Sadhvi Niranjan Jyoti: उत्तर प्रदेश में 2027 के विधानसभा चुनाव में अभी दो साल का वक्त भले ही बाकी हो, लेकिन राजनीतिक हलचलें अभी से गर्म हो चुकी हैं। सभी दल अपनी-अपनी रणनीतियों को धार दे रहे हैं, और इसी दौड़ में भारतीय जनता पार्टी भी पीछे नहीं है। यूपी में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में लगातार तीसरी बार सत्ता हासिल करने के इरादे से बीजेपी संगठन को मजबूत बनाने और नए समीकरण तैयार करने में जुटी है। इसी बीच पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर चर्चाएं बेहद तेज हो गई हैं।
बीजेपी यूपी अध्यक्ष की कुर्सी के लिए कई नामों की चर्चा है, लेकिन साध्वी निरंजन ज्योति की अचानक आई ‘दिल्ली विज़िट’ ने सियासी हवा को एकदम से बदल दिया है। माना जा रहा है कि पार्टी उन्हें यूपी का अगला प्रदेश अध्यक्ष बनाकर बड़ा दांव खेल सकती है एक ऐसा दांव जो हिंदुत्व, महिला सशक्तिकरण और पिछड़े वर्ग, तीनों संकेत एक साथ देगा।
नड्डा से मुलाकात ने बढ़ाई अटकलें (Sadhvi Niranjan Jyoti)
पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री और फतेहपुर की सांसद रह चुकीं साध्वी निरंजन ज्योति ने हाल ही में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की। यह मुलाकात ऐसे समय हुई है जब पार्टी यूपी में अध्यक्ष पद के लिए नए चेहरे की तलाश में है। साध्वी ने इसे ‘सिर्फ शिष्टाचार भेंट’ बताया, लेकिन सियासी गलियारों में इसका मतलब कुछ और निकाला जा रहा है।
उन्होंने एक्स पर नड्डा से मुलाकात की तस्वीर पोस्ट की और बिहार चुनाव में शानदार जीत पर बधाई भी दी। लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि साध्वी की यह मुलाकात सिर्फ औपचारिकता नहीं, बल्कि 2027 से पहले बीजेपी के संगठनात्मक बदलाव का संकेत है।
क्यों बढ़ा साध्वी निरंजन ज्योति का कद?
साध्वी निरंजन ज्योति की छवि एक कट्टर हिंदुत्ववादी और फायरब्रांड नेता की रही है। वे अति पिछड़े निषाद-मल्लाह समाज से आती हैं, जो यूपी की राजनीति में बेहद महत्वपूर्ण सामाजिक समूह माना जाता है। बीजेपी के भीतर माना जा रहा है कि एक महिला नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर पार्टी बड़ा संदेश दे सकती है, Hindutva + OBC + Women card तीनों को एक साथ साधा जा सकता है, और विपक्ष, खासकर समाजवादी पार्टी के पीडीए (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) समीकरण को सीधे चुनौती दी जा सकती है।
साध्वी की संगठन पर पकड़ और कार्यकर्ताओं में उनकी मजबूत पकड़ को देखते हुए उन्हें एक प्रभावी विकल्प कहा जा रहा है।
बिहार चुनाव में अहम भूमिका ने बढ़ाई उम्मीदें
बीजेपी ने हाल ही में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में साध्वी निरंजन ज्योति को सह-पर्यवेक्षक बनाकर भेजा था। वहां पार्टी को जबरदस्त सफलता मिली। उनके ग्राउंड मैनेजमेंट और आक्रामक अभियान ने उनकी नेतृत्व क्षमता को और मजबूत किया। इसीलिए यूपी के अध्यक्ष पद के लिए उनके नाम की चर्चा और तेज हो गई है।
बीजेपी सूत्रों का मानना है कि बिहार में महिलाओं द्वारा पार्टी को मिले भारी समर्थन ने भी इस संभावना को और मजबूत किया है कि यूपी में एक महिला चेहरा सामने लाया जाए।
सपा के ‘पीडीए फॉर्मूले’ को काउंटर करने की तैयारी
अखिलेश यादव ने पिछले लोकसभा चुनाव में पीडीए (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) का नारा देकर बीजेपी को कड़ी चुनौती दी थी। बीजेपी ने कई सीटें खोई थीं। अब पार्टी चाहती है कि अगले चुनाव में विपक्ष के इस समीकरण को तोड़ा जाए। साध्वी निरंजन ज्योति को प्रदेश अध्यक्ष बनाना इस रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है जिससे ओबीसी वोटबैंक को साधा जाए, हिंदुत्व का संदेश बरकरार रखा जाए और महिला नेतृत्व का नया संदेश भी जाए।
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