जानिए क्या है सिखों के दूसरे सबसे प्रमुख तख्त श्री पटना साहिब का इतिहास

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Sri Patna Sahib Ji
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Takht Patna Sahib History in Hindi – हम सब जानते है कि सिखों के लिए सबसे ऊपर तख्त का आदेश होता है, और पूरे भारत में ऐसे पांच तख्त है. जिनमे सबसे प्रमुख तख्त श्री अकाल तख्त साहिब अमृतसर, दूसरा सबसे प्रमुख श्री पटना साहिब, तख्त श्री केसगढ़ साहिब, तख्त श्री हजूर साहिब तथा पांचवां तख्त श्री दमदमा साहिब. आज हम तख्तों के दूसरे प्रमुख तख्त श्री पटना साहिब के बारे में बताएंगे. जो बिहार की राजधानी पटना में स्थित है. यह स्थान सिखों के 10वें और अंतिम गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी का जन्मस्थल है.

गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म 22 दिसम्बर 1666 को पटना में सिखों के 9वें गुरु, गुरु श्री तेगबहादुर सिंह जी और माता गुजरी के घर हुआ था. गुरु गोविंद सिंह जी के बचपन का नाम गोविंद राय था. आईये आज हम आपको सिख धर्म का दूसरा सबसे प्रमुख तख्त श्री पटना साहिब जी के बारे में कुछ रोचक बातें बताएंगे, श्री पटना साहिब जी के महत्व के बारे में बताएंगे.

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श्री पटना साहिब जी का महत्व

क्या आप जानते है कि जिस घर में गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म हुआ था, आज वर्तमान में उसी जगह तख्त श्री पटना साहिब जी है, उसी जगह गुरु ग्रन्थ साहिब को स्थापित किया गया है. यह स्थान सिखों के 10वें और अंतिम गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी का जन्मस्थल है. पटना शहर में पवित्र गंगा नदी के पास वाला यह इलाका एक पटना साहिब कहलाता है. पहले इस जगह को कूचा फारुख खान भी कहा जाता था. यह स्थान सिखों के लिए पवित्र स्थल है. इस जगह पर लेकिन सिख ही नहीं बल्कि दूसरे धर्म के लोग भी काफी संख्या में आते है.

बताया जाता है कि इस पवित्र स्थल पर गुरु गोविंद सिंह जी के आवरण से पहले, सिख धर्म के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी भी आ चुके है. इसके साथ यह भी कहा जाता है इस पवित्र स्थल ने सिखों के तीन गुरुओं के पैरों ने छुआ है. गुरु नानक देव जी की जयंती पर यहा काफी भीड़ होती है. इस गुरूद्वारे में पूरे साल लंगर चलता रहता है. यहां गुरुद्वारा में प्रवेश के वक्त गेट पर सिर को ढकने के लिए रुमाल भी दिया जाता है जिसे आप लौटते समय वापस कर सकते हैं.

श्री पटना साहिब जी में गुरु जी का क्या समान रखा है

श्री पटना साहिब जी (Takht Patna Sahib History) के गुरुद्वारे में सिखों के 10वें और अंतिम गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी की कुछ विशेष वस्तुएं रखी हुई है, यहा उनके बचपन का पालना, लोहे के चार तीर, तलवार, पादुका और हुकुमनामा रखा हुआ है. इस गुरूद्वारे की वास्तुकला अपने-आप में अद्भुत है. जो स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना है. श्री पटना साहिब जी का निर्माण महाराजा रणजीत सिंह ने सिखों के 10वें गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी याद  में करवाया था.

कहा जाता है इस पवित्र स्थल पर सिखों के गुरुओं की यादों को संरक्षित करने के लिए इसा गुरूद्वारे का निर्माण हुआ था. हम सब जानते है कि सिख अपने धर्म को लाकर कितन समर्पित है, अपने गुरुओ की वनियों और वचनों का पाठ करते है. और अकाल तख्त के आदेश को पूरे विश्व के सिख मानने को बाध्य है. इन पांचो तख्तों के लिए जत्थेदार नियुक्त किए जाते है. श्री अकाल तख्त का जत्थेदार को सरे सिखों का प्रमुख माना जाता है.

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