मिलिए दुनिया के सबसे बड़े इलेक्शन लूजर से, 238 बार हारे, फिर भी लड़ेंगे लोकसभा चुनाव 2024

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Who is K Padmarajan – लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखों का ऐलान हो गया है। 18वीं लोकसभा के लिए अगले महीने 19 से 1 जून के बीच सात चरणों में मतदान होगा। इसके नतीजे 4 जून को आएंगे। जहां हर राजनीतिक दल को लोकसभा में अपनी जीत की उम्मीद है, वहीं एक शख्स ऐसा भी है जो पिछले 36 साल से चुनाव लड़ रहा है, लेकिन जीतने के लिए नहीं बल्कि हारने के लिए ही। दरअसल तमिलनाडु के मेट्टूर में रहने वाले 65 साल के के पद्मराजन ऐसे ही हैं। 238 बार चुनाव हारने के बावजूद वह इस बार भी लोकसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं।

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इलेक्शन लूजर का मिला खिताब – Who is K Padmarajan

के पद्मराजन चुनाव में इतनी बार हार चुके हैं की अब वह दुनिया के सबसे बड़े इलेक्शन लूजर बन गए हैं। उन्होंने 1988 से चुनाव लड़ना शुरू किया था। उस वक्त उनके इस फैसले को लेकर कई लोगों ने उनका मजाक भी उड़ाया था। हालांकि, इन सबका उन पर कभी कोई फर्क नहीं पड़ा और वे चुनाव लड़ते रहे। दरअसल, चुनाव लड़ने के पीछे उनका विचार आम जनता को भी चुनाव लड़ने के लिए प्रोत्साहित करना था।

हारकर भी खुश हैं पद्मराजन

के पद्मराजन ने स्थानीय चुनाव से लेकर लोकसभा चुनाव तक सभी चुनाव लड़े हैं। इतना ही नहीं उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में भी अपनी उम्मीदवारी पेश की है। हालांकि, हर जगह और हर बार उन्हें हार ही मिली है। अपनी हार को लेकर पद्मराजन कहते हैं कि “सभी उम्मीदवार चुनाव में जीतना चाहते हैं। लेकिन मेरे लिए जीत तो चुनाव में भाग लेना है। मेरी हार पहले से ही तय होती है लेकिन मैं हारकर भी खुश होता हूं।”

लिम्का बुक में दर्ज है रिकॉर्ड – Who is K Padmarajan

के पद्मराजन का नाम सबसे असफल उम्मीदवार के तौर पर लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज है। हालांकि, उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2011 में था, जब वह मेट्टूर में विधानसभा चुनाव में खड़े हुए थे। तब उस चुनाव में उन्हें 6,273 वोट मिले थे।

चुनाव पर करोड़ो रुपए कर चुके हैं खर्च

के पद्मराजन (Who is K Padmarajan) एक टायर की दुकान के मालिक हैं, इसके अलावा वह एक होम्योपैथी डॉक्टर भी हैं। फिर भी वह चुनाव लड़कर नेता बनना चाहते हैं और इसी जुनून के चलते उन्होंने अपनी कमाई का ज्यादातर हिस्सा चुनाव लड़ने में लगा दिया है। चुनावों पर होने वाले खर्च को पद्मराजन ने कहा, ‘मेरे सामने कौन उम्मीदवार है, मुझे इससे फर्क नहीं पड़ता। मुझे बस अपनी हार का सिलसिला आगे बढ़ाना है। नामांकन के नाम पर 30 सालों में मेरे एक करोड़ से ज्यादा खर्च हो गए हैं।’

खबरों की मानें तो, इस लोकसभा चुनाव के लिए उन्होंने ₹25,000 की राशि जमा की है, जो तब तक वापस नहीं की जाएगी जब तक कि वो 16% से ज़्यादा वोट अर्जित नहीं कर लेते हैं।

और पढ़ें: मुख्तार के खिलाफ वो 5 चर्चित केस, जिसने बनाया उसे जुर्म की दुनिया का ‘शैतान’  

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