Vice President Jagdeep Dhankhar: जब से उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने इस्तीफे का ऐलान किया है, राजनीतिक माहौल गरमा गया है। उनके अचानक अपने पद से इस्तीफा देने की बात हर किसी के लिए पचा पाना मुश्किल है। हालाँकि उन्होंने अपने इस्तीफे के पीछे स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया है, लेकिन इसके बाद दिल्ली की राजनीति में कई सवाल खड़े हो गए हैं। एक तरफ जहाँ सत्ता पक्ष खामोश है, वहीं विपक्ष इस मुद्दे पर कई तरह के कयास लगा रहा है। इस्तीफे से पहले जिन घटनाओं और सवालों ने तूल पकड़ा था, वे अब चर्चा का मुख्य विषय बन गए हैं। तो आइए आपको धनखड़ के इस्तीफे के पीछे की पूरी इनसाइड स्टोरी बताते हैं।
क्या था इस्तीफे का असली कारण? (Vice President Jagdeep Dhankhar)
जगदीप धनखड़ का इस्तीफा स्वास्थ्य कारणों से दिया गया, यह बात खुद उनके पत्र में लिखी गई है, लेकिन राजनीति के जानकारों का मानना है कि इसके पीछे कुछ और कारण भी हो सकते हैं। इस्तीफे के तुरंत बाद विपक्षी नेताओं ने सवाल उठाना शुरू कर दिया कि क्या यह इस्तीफा सचमुच स्वास्थ्य समस्याओं के कारण था या फिर यह किसी राजनीतिक दबाव का नतीजा था। सोशल मीडिया पर यह सवाल भी उछला कि कल तक राज्यसभा की कार्यवाही में सक्रिय भूमिका निभाने वाले उपराष्ट्रपति के स्वास्थ्य में अचानक इतना बदलाव कैसे आ गया कि उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।
जगदीप धनखड़ ने अचानक इस्तीफा क्यों दिया? मुझे लगता है कि वो सरकार के लिए embarrassment बनते जा रहे थे. परेशानियां पैदा करने लगे थे. इसीलिए उन्हें इस्तीफा देने को कहा गया. मैं आपको अंदर की बात बताता हूं कि टकराव कैसे शुरू हुआ. कहां तक गया, ये समझाता हूं. पहली बात, जगदीप धनखड़ जब… pic.twitter.com/UNTn1FKCAq
— Rajat Sharma (@RajatSharmaLive) July 22, 2025
विपक्ष की प्रतिक्रिया और संभावित दबाव
विपक्ष के नेताओं का मानना है कि यह इस्तीफा कोई व्यक्तिगत कारण नहीं, बल्कि राजनीतिक दबाव का नतीजा हो सकता है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में लिखा कि 21 जुलाई को दिन में 12:30 बजे जगदीप धनखड़ ने राज्यसभा की कार्य मंत्रणा समिति की बैठक की अध्यक्षता की थी। लेकिन उसी दिन शाम को बैठक के लिए फिर से जब धनखड़ जी मौजूद थे, तो जेपी नड्डा और किरेन रिजिजू ने बैठक में भाग नहीं लिया। रमेश ने यह भी दावा किया कि धनखड़ को इस बात की जानकारी पहले से नहीं दी गई, जिससे उन्हें बहुत गुस्सा आया और उन्होंने अगली बैठक को टाल दिया। इस घटना के बाद जयराम रमेश ने यह संकेत दिया कि सरकार और उपराष्ट्रपति के बीच अनबन हो सकती है, जो इस्तीफे का कारण बन सकती है।
स्वास्थ्य या राजनीतिक कारण?
वहीं, उपराष्ट्रपति के इस्तीफे के पीछे स्वास्थ्य कारण बताये गए हैं, लेकिन सत्ता पक्ष के खामोश रहने और राजनीतिक हलकों में तूल पकड़ रही बातों से यह स्पष्ट होता है कि कुछ और कारण भी हो सकते हैं। जिस तरह से जगदीप धनखड़ ने महाभियोग के मुद्दे पर बिना किसी पूर्व जानकारी के राज्यसभा में कदम उठाया, उसने सत्ता पक्ष को असहज कर दिया था। इस दौरान उनकी आलोचना भी हुई थी, क्योंकि राज्यसभा में जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव के लिए बिना किसी चर्चा के कदम उठा लिया गया था। यह कदम सत्ता पक्ष को निराश कर सकता था, और हो सकता है कि इसी वजह से उन्हें इस्तीफा देने का दबाव बनाया गया हो।
धनखड़ की अचानक चुप्पी
इस्तीफे के बाद सबसे बड़ा सवाल यह है कि उपराष्ट्रपति ने किसी भी प्रकार का विदाई भाषण क्यों नहीं दिया। परंपरा के अनुसार, जब किसी वरिष्ठ पदाधिकारी का इस्तीफा होता है, तो वह सार्वजनिक रूप से एक विदाई भाषण देते हैं। लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं हुआ। इस पर राजनीतिक विश्लेषक यह मानते हैं कि यह चुप्पी सत्ता पक्ष के भीतर के मतभेदों को उजागर करती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा बीजेपी के नेताओं ने भी कोई विशेष प्रतिक्रिया नहीं दी, जिससे इस पूरे घटनाक्रम को लेकर और भी सवाल खड़े हो गए हैं।
क्या है सरकार और उपराष्ट्रपति के बीच मतभेद?
बताया जा रहा है कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की कुछ टिप्पणियां और फैसले सरकार के लिए परेशानी का कारण बने थे। विशेष रूप से, जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को लेकर उनका रुख सरकार के पक्ष में नहीं था। इसके अलावा, सत्ता पक्ष ने यह भी महसूस किया कि धनखड़ की भूमिका में और विपक्ष के प्रति नरमी बढ़ी थी, जो सरकार के लिए चिंता का विषय बन गया था।
क्या है अगले उपराष्ट्रपति के चयन की स्थिति?
अब सवाल यह है कि आगे क्या होगा? क्या बीजेपी अपनी तरफ से किसी विश्वसनीय और पार्टी लाइन से जुड़े उम्मीदवार को उपराष्ट्रपति बनाएगी, या फिर कोई ऐसा व्यक्ति चुनेगी जो विपक्ष को भी संतुष्ट कर सके? सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेश दौरे के बाद ही इस मुद्दे पर कोई नई चर्चा शुरू होगी, लेकिन नियम के अनुसार 60 दिनों के भीतर नए उपराष्ट्रपति का चुनाव करना होगा।
नए उपराष्ट्रपति का चयन और आगे की राजनीति
जगदीप धनखड़ का इस्तीफा भारतीय राजनीति के लिए एक बड़ा मुद्दा बन चुका है। हालांकि, इसका पूरी तरह से स्वास्थ्य कारणों से होना भी साफ नहीं है। सत्ता पक्ष की चुप्पी और विपक्ष के सवालों से यह संकेत मिलता है कि उपराष्ट्रपति पद के इस्तीफे के पीछे राजनीतिक कारण हो सकते हैं। अब सभी की निगाहें इस बात पर हैं कि एनडीए द्वारा नया उपराष्ट्रपति उम्मीदवार किसे चुना जाएगा, और क्या यह कोई विवादों से बचने वाला व्यक्ति होगा या एक ऐसा चेहरा होगा जो सत्ता और विपक्ष के बीच संतुलन बनाए रख सके।