आखिर क्यों आशुतोष महाराज के जीवित वापस लौटने के इंतज़ार में बैठे अनुयायी, क्या महाराज वापस आएंगे?

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Know who is Ashutosh Maharaj whose followers are waiting for him to return alive
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दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक संत आशुतोष महाराज की समाधि को 10 साल हो गए हैं। उन्हें समाधि से वापस लाने के लिए उनकी शिष्या साध्वी आशुतोषंबरी ने भी इस साल समाधि ली, थी। दरअसल, आशुतोष महाराज ने 28 जनवरी 2014 को समाधि ली थी। उन्होंने कहा था कि वे इसी शरीर में फिर लौटेंगे। लेकिन उनके लौटने के इंतजार में करीब 10 साल बीत गए, लेकिन उनके लौटने की अब कोई उम्मीद नहीं दिख रही। हालांकि, एक उम्मीद की तरह आशुतोष महाराज के शिष्य आज भी उनके पार्थिव शरीर को संभाले हुए हैं। आइए, आपको बताते हैं कि ये आशुतोष महाराज कौन हैं?

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पंजाब को बनया कर्म भूमि

खबरों की मानें तो जब पंजाब का पूरा राज्य आतंकवाद की चपेट में था, उस समय आशुतोष महाराज ने वैश्विक शांति लाने के लिए पंजाब को अपनी कर्मभूमि घोषित किया था। उनके भक्तों का दावा है कि आशुतोष महाराज का मानना ​​था कि कोई भी गुरु दोषरहित नहीं होता। हालांकि, वे जीवन भर एक अच्छे और पूर्ण गुरु की तलाश में यात्रा करते रहे। वे अक्सर धार्मिक नेताओं से बहस करते थे। दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के प्रचारक स्वामी कपिलदेवानंद के अनुसार, बिहार और झारखंड में उनका काफी प्रभाव था। नतीजतन, यहां से लाखों भक्तों ने ब्रह्मज्ञान की दीक्षा ली है।

आशुतोष महाराज का जन्म स्थान?  

आशुतोष महाराज के जन्म को लेकर उनके अधिकतर शिष्यों का दावा है कि आशुतोष महाराज का बिहार से गहरा नाता था। 28 जनवरी 2014 की रात जब आशुतोष महाराज का निधन हुआ तो उसके दस दिन बाद 7 फरवरी 2014 को बिहार के एक युवक ने उनका बेटा होने का दावा किया। युवक दिलीप झा ने इस संबंध में हरियाणा एवं पंजाब कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि आशुतोष महाराज उर्फ ​​मुकेश झा उसके पिता हैं और उनका जन्म मधुबनी के लखनौर गांव में हुआ था। उसके दावे के मुताबिक वर्ष 1970 में जब वह एक महीने का था तो उसके पिता गांव छोड़कर दिल्ली आ गए थे। दिलीप ने अपने पिता के अंतिम संस्कार की अनुमति और उनकी एक हजार करोड़ की संपत्ति में हिस्सा भी मांगा था। आशुतोष महाराज के अधिकतर शिष्य भी यही मानते हैं कि उनका जन्मस्थान मिथिलांचल है, लेकिन उनका यह भी कहना है कि इसका कोई सटीक प्रमाण नहीं है।

कहां रखा है शरीर को सुरक्षित

28 जनवरी 2014 की रात को सांस लेने में तकलीफ के कारण आशुतोष महाराज का निधन हो गया। हालांकि, दिव्य ज्योति जागृति संस्थान ने 24 घंटे बाद दुनिया को इस बारे में बताया। चूंकि उनकी मौत से विवाद शुरू हो चुका था, इसलिए 3 डॉक्टरों के पैनल ने शव की जांच की और 31 जनवरी 2014 को उन्हें मृत घोषित कर दिया। लेकिन दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के अनुयायी अपने गुरु आशुतोष महाराज के कारण पहले समाधि लेने और फिर से जीवित होने पर विश्वास रखते हैं। इसलिए उनके शिष्य और सेवादार आज भी इस बात को मानने को तैयार नहीं हैं कि उनके गुरु की मौत हो चुकी है। उनका कहना है कि आशुतोष महाराज गहरी समाधि में लीन हैं। इसलिए भक्तों ने उनके पार्थिव शरीर को आज भी पंजाब के जालंधर के नूर महल में सुरक्षित रखा है। शव को डीप फ्रीजर में रखा गया है। जिस कमरे में शव रखा गया है उसका तापमान माइनस में रखा गया है। साथ ही उस कमरे की सुरक्षा के लिए आश्रम के कई सेवादार तैनात हैं। इस कमरे में आम लोगों की आवाजाही पर भी सख्त रोक है। सुरक्षा कारणों से नूर महल-नक्कोदर के बीच एक पुलिस चेक पोस्ट भी बनाई गई है। दावा है कि इन व्यवस्थाओं पर करोड़ों रुपये खर्च किये गये हैं।

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