Vice Presidential Election: देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए मंगलवार को संसद भवन में मतदान होने जा रहा है। इस बार मुकाबला सिर्फ दो उम्मीदवारों के बीच नहीं, बल्कि संख्याबल बनाम विचारधारा के बीच है। कुल 782 सांसदों (543 लोकसभा और 239 राज्यसभा सदस्य) में से जिसे भी 391 का जादुई आंकड़ा मिल जाएगा, वो देश का अगला उपराष्ट्रपति बन जाएगा।
जहां एक ओर सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन को पहले से ही भारी समर्थन हासिल है, वहीं विपक्षी INDIA ब्लॉक ने वैचारिक लड़ाई का दावा करते हुए अपने उम्मीदवार को मैदान में उतारा है।
कौन किसके साथ: समर्थन की स्थिति क्या है? Vice Presidential Election
खबरों की मानें तो, एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन को जीत के लिए जरूरी 391 से कहीं ज़्यादा करीब 427 सांसदों का समर्थन मिल चुका है। बीजेपी के पास अकेले लोकसभा में 240 और राज्यसभा में 100 के करीब सांसद हैं। सहयोगी दलों टीडीपी (18 सांसद), जेडीयू (16), लोक जनशक्ति पार्टी (5), शिवसेना शिंदे गुट (10), जनता दल सेक्युलर (6), जन सेना पार्टी (2), आरएलडी (2) के साथ मिलकर ये आंकड़ा लगातार बढ़ता गया है।
इसके अलावा, वाईएसआर कांग्रेस (22 सांसद) ने भी खुले तौर पर एनडीए उम्मीदवार को समर्थन देने का एलान किया है। साथ ही, एजीपी, एजेएसयू, एचएएम, एनसीपी (अजीत पवार गुट), एसकेएम और कुछ निर्दलीय सांसदों का भी समर्थन इन्हें मिल रहा है।
विपक्ष INDIA ब्लॉक के पास हैं 324 सांसद
विपक्षी गठबंधन INDIA के उम्मीदवार सुदर्शन रेड्डी को करीब 324 सांसदों का समर्थन मिला है। कांग्रेस (126 सांसद), समाजवादी पार्टी (41), टीएमसी (42), डीएमके (32), शिवसेना उद्धव गुट (11), एनसीपी (शरद पवार गुट – 10), राजद (9), वामदल (सीपीएम+सीपीआई – 12) और अन्य छोटे दलों के सांसद भी इस गठबंधन के साथ हैं।
हालांकि, बीजेडी (7 सांसद), बीआरएस (4) और अकाली दल ने मतदान से दूरी बनाने का फैसला किया है, जिससे यह मुकाबला और भी एकतरफा होता नजर आ रहा है।
मुकाबला तय, लेकिन संदेश बड़ा
इस बार उपराष्ट्रपति चुनाव संख्याओं का खेल जरूर है, लेकिन विपक्ष इसे विचारों की लड़ाई बता रहा है। सुदर्शन रेड्डी की उम्मीदवारी भले ही जीत की दौड़ में न हो, लेकिन वो अपने को संवैधानिक मूल्यों और लोकतांत्रिक विचारों का प्रतीक बताकर मैदान में डटे हैं।
दूसरी तरफ, एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन को क्लीन स्वीप मिलने की पूरी उम्मीद है। उनके समर्थन में इतने सांसद खड़े हैं कि विपक्ष के पास कोई व्यावहारिक समीकरण नहीं बचा है।
नतीजे लगभग तय, औपचारिक ऐलान बाकी
राजनीतिक समीकरणों को देखें तो सीपी राधाकृष्णन की जीत अब सिर्फ औपचारिकता भर लगती है। इतना बड़ा बहुमत मिलने के बाद भी एनडीए अपने सभी सांसदों को मतदान में शामिल रहने की अपील कर रहा है, ताकि कोई अप्रत्याशित स्थिति न बने।
वहीं, INDIA ब्लॉक ने भी अपने सांसदों को “विचारधारा की जीत” के लिए मतदान करने को कहा है।
उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया- How are vice presidents elected
आइए अब उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया के बारे में भी जान लें। उपराष्ट्रपति का चुनाव लोकसभा और राज्यसभा के कुल 781 सांसदों द्वारा किया जाता है। जीतने के लिए किसी भी उम्मीदवार को कम से कम 392 वोटों की जरूरत है।
भारतीय संविधान के अनुसार, उपराष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष होता है, जिसमें केवल सांसदों को ही वोट देने का अधिकार होता है। चुनाव के लिए, उम्मीदवार को कम से कम 20 सांसदों के प्रस्तावकों और समर्थकों की आवश्यकता होती है। चुनाव प्रणाली के तहत, सभी सांसदों को प्राथमिकता के आधार पर अपनी पसंद के उम्मीदवार को वोट देना होता है। यदि किसी भी उम्मीदवार को आवश्यक बहुमत नहीं मिलता है, तो चुनावी प्रक्रिया जारी रहती है और फिर सबसे कम वोट पाने वाले उम्मीदवार को बाहर कर दिया जाता है, उनके वोट अगले उम्मीदवार को ट्रांसफर कर दिए जाते हैं।