Ritlal Yadav Surrender: RJD विधायक रीतलाल यादव ने कोर्ट में किया सरेंडर, पुलिस ने ठिकानों पर की थी छापेमारी

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Ritlal Yadav Surrender: बिहार के दानापुर से राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के विधायक रीतलाल यादव ने गुरुवार, 17 अप्रैल 2025 को दानापुर कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया। इस दौरान उनके साथ उनके सहयोगी चिक्कू यादव, पिंकू यादव, श्रवण यादव और अन्य भी कोर्ट में सरेंडर करने पहुंचे। रीतलाल यादव पर एक बिल्डर से जबरन वसूली, फर्जी दस्तावेज तैयार करने और जान से मारने की धमकी देने का गंभीर आरोप है। इस मामले में पुलिस ने ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए विधायक और उनके सहयोगियों के ठिकानों पर छापेमारी की थी, जिसके बाद यह कदम उठाया गया।

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पूरा मामला क्या है? (Ritlal Yadav Surrender)

पटना के एक नामी बिल्डर ने रीतलाल यादव और उनके सहयोगियों पर रंगदारी मांगने और जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाया था। इस शिकायत के आधार पर पुलिस ने 11 अप्रैल को रीतलाल यादव से जुड़े 11 ठिकानों पर छापेमारी की। छापेमारी के दौरान पुलिस ने 10.5 लाख रुपये नकद, 77 लाख रुपये के चेक, छह खाली चेक, जमीन हड़पने से संबंधित 14 दस्तावेज, 17 चेकबुक, पांच स्टांप, छह पेन ड्राइव और एक वॉकी-टॉकी बरामद किया। बिल्डर का कहना था कि रीतलाल यादव और उनके सहयोगी लंबे समय से उन्हें धमका रहे थे और उनके प्रोजेक्ट्स से हिस्सा मांग रहे थे। पुलिस ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू की थी, जिसके बाद विधायक ने कोर्ट में आत्मसमर्पण करने का निर्णय लिया।

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पत्नी का आरोप

यह पहला मामला नहीं है, जब रीतलाल यादव विवादों में आए हैं। 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान रीतलाल को आरजेडी से टिकट नहीं मिला था, जिसके बाद उनकी पत्नी और परिवार के अन्य सदस्य लालू प्रसाद यादव के आवास के बाहर धरने पर बैठ गए थे। उस समय पत्नी ने आरोप लगाया था कि रीतलाल और उनके सहयोगी आपराधिक गतिविधियों में लिप्त हैं, और पार्टी को इसकी जानकारी होने के बावजूद उन्हें संरक्षण दिया जा रहा है। हालांकि बाद में, लालू प्रसाद यादव ने परिवार को समझाकर मामला शांत कर दिया था।

रीतलाल यादव का विवादास्पद इतिहास

रीतलाल यादव का आपराधिक और राजनीतिक इतिहास काफी विवादास्पद रहा है। 2010 में, उन्होंने कई आपराधिक मामलों में कोर्ट में आत्मसमर्पण किया था और जेल से ही बिहार विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन वह हार गए थे। इसके बाद, 2015 में उन्होंने जेल में रहते हुए बिहार विधान परिषद (एमएलसी) का चुनाव निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़ा और जीत हासिल की। 2020 में रीतलाल ने आरजेडी के टिकट पर दानापुर से विधानसभा चुनाव लड़ा और बीजेपी की आशा देवी सिन्हा को हराकर विधायक बने।

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रीतलाल यादव पर हत्या, जबरन वसूली, अपहरण और जमीन हड़पने जैसे 42 से ज्यादा गंभीर आपराधिक मामलों में आरोप हैं, जिसमें बीजेपी नेता सत्यनारायण सिन्हा की हत्या का मामला भी शामिल है। उनके खिलाफ इन आरोपों के चलते यह माना जा रहा है कि उनका आपराधिक इतिहास और राजनीतिक प्रभाव उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई को और कठिन बना सकते हैं।

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