अक्सर आपने अपने घर में बड़ों के मुंह से सुना होगा कि आज अमावस्या का दिन है, तो घर पर आज खीर बनेंगी। और सबसे पहले खीर का भोग पितर देवता को लगेगा। क्या आप जानते है कि पितर देवता कौन होते है।
हिंदू धर्म के अनुसार प्राचीन ग्रंथों में पितर व पितृ शब्द का उल्लेख अनेक स्थानों पर उन मृतक पूर्वजों के रूप में किया गया है, जिन्होंने पितृयोनि प्राप्त की है। आपको बतादें कि पितरों को लेकर यह माना जाता है कि जो हमारे पूर्वज हैं, जो अब इस दुनिया में नहीं रहे, वे ही हमारे पितर हैं। लेकिन आपको बतादें कि ऐसा बिल्कुल नहीं है, पितर दो प्रकार के होते हैं पहले, वे जिनसे मनुष्य और देवताओं की उत्पत्ति हुई है और वे हमारे जनक होने के कारण ऊध्व्गति के पितर हैं।
साथ ही दूसरे वे परिजन जिनकी मृत्यु के पश्चात् भी विशेष कामनाओं के कारण मुक्ति नहीं हुई है और वे प्रेत योनि को प्राप्त कर चुके हैं, जिसके चलते कव्य प्रदान कर उनके परिजनों की विशेष कामनाएं उन्हें हमेशा के लिए पितृलोक में स्थापित कर देती हैं। जिसके बाद वह पितर बन जाते हैं। और ये भी कहा जाता है कि जिनकी कम आयु में मृत्यु हो जाती है, तो वह भी पितर बन जाते है।
क्या आप जानते हैं कि पितृ दोष क्यों होता है? पितृ दोष के कारण व्यक्ति को बहुत से कष्ट उठाने पड़ते हैं
क्यों होता है पितृ दोष ?
- गाय की हत्या के कारण
- मरते वक्त कोई इच्छा पूरी न होने के कारण
- पितरों को जल नहीं देने के कारण
- किसी ब्राहमण कुलगुरु का अपमान के कारण
पितृ दोष के लक्षण
-जिनमें विवाह का ना होना
-विवाहित जीवन में कलह रहना, आपस में मनमुटाव बढ़ना
-परिवार में बड़े बुजुर्गों का अपमान होता है
-घर की बरकत खत्म हो जाती है
-परीक्षा में बार-बार असफल होना
-नशे का आदि हो जाना
-नौकरी का ना लगना या छूट जाना
-गर्भपात या गर्भधारण की समस्या,
– बच्चे की अकाल मृत्यु हो जाना
ज्योतिष विद्या के अनुसार सूर्य को पिता का और मंगल को रक्त का कारक माना गया है। बतादें कि जब किसी व्यक्ति की कुंडली में ये दो महत्वपूर्ण ग्रह पाप भाव में होते हैं, तो व्यक्ति का जीवन पितृदोष के चक्र में फंस जाता है।
पितृ दोष से मुक्ति
- जीवन में कई बार परेशानी उठानी पड़ती है। वह पितृ दोष के कारण ही होता है
- अमावस्या के दिन ब्राह्मण को भोजन करवाएं और गरीबों को दान करें।
- हर दिन सुबह-शाम, मिट्टी का दीपक जलाएं, याद रहे ये दीया वहां पर रखें जहां पर आप पानी का मटका रखते हैं। साथ ही मिट्टी के बर्तनों में मीठा दूध रखकर पूर्वजों से कष्ट मुक्ति के लिए प्रार्थना करें।
- अमावस्या और पूर्णिमा के दिन खीर जरूर बनाए और उसका भोग पितरों को लगाए
- प्रतिदिन भोजन के वक्त पहली रोटी के तीन हिस्से करें… पहला हिस्सा गाय को, दूसरा हिस्सा कुत्ते को और तीसरा हिस्सा पक्षियों को दें.
- अपने घर की छत पर पक्षियों के लिए दाने पानी की व्यवस्था करें.
- शुद्ध और पवित्र भावना के साथ दान करें.
- जिस ग्रह से पीड़ित हों उस ग्रह से संबंधित वस्तुओं का दान करें और प्रार्थना करें पितरों से कि पूर्व में हुई गलतियों के लिए क्षमा करें
पितरों को कैसे रखें खुश
- अपने घर में हर मांगलिक कार्यों में ध्यान रखकर पितरों को श्रद्धा से याद करें।
- हर अमावस्या को पितरों को भोग लगाये
- प्रतिदिन उनके नाम का दीपक जलाये
शानिवार के दिन पीपल के पेड़ पर सरसों का दीपक जलाकर नामो भगवते वासुदेवाय मंत्र का उच्चारण करे।