Mahatma Buddha: वैशाख मास की पूर्णिमा का दिन सिर्फ कैलेंडर में एक तारीख नहीं, बल्कि बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत पावन और महत्वपूर्ण अवसर है। इसे बुद्ध पूर्णिमा या बुद्ध जयंती के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस दिन गौतम बुद्ध का जन्म हुआ और उन्हें जीवन का सर्वोच्च ज्ञान प्राप्त हुआ। उनके जीवन की तीन महान घटनाएं—जन्म, ज्ञान और मोक्ष—सभी एक ही तिथि पर हुईं। यही कारण है कि वैशाख पूर्णिमा को बौद्ध धर्म में अत्यधिक महत्व दिया जाता है।
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तीन महत्वपूर्ण घटनाओं का अद्भुत संगम- Mahatma Buddha
वैशाख पूर्णिमा का दिन इसलिए भी खास है क्योंकि किसी भी व्यक्ति के जीवन में जन्म, ज्ञान और मोक्ष एक ही दिन घटित होना दुर्लभ है। बौद्ध धर्म के अनुयायियों के अनुसार, यही कारण है कि इस दिन विशेष पूजा- अर्चना और व्रत रखने से मोक्ष की प्राप्ति संभव मानी जाती है। साथ ही, दान-पुण्य करने और बरगद के वृक्ष की पूजा करने की भी परंपरा है।
बोधिवृक्ष और महात्मा बुद्ध का अद्भुत संबंध
आपको बता दें कि, गया के बोधिवृक्ष के नीचे ही महात्मा बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ। इसे देखकर लगता है कि यह पीपल का वृक्ष मात्र नहीं, बल्कि ज्ञान और चेतना का प्रतीक है। बुद्ध ने इसी वृक्ष की छांव में ध्यान लगाकर जीवन और संसार का सर्वोच्च सत्य जाना। इसके बाद उन्होंने अपना पहला उपदेश सारनाथ में दिया, जो उनके अनुयायियों के लिए मार्गदर्शन का स्रोत बना।
विश्वभर में बुद्ध धर्म का प्रभाव
बौद्ध धर्म के अनुयायी मुख्यतः चीन, कोरिया, जापान, श्रीलंका और भारत में रहते हैं। बुद्ध पूर्णिमा के दिन ये अनुयायी बोधिवृक्ष की पूजा करते हैं, ध्यान करते हैं और महात्मा बुद्ध के उपदेश सुनते हैं। इस दिन का महत्व सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक भी है। यह दिन शांति, अहिंसा और ज्ञान का संदेश फैलाने का प्रतीक माना जाता है।
हिंदू धर्म में भी विशेष महत्व
बुद्ध पूर्णिमा केवल बौद्ध धर्म के लिए ही नहीं, बल्कि हिंदू धर्म में भी महत्त्वपूर्ण है। इस दिन हिंदू श्रद्धालु गंगा नदी में स्नान करते हैं, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं और रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करते हैं। यह त्योहार जीवन में पुण्य और आध्यात्मिक जागरूकता लाने का अवसर है।
इस प्रकार वैशाख पूर्णिमा का दिन न केवल महात्मा बुद्ध की जयंती है, बल्कि ज्ञान, शांति और मोक्ष का संदेश फैलाने वाला दिन भी है। बोधिवृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त करना और उसके उपदेशों का पालन करना आज भी लाखों लोगों के लिए मार्गदर्शन का स्रोत है। यह दिन हमें जीवन के मूल्यों, अहिंसा और आध्यात्मिक चेतना की याद दिलाता है और सभी धर्मों के अनुयायियों के लिए एक पावन संदेश लेकर आता है।
