Tharoor vs John Brittas: भारत की “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत वैश्विक कूटनीतिक पहल के दौरान केरल सरकार द्वारा 2023 में भूकंप से प्रभावित तुर्की को ₹10 करोड़ की वित्तीय मदद देने पर राजनीतिक विवाद गरमाया हुआ है। कांग्रेस सांसद और लोकसभा की विदेश मामलों की स्थायी समिति के अध्यक्ष शशि थरूर ने इस कदम को गलत प्राथमिकता की उदारता करार दिया, जबकि सीपीआई (एम) के राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास ने उन्हें “चुनिंदा स्मृति” का शिकार बताया। दोनों नेता फिलहाल “ऑपरेशन सिंदूर” के बहु-दलीय प्रतिनिधिमंडलों का हिस्सा हैं, जो पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ भारत की स्थिति को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मजबूत करना चाहते हैं।
थरूर का आरोप: केरल सरकार की प्राथमिकताएं गलत- Tharoor vs John Brittas
थरूर “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत अमेरिका, पनामा, गयाना, ब्राजील और कोलंबिया के दौरे पर हैं। उन्होंने केरल सरकार की 2023 में तुर्की को दी गई सहायता पर सवाल उठाए। उनका कहना था कि जब केरल के वायनाड जैसे जिले में जुलाई 2024 में भीषण भूस्खलन हुआ, जिसमें लगभग 300 लोग मारे गए और कई गांव तबाह हो गए, तब वहां के लोगों को मदद की ज्यादा जरूरत थी। उन्होंने कहा, “उम्मीद है कि केरल सरकार अब दो साल बाद तुर्की के व्यवहार को देखकर अपनी गलत उदारता पर पुनर्विचार करेगी।”
जॉन ब्रिटास का पलटवार: थरूर के बयान को केरल विरोधी करार
दूसरी ओर, सीपीआई (एम) के राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास ने थरूर के आरोपों को एकतरफा और पक्षपाती बताया। वे “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, मलेशिया और इंडोनेशिया की यात्रा कर रहे हैं। ब्रिटास ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म “एक्स” पर लिखा, “थरूर के लिए मेरा सम्मान है, लेकिन यह टिप्पणी एकतरफा याददाश्त की निशानी है। क्या उन्हें नहीं पता कि केंद्र सरकार ने भी 2023 में ‘ऑपरेशन दोस्त’ के तहत तुर्की और सीरिया को राहत सामग्री और एनडीआरएफ की टीमें भेजी थीं?”
यहाँ “ऑपरेशन दोस्त” भारत सरकार की वह पहल थी, जिसके तहत 2023 के भूकंप के बाद तुर्की और सीरिया को तत्काल राहत पहुंचाई गई।
केरल सरकार का पक्ष
केरल के वित्त मंत्री के एन बालगोपाल ने थरूर की आलोचना को अनुचित करार दिया। उन्होंने कहा, “2023 में जब तुर्की में विनाशकारी भूकंप आया, तब हमने मानवीय आधार पर सहायता भेजी थी। यह राशि विदेश मंत्रालय के माध्यम से दी गई थी। अब दो साल बाद इसे 2025 के सीमा विवाद से जोड़ना सही नहीं होगा।”
वायनाड की मांग और केंद्र सरकार पर आरोप
केरल सरकार ने वायनाड भूस्खलन के बाद केंद्र सरकार से ₹2,000 करोड़ की विशेष सहायता की मांग की थी, लेकिन उनका आरोप है कि भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने कोई खास पैकेज नहीं दिया। इस मामले को लेकर सीपीआई (एम) वायनाड जिले में मार्च निकाल रही है और केंद्र सरकार को क्षेत्र की उपेक्षा का आरोप लगा रही है।