बताया। वे यह भी याद दिलाते हैं कि कर्नाटक और हिमाचल में कांग्रेस को जीत उसी आयोग ने दिलाई, जिसे राहुल पक्षपाती बता रहे हैं।
चुनाव आयोग गलतफहमी में न रहे!
वोट चोरी करने के आपके हथकंडों के 100% पुख्ता सबूत हैं हमारे पास।
हम उन्हें सामने भी लाएंगे और आप इसके अंजाम से बच नहीं पाएंगे – लोकतंत्र और संविधान को बर्बाद करने की कोशिश करने वाले बक्शे नहीं जाएंगे। pic.twitter.com/gYAVbDo20O
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 24, 2025
पार्टी के अंदर से भी मिल रहा है विरोध
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस नेता आशीष दुआ ने साफ कहा कि हार की वजह चुनाव आयोग नहीं, बल्कि कांग्रेस की कमजोर रणनीति थी। यानी राहुल के आरोपों पर उनकी ही पार्टी भरोसा नहीं दिखा रही।
‘बोलो और निकल लो’ वाली राजनीति अब भारी पड़ रही है
राहुल गांधी की राजनीति अब ‘शूट एंड स्कूट’ यानी बयान दो और आगे बढ़ जाओ, जैसी हो गई है। लेकिन अब यही स्टाइल उनके खिलाफ जाने लगा है। बीजेपी हर बयान को पकड़कर उन्हें घेर रही है, और जनता अब सतर्क हो चुकी है।
2024 के चुनाव में राहुल गांधी का ‘संविधान खतरे में है’ कैंपेन जरूर चला, लेकिन उसके बाद वे एक के बाद एक बयान विवाद में फंसे हैं। जो छवि उन्होंने ईमानदार और निडर नेता की बनाई थी, वह अब गलत दावों और बिना फैक्ट चेक किए गए बयानों से कमजोर पड़ रही है।
क्या अब राहुल सोचेंगे दोबारा?
अब बड़ा सवाल यही है कि क्या राहुल गांधी अपनी रणनीति पर फिर से सोचेंगे? या फिर ऐसे ही बयान देते रहेंगे, जिनका फायदा विरोधी उठाते रहेंगे?
राजनीति में विरोध जरूरी है, लेकिन तथ्यों के साथ। वरना होता वही है जो इस हफ्ते हुआ – बहुत शोर, पर भरोसे की कमी।