पितृ पक्ष में कौआ गाय कुत्ता और चींटी को भोजन देने की परंपरा के पीछे की मान्यता क्या है?

Pitru Paksh, Pitru Paksh and lunar eclipse
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Pitr paksh 2025: कहते है कि पितृ पक्ष के दौरान कौओं, गायों, कुत्तों और चींटियों को भोजन कराने की परंपरा का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। इसे “पंचबलि कर्म” भी कहा जाता है, जिसमें भोजन का एक अंश पाँच अलग-अलग प्राणियों (कौआ, गाय, कुत्ता, चींटी और देवता) को दिया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इन प्राणियों के माध्यम से भोजन पितरों तक पहुँचता है और वे तृप्त होते हैं और सदेव अपना आशीर्वाद बनाये रखते हैं। तो चलिए आपको इस लेख में पूरे मामले के बारे में विस्तार से बताते हैं।

प्राणियों को भोजन कराने का महत्व 

कौआ: कौए को पितरों का प्रतीक और यम (मृत्यु के देवता) का दूत माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान पूर्वज कौओं के रूप में पृथ्वी पर आते हैं। जब कौआ श्राद्ध का भोजन ग्रहण करता है, तो ऐसा माना जाता है कि पूर्वज तृप्त होते हैं और उनका आशीर्वाद परिवार को मिलता है।

गाय- हिंदू धर्म में गाय को गौ माता का दर्जा दिया गया है और इसमें सभी देवी-देवताओं का निवास माना जाता है। गाय को भोजन कराना सभी देवताओं को प्रसन्न करने और पितरों की आत्मा को शांति देने के समान माना जाता है। ऐसा भी कहा जाता है कि गाय को भोजन कराने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और घर में समृद्धि आती है। वही गाय को हिन्दू ड्रम में काफी शुभ माना जाता है।

कुत्ता- कुत्ते को यमराज का प्रतीक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि कुत्तों को भोजन कराने से यमराज प्रसन्न होते हैं और हमारे द्वारा अर्पित भोजन विभिन्न आध्यात्मिक लोकों तक पहुँचता है। इसके आलवा आप काले कुत्ते को अगर आप घर रोज रोटी खिलाये तो आपके सारे कष्ट धीरे-धीरे खत्म होने लगते हैं।

चींटी- चींटियों को अग्नि तत्व का प्रतीक माना जाता है। चींटियों को आटा या चीनी खिलाना एक विनम्र कार्य है जो सभी जीवों के प्रति सम्मान दर्शाता है। ऐसा भी माना जाता है कि ऐसा करने से पूर्वजों की आत्माएँ तृप्त होती हैं और परिवार में सद्भाव बना रहता है। कही जगह ये भी मान्यता है कि यदि काली चींटी इस अन्न को ग्रहण करे तो ये ज्यादा फलीभूत होता है।

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