Bihar Shakti Peeth Tour: हिंदू धर्म में शक्ति पीठों का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि जब भगवान शिव देवी सती के मृत शरीर को लेकर तांडव कर रहे थे, तब भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से उनके अंगों को काटकर गिरा दिया। जहां-जहां देवी सती के अंग गिरे, वहां शक्तिपीठ स्थापित हुए। भारत भर में फैले 51 शक्तिपीठों में से कई बिहार में स्थित हैं, जो भक्तों के लिए आस्था और भक्ति का केंद्र हैं। आइए जानते हैं बिहार के उन प्रमुख शक्तिपीठों के बारे में, जो आध्यात्मिक ऊर्जा से परिपूर्ण हैं।
बड़ी पटनदेवी, पटना- Bihar Shakti Peeth Tour
पटना में स्थित यह शक्तिपीठ देवी सती की दाहिनी जंघा के गिरने से जुड़ा है। यहां काले पत्थरों से निर्मित महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती की मूर्तियां विराजमान हैं। स्थानीय मान्यता है कि यहां पूजन से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
छोटी पटनदेवी, हाजीगंज
बड़ी पटनदेवी से लगभग 3 किलोमीटर दूर यह मंदिर हाजीगंज क्षेत्र में है। पौराणिक कथा के अनुसार यहां सती का पट और वस्त्र गिरे थे। मंदिर में तीनों देवियों की मूर्तियां स्थापित हैं और यह भी एक शक्तिपीठ माना जाता है।
शीतला मंदिर, मघरा गांव
बिहारशरीफ के पास मघरा गांव में स्थित यह मंदिर भी एक प्राचीन शक्तिपीठ है। कहा जाता है कि यहां सती के हाथ का कंगन गिरा था। यहां जल चढ़ाने से बीमारियों से राहत मिलने की मान्यता है। मंदिर परिसर में एक प्राचीन कुआं भी है।
मंगला गौरी मंदिर, गया
गया शहर में स्थित यह मंदिर शक्तिपीठों में अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहां देवी सती का स्तन गिरा था। मंदिर तक 115 सीढ़ियों से चढ़कर पहुंचा जा सकता है। इस स्थल को ‘पालनपीठ’ भी कहा जाता है। यहां श्रद्धालु अपने पितरों के श्राद्ध कर्म भी कराते हैं।
चामुंडा मंदिर, नवादा
नवादा के रूपौ गांव में स्थित चामुंडा मंदिर वह स्थान है जहां देवी का सिर गिरा था। यहां मंगलवार को विशेष भीड़ होती है। समीप के शिव मंदिर में प्राचीन शिवलिंग भी है।
ताराचंडी मंदिर, सासाराम
कैमूर की पहाड़ियों में बसी यह गुफा शक्ति उपासकों के लिए पवित्र स्थल है। यह माना जाता है कि यहां देवी के नेत्र गिरे थे। पास में चार पवित्र झरने हैं, जिन्हें स्थानीय लोग सीता कुंड और माझरमुंड कहते हैं।
चंडिका देवी मंदिर, मुंगेर
गंगा तट पर स्थित यह मंदिर देवी की दाहिनी आंख गिरने से जुड़ा है। यहां एक सोने की आंख स्थापित है। मान्यता है कि भगवान राम ने लंका विजय के बाद यहां देवी की पूजा की थी।
उग्रतारा शक्तिपीठ, सहरसा
यहां देवी की बायीं आंख गिरी थी। मंदिर की मूर्ति पाल काल की है। कहा जाता है कि महर्षि वशिष्ठ ने यहां कठोर साधना की थी। उत्खनन में भगवान बुद्ध की प्रतिमा भी मिली थी।
अंबिका भवानी मंदिर, छपरा
यह शक्तिपीठ देवी सती के अंतिम विश्राम स्थल के रूप में जाना जाता है। यहां कोई मूर्ति नहीं है, परंतु मंदिर के नीचे प्राचीन कुआं और देवी से जुड़ी वस्तुएं मिली हैं। चैत्र मास में यहां विशाल मेला लगता है।
बिहार के इन नौ शक्तिपीठों की यात्रा केवल एक धार्मिक अनुभव नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इन स्थलों पर जाकर भक्तगण न केवल आध्यात्मिक शांति का अनुभव करते हैं, बल्कि भारत की गहन धार्मिक परंपराओं से भी परिचित होते हैं। यदि आप भी देवी शक्ति की आराधना में विश्वास रखते हैं, तो बिहार के इन दिव्य स्थलों की यात्रा अवश्य करें।