Bijli Mahadev Mandir: हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में स्थित प्रसिद्ध बिजली महादेव मंदिर हाल ही में एक बड़े अपडेट के कारण चर्चा का विषय बन गया है। मंदिर को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है, और इसके कारण अब तक कई अफवाहें और अटकलें फैल चुकी हैं। हालांकि, मंदिर समिति ने इन अटकलों को सिरे से खारिज करते हुए एक स्पष्ट बयान जारी किया है। इस घटनाक्रम के बाद इस मंदिर को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर क्या कारण है जिसकी वजह से यह ऐतिहासिक स्थल बंद कर दिया गया है।
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मंदिर बंद होने की जानकारी और अफवाहें- Bijli Mahadev Mandir
काशवारी गांव में स्थित बिजली महादेव मंदिर को लेकर मंदिर समिति ने हाल ही में जगह-जगह पोस्टर लगाकर मंदिर बंद होने की जानकारी दी थी। हालांकि इसके बाद सोशल मीडिया और स्थानीय स्तर पर अफवाह फैलने लगी कि बिजली गिरने की वजह से मंदिर बंद किया गया है। अफवाहों के मुताबिक बिजली गिरने की वजह से मंदिर को नुकसान पहुंचा है और इसी वजह से मंदिर को काम के लिए बंद किया गया है।
इस संदर्भ में मंदिर समिति ने साफ तौर पर कहा है कि मंदिर पर बिजली गिरने की बात पूरी तरह से गलत है। यह जानकारी पूरी तरह से अफवाह है और इसका कोई आधार नहीं है। मंदिर समिति ने मीडिया को दिए गए बयान में कहा कि मंदिर को अनिश्चितकाल के लिए बंद किया गया है, लेकिन इसके पीछे बिजली गिरने का कारण नहीं है, जैसा कि कुछ लोग दावा कर रहे हैं।
गुप्त कारज और पारंपरिक मान्यता
मंदिर समिति के बयान में यह भी बताया गया है कि मंदिर को बंद करने का कारण एक गुप्त कारज (धार्मिक कार्य) है, जो भगवान शिव की इच्छा के तहत होता है। स्थानीय लोग मानते हैं कि मंदिर को बंद करने का यह निर्णय देवता के आदेश के बाद लिया गया है। यह भी कहा जा रहा है कि मंदिर में केवल पुजारी और पुरोहित ही इस दौरान रह सकते हैं। आम लोग या श्रद्धालु इस समय मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकते।
इसके अलावा, बिजली महादेव मंदिर को लेकर एक महत्वपूर्ण मान्यता भी है। कहा जाता है कि हर 12 वर्ष में मंदिर में आकाशीय बिजली गिरती है, और इस दौरान शिवलिंग खंडित हो जाता है। इस समय के बाद, खास मक्खन, सत्तू और अन्य सामग्रियों से शिवलिंग को जोड़ने का कार्य किया जाता है। स्थानीय लोग इस घटना को भगवान शिव के आशीर्वाद के रूप में मानते हैं, जो न केवल मंदिर की सुरक्षा करता है, बल्कि इलाके में फैली बुराइयों को भी नष्ट करता है।
शिवजी की आज्ञा से गिरती है बिजली
बिजली महादेव मंदिर की मान्यता के अनुसार, एक प्राचीन कथा भी है, जो इस स्थान की महत्ता को और भी प्रगाढ़ करती है। कथानुसार, कुलांत नामक राक्षस ने कुल्लू घाटी को ब्यास नदी का प्रवाह रोककर डुबाने की कोशिश की थी। उसने घाटी में खतरनाक सांप का रूप धारण किया था, जिससे पूरे क्षेत्र को तबाह करने की योजना बनाई थी।
तब भगवान शिव ने कुलांत को चेतावनी दी और कहा कि उसकी पूंछ में आग लग गई है। जैसे ही राक्षस ने पीछे मुड़कर देखा, शिवजी ने अपने त्रिशूल से उसका वध कर दिया। इस घटना के बाद, राक्षस का शरीर एक विशाल पर्वत में बदल गया, जिसे आज कुल्लू की पहाड़ी माना जाता है।
इसके बाद, भगवान शिव ने इंद्रदेव से कहा कि हर 12 साल में इस स्थान पर बिजली गिराई जाए, ताकि क्षेत्र की रक्षा की जा सके और बुराई का नाश हो सके। यह मान्यता आज भी बिजली महादेव मंदिर में हर 12 साल बाद गिरने वाली आकाशीय बिजली से जुड़ी है।
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