RSS Worker Boycott: दलित के घर खाने पर बवाल, RSS कार्यकर्ता को पंचायत ने सुनाया गंगा स्नान और शुद्धिकरण का फरमान!

RSS Worker Boycott
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RSS Worker Boycott: मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के पिपरिया पुआरिया गांव से सामने आया एक मामला समाज में अब भी मौजूद जातिगत भेदभाव और छुआछूत की सोच को उजागर करता है। यहां एक दलित परिवार के घर भोजन करने की वजह से एक व्यक्ति और उसके परिवार को सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ रहा है। मामला तब सुर्खियों में आया जब आरएसएस कार्यकर्ता भारत राज धाकड़ ने इसे जिला कलेक्टर के सामने सार्वजनिक सुनवाई के दौरान उठाया।

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श्राद्ध में भोजन के बाद शुरू हुआ विवाद (RSS Worker Boycott)

भारत राज धाकड़ ने बताया कि पिछले महीने उन्होंने अपने दो साथियों मनोज पटेल और शिक्षक सत्येंद्र रघुवंशी के साथ गांव के दलित परिवार के सदस्य संतोष पारोले के पिता के श्राद्ध समारोह में भोजन किया था। यह कार्यक्रम पूरी तरह सामाजिक और पारिवारिक था। इसी दौरान सत्येंद्र रघुवंशी ने भोजन का एक वीडियो बना लिया, जो बाद में सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। वीडियो सामने आते ही गांव के कुछ लोगों ने इस पर आपत्ति जतानी शुरू कर दी।

पंचायत का फरमान, “शुद्धि” की शर्त

विवाद बढ़ने पर गांव की पंचायत की बैठक बुलाई गई। पंचायत का नेतृत्व सरपंच भगवान सिंह पटेल ने किया। बैठक में बलराम पटेल, नागेंद्र पटेल, निरंजन पटेल, जवाहर पटेल, लखन धाकड़, लक्ष्मण दास, रामसेवक शर्मा, जसमान सिंह और उपसरपंच चंद्र प्रकाश जैसे प्रभावशाली लोग मौजूद थे। पंचायत ने कथित तौर पर यह फरमान सुनाया कि वाल्मीकि समाज के घर खाना खाना पाप है।

इतना ही नहीं, पंचायत ने तीनों लोगों से “शुद्धि” कराने की मांग रखी। इसमें गंगा में स्नान करने और पूरे गांव को सामूहिक भोज देने जैसी शर्तें शामिल थीं, ताकि उनके अनुसार किया गया ‘अपराध’ समाप्त हो सके।

दो ने झुका लिया सिर, एक ने किया विरोध

पंचायत के दबाव में आकर मनोज पटेल और सत्येंद्र रघुवंशी ने यह अनुष्ठान कर लिया। हालांकि, भारत राज धाकड़ ने इसे असंवैधानिक और गलत बताते हुए साफ इनकार कर दिया। धाकड़ ने कहा कि वे आरएसएस से जुड़े हैं और छुआछूत जैसी सोच में विश्वास नहीं रखते। उनके मुताबिक, किसी के घर खाना खाना अपराध नहीं हो सकता।

परिवार पर सामाजिक बहिष्कार का आरोप

धाकड़ का दावा है कि पंचायत के फैसले के बाद से उनके पूरे परिवार को सामाजिक बहिष्कार झेलना पड़ रहा है। उनके पिता निरंजन सिंह को गांव के किसी भी समारोह में नहीं बुलाया जाता। लोग उनसे बातचीत तक नहीं करते और परिवार को रोजाना अपमान और भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है।

प्रशासन से न्याय की गुहार

भारत राज धाकड़ ने बताया कि उन्होंने पहले इस मामले की शिकायत एसडीएम और पुलिस से की थी, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद उन्होंने जिला कलेक्टर अरुण कुमार विश्वकर्मा के सामने नया आवेदन देकर तत्काल हस्तक्षेप की मांग की।

मंत्री के प्रयास भी नहीं बदले हालात

यह मामला इसलिए भी चौंकाने वाला है क्योंकि पिपरिया पुआरिया गांव उदयपुरा विधानसभा क्षेत्र में आता है, जहां से राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नरेंद्र शिवाजी पटेल विधायक हैं। कुछ हफ्ते पहले मंत्री ने सामाजिक सद्भाव का संदेश देने के लिए एक दलित परिवार के घर सार्वजनिक रूप से भोजन किया था। बावजूद इसके, गांव की पंचायत के रवैये में कोई बदलाव नजर नहीं आया।

सार्वजनिक सुनवाई के दौरान जब यह मामला कलेक्टर के सामने आया, तो उन्होंने इस पर कड़ी आपत्ति जताई। अब सभी की नजर प्रशासन की अगली कार्रवाई पर टिकी है, जिससे यह तय होगा कि गांव में फैले इस भेदभाव पर कब और कैसे रोक लगती है।

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