Amla Navami: आंवला नवमी, जिसे अक्षय नवमी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इसे हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते है इस साल ये कब है और इसके पीछे की क्या कहानी हैं। अगर नहीं तो चलिए आपको इस लेख में आंवला नवमी के बारे में विस्तार से बताते हैं।
जानें कब हैं आंवला नवमी?
क्यों होती हैं आंवले के पेड़ की पूजा
पौराणिक कथा के अनुसार, धन और समृद्धि की देवी, देवी लक्ष्मी एक बार पृथ्वी पर भ्रमण पर आईं। वहाँ पहुँचकर, उनके मन में अपने पति भगवान विष्णु और अपने प्रिय भगवान शिव, दोनों की एक साथ पूजा करने की तीव्र इच्छा हुई। लक्ष्मी उस स्थान या वृक्ष के बारे में सोचने लगीं जहाँ दोनों देवता एक साथ निवास करते हैं। तब उन्हें पता चला कि आंवले का वृक्ष ही एकमात्र ऐसा वृक्ष है जिसके तने और शाखाओं में भगवान विष्णु और पत्तों और फलों में भगवान शिव निवास करते हैं।
यह जानकर, देवी लक्ष्मी ने तुरंत आंवले के पेड़ की पूजा शुरू कर दी, और पेड़ को मन ही मन भगवान विष्णु और शिव का प्रतीक माना। पूजा के बाद, उन्होंने उसी वृक्ष के नीचे अपने हाथों से भोजन तैयार किया और दोनों देवताओं को भोग लगाया। देवी लक्ष्मी की इस भक्तिपूर्ण पूजा से प्रसन्न होकर, भगवान विष्णु और भगवान शिव, दोनों साक्षात् प्रकट हुए और देवी लक्ष्मी को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद दिया। इसके बाद, देवी लक्ष्मी ने स्वयं देवताओं से प्रसाद के रूप में भोजन ग्रहण किया।
आंवला नवमी का महत्व
आपको बता दें, हिंदू धर्म के अनुसार, आंवला नवमी का व्रत विधि-विधान से करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन आंवला का सेवन अमृत के समान माना जाता है। यह व्रत वैवाहिक सुख, बच्चो की सलामती और लम्बी आयु की कामना के लिए भी किया जाता है। उत्तर भारत के कई हिस्सों में इसे आंवला एकादशी या आंवला पर्व के नाम से भी जाना जाता है।



