Sarva Pitru Amavasya: हिन्दू मान्यता के मुताबिक हर महीने एक अमावस्या आती है इस दिन लोग अपने पितरो के नाम से दान देते है। ऐसी ही एक सर्व पितृ अमावस्या है जो साल 2025 में सर्व पितृ अमावस्या 21 सितंबर, रविवार को है। यह पितृ पक्ष का अंतिम दिन है, जिसे पितरों की विदाई का दिन माना जाता है। इस दिन उन सभी पितरों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं है या जिनका श्राद्ध आप करना भूल गए हैं। तो चलिए आपको इस लेख पितृ अमावस्या के शुभ मुहूर्त के बारे में विस्तार से बताते है।
तर्पण का सबसे शुभ मुहूर्त
कुटुप मुहूर्त: दोपहर 12:08 से 12:57 बजे तक
रोहिणी मुहूर्त: दोपहर 12:57 से 1:45 बजे तक
दोपहर का समय: दोपहर 1:45 से 4:11 बजे तक
तर्पण विधि – सर्व पितृ अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। दक्षिण दिशा की ओर मुख करके तर्पण करें। तर्पण के लिए हाथ में जौ, कुश और काले तिल लेकर जल अर्पित करें और ‘ॐ पितृ देवतायै नमः’ मंत्र का जाप करें। साथ ही अपने पूर्वजों का स्मरण करें और उनका नाम लेकर जल अर्पित करें। इसके अलवा तर्पण के बाद ब्राह्मणों या ज़रूरतमंदों को भोजन कराएँ और दान-दक्षिणा दें।
सर्व पितृ अमावस्या की विशेषताएँ
पितरों की विदाई – यह पितृ पक्ष का अंतिम दिन होता है, जब पूर्वज अपने लोक वापस चले जाते हैं। इस दिन विधि-विधान से तर्पण करने पर वे प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं।
अज्ञात तिथि का श्राद्ध – जिन पूर्वजों की मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं है, उनका श्राद्ध इस दिन किया जाता है।
अपूर्ण श्राद्ध की पूर्ति – यदि किसी कारणवश पितृ पक्ष में किसी पूर्वज का श्राद्ध नहीं हो पाया हो, तो उनका श्राद्ध सर्व पितृ अमावस्या को किया जा सकता है।
पितृ ऋण से मुक्ति – इस दिन तर्पण, पिंडदान और दान करने से व्यक्ति पितृ ऋण से मुक्त हो जाता है, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
सूर्य ग्रहण का संयोग – इस बार सर्व पितृ अमावस्या पर सूर्य ग्रहण का भी संयोग है, हालाँकि यह भारत में दिखाई नहीं देगा और इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। फिर भी इस दिन दान-पुण्य करना विशेष फलदायी माना जाता है।