Janmashtami 2025: उत्तर भारत में मनाई जाने वाली कृष्ण जन्माष्टमी भारत के कई राज्यों में धूमधाम से मनाई जाती है। हर साल की तरह इस साल भी जन्माष्टमी की तैयारियाँ शुरू हो गई हैं। बाज़ार भगवान कृष्ण की मूर्तियों से सज गए हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस साल जन्माष्टमी (Janmashtami) कब है, इसका शुभ मुहूर्त क्या होगा, और वृंदावन (Virndavan) में कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna janmashtami) कब मनाई जाएगी? अगर नहीं, तो आइए इस लेख में हम आपको सब कुछ बताते हैं।
जन्माष्टमी की तिथि शुभ मुहूर्त
वृंदावन (Vrindavan)के प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में जन्माष्टमी का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस पावन अवसर पर पूरे वृंदावन में दिव्य ऊर्जा और आनंद का अनुभव होता है। वही इस वर्ष भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा (Mathura) और उनकी लीला भूमि वृंदावन में जन्माष्टमी का पर्व शनिवार, 16 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा। इस वर्ष अष्टमी तिथि 15 अगस्त को रात्रि 11:49 बजे से प्रारंभ होकर 16 अगस्त को रात्रि 9:34 बजे तक रहेगी।
वृंदावन के प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में जन्माष्टमी का उत्सव अत्यंत विशेष होता है। इस दिन मध्यरात्रि 12 बजे ठाकुर जी की मंगला आरती की जाती है, जो वर्ष में केवल एक बार होती है।
मंगल आरती का समय: बांके बिहारी मंदिर में जन्माष्टमी के दिन मध्यरात्रि 12 बजे मंगला आरती की जाती है। साथ ही पूजा का समय 16 अगस्त, प्रातः 12:04 बजे से 12:47 बजे तक। आपको बता दें, कि कुछ लोग 15 अगस्त को भी जन्माष्टमी मना सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि गृहस्थ समाज अष्टमी तिथि के आधार पर जन्माष्टमी मनाता है, जबकि वैष्णव परंपरा के भक्त रोहिणी नक्षत्र के आधार पर त्योहार मनाते हैं। मथुरा और वृंदावन के प्रमुख मंदिरों में जन्माष्टमी 16 अगस्त को मनाई जाएगी।
बांके बिहारी मंदिर में मंगला आरती का समय
वृंदावन स्थित प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में वर्ष में केवल एक बार, जन्माष्टमी के दिन, मंगला आरती होती है। यह आरती भगवान के जन्मोत्सव के बाद की जाती है। इस वर्ष यह आरती 17 अगस्त को प्रातः 1:45 से 2:00 बजे के बीच होगी। इस आरती को अत्यंत विशेष माना जाता है, जिसे देखने के लिए लाखों श्रद्धालु आते हैं।
इस्कॉन मंदिर में मंगला आरती का समय
इस्कॉन मंदिर (Iskcon Temple) में, जन्माष्टमी के दिन अन्य मंदिरों की तरह मंगला आरती सुबह नहीं, बल्कि मध्यरात्रि में की जाती है। 16 अगस्त को, मंगला आरती रात्रि 11:45 से 12:10 बजे के बीच होगी, जिसके बाद अभिषेक और अन्य प्रार्थनाएँ की जाएँगी। ये सब बहुत भव्य होता है इसे देखने के लिए भक्तजन बहुत दूर-दूर से आते है।