Uttarakhand Marriage Law: उत्तराखंड की राजनीति उस समय गर्मा गई जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने पूर्व विधायक सुरेश राठौड़ को पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया। उन पर आरोप है कि उन्होंने अपनी पहली पत्नी को तलाक दिए बिना दूसरी शादी कर ली, जो कि राज्य में लागू यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) के नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है। यह मामला अब सिर्फ राजनीतिक नहीं रह गया है, बल्कि कानूनी मोड़ ले चुका है।
UCC के तहत बहुविवाह अपराध- Uttarakhand Marriage Law
भाजपा ने विधानसभा चुनाव 2022 से पहले यह वादा किया था कि अगर पार्टी सत्ता में आती है तो राज्य में समान नागरिक संहिता लागू की जाएगी। चुनाव में जीत हासिल करने के बाद पार्टी ने अपने इस वादे को निभाया और 27 जनवरी 2025 से UCC को विधिवत लागू कर दिया गया। इस संहिता के अंतर्गत शादी, तलाक, गोद लेना, लिव-इन रिलेशनशिप और उत्तराधिकार जैसे मसलों पर सभी धर्मों के लिए एक समान कानून बनाया गया है।
UCC का सबसे बड़ा असर विवाह व्यवस्था पर पड़ा है। इसके अनुसार, कोई भी व्यक्ति पहली पत्नी के रहते हुए दूसरी शादी नहीं कर सकता। यदि ऐसा पाया गया तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। कानून के तहत दोषी को छह महीने की जेल या ₹50,000 का जुर्माना या फिर दोनों सजा हो सकती है। जुर्माना न भरने पर एक अतिरिक्त महीने की कैद का भी प्रावधान है।
पूर्व विधायक पर लगे गंभीर आरोप
हरिद्वार के ज्वालापुर से पूर्व विधायक सुरेश राठौड़ एक वायरल वीडियो के चलते विवादों में आ गए, जिसमें वे सहारनपुर की अभिनेत्री उर्मिला सनावर को अपनी दूसरी पत्नी के रूप में सबके सामने प्रस्तुत करते नजर आ रहे हैं। यह वीडियो सामने आते ही भाजपा की छवि को ठेस पहुंची, क्योंकि यह मामला उस कानून के सीधे उल्लंघन से जुड़ा था जिसे पार्टी ने हाल ही में लागू किया है।
पार्टी ने राठौड़ को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगा था, लेकिन उनके स्पष्टीकरण से पार्टी नेतृत्व संतुष्ट नहीं हुआ। इसके बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के निर्देश पर उन्हें पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया गया।
अब कानूनी कार्रवाई की बारी
राजनीतिक कार्रवाई के बाद अब सुरेश राठौड़ के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी तय मानी जा रही है। चूंकि उन्होंने अपनी पहली पत्नी से तलाक नहीं लिया था और दूसरी शादी कर ली, यह UCC के उल्लंघन के अंतर्गत आता है। ऐसे में अब उन्हें जेल की सजा और भारी जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है।
UCC के प्रमुख प्रावधान
उत्तराखंड में लागू समान नागरिक संहिता के तहत:
- शादी का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है, ग्रामीण स्तर पर भी यह सुविधा उपलब्ध है।
- तलाक के लिए सभी धर्मों के लिए एक समान कानून है।
- बहुविवाह पर पूर्ण प्रतिबंध है।
- सभी धर्मों की महिलाओं को उत्तराधिकार में बराबर का अधिकार है।
- लिव-इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन जरूरी है और 18-21 वर्ष के युवाओं को माता-पिता की अनुमति लेनी होगी।
- हलाला जैसी प्रथाएं समाप्त कर दी गई हैं।
- ट्रांसजेंडर और धार्मिक परंपराओं को UCC के दायरे से बाहर रखा गया है।