Rahul Gandhi vs ECI Row: कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने चुनाव आयोग (ECI) को लेकर एक बार फिर सियासी माहौल गरमा दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर चुनाव आयोग पर गंभीर सवाल उठाए, जिसे आयोग ने “फर्जी और बेबुनियाद” बताया है। इस तीखी नोकझोंक ने भारतीय लोकतंत्र और चुनावी प्रक्रियाओं को लेकर बहस को फिर से हवा दे दी है।
राहुल गांधी के पांच सीधे सवाल- Rahul Gandhi vs ECI Row
राहुल गांधी ने अपने पोस्ट में चुनाव आयोग से पांच तीखे सवाल पूछे और लिखा: “भारत का लोकतंत्र बेशकीमती है – इसकी चोरी का अंजाम बहुत भयानक होगा। अब जनता बोल रही है – बहुत हुआ!”
❌ The statements made are Misleading #ECIFactCheck
✅Read in detail in the image given👇 https://t.co/y3n5esx7Xd pic.twitter.com/lbBsWHQjMG
— Election Commission of India (@ECISVEEP) August 8, 2025
उन्होंने जो पांच सवाल उठाए, वे सीधे तौर पर चुनाव आयोग की पारदर्शिता, निष्पक्षता और जवाबदेही पर सवाल खड़े करते हैं:
- विपक्ष को डिजिटल वोटर लिस्ट क्यों नहीं दी जा रही? क्या छिपा रहे हो?
- CCTV और वीडियो सबूत मिटाए जा रहे हैं – क्यों? किसके कहने पर?
- फर्जी वोटिंग और वोटर लिस्ट में गड़बड़ी क्यों हुई?
- विपक्षी नेताओं को डराने-धमकाने की कोशिश क्यों हो रही है?
- क्या चुनाव आयोग अब BJP का एजेंट बन चुका है? साफ-साफ बताओ।
चुनाव आयोग का सख्त जवाब
इन सवालों पर चुनाव आयोग ने विस्तृत प्रतिक्रिया जारी करते हुए सभी आरोपों को खारिज कर दिया। आयोग ने कहा कि राहुल गांधी के आरोप न केवल गलत हैं बल्कि जनता को गुमराह करने की कोशिश भी हैं।
पहला सवाल: आयोग ने कहा कि डिजिटल वोटर लिस्ट की मांग को पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने कमलनाथ बनाम ECI (2019) केस में खारिज कर दिया था। इसका मतलब है कि यह मांग कानूनी तौर पर स्वीकार्य नहीं है।
दूसरा सवाल: CCTV फुटेज मिटाने के आरोप पर आयोग ने स्पष्ट किया कि यदि कोई उम्मीदवार परिणामों को चुनौती देता है, तो हाई कोर्ट में याचिका दायर की जा सकती है, और ऐसे मामलों में CCTV फुटेज को सबूत के तौर पर सुरक्षित रखा जाता है। लेकिन अगर कोई याचिका ही नहीं दी गई तो फुटेज रखने का कोई औचित्य नहीं बनता।
273 साल का तर्क?
चुनाव आयोग ने तर्क दिया कि अगर देश भर के एक लाख पोलिंग स्टेशनों की CCTV फुटेज देखनी हो, तो यह लगभग 1 लाख दिन, यानी 273 साल का काम होगा। आयोग ने इसे व्यावहारिक और कानूनी रूप से अव्यवहारिक बताया।
राहुल ने खुद नहीं दी कोई शिकायत?
चुनाव आयोग ने ये भी बताया कि 2024 लोकसभा चुनाव के दौरान, कांग्रेस ने कुछ गिनी-चुनी आपत्तियाँ दर्ज कराई थीं, लेकिन राहुल गांधी की तरफ से कोई व्यक्तिगत शिकायत नहीं आई।
या तो दस्तखत करो, नहीं तो माफी मांगो
सबसे तीखी बात ये रही कि आयोग ने राहुल से कहा कि या तो वह अपने आरोपों पर नियम 20(3)(B) के तहत विधिवत घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करें, यानी औपचारिक रूप से अपना दावा दर्ज कराएं, या फिर देश से माफी मांगें।