होटलों की तरह ही अब आने वाले दिनों में जल्द ही मकान और सोसाइटी के लिए भी स्टार रेटिंग शुरू होने वाली है। इससे भवनों ,इमारतों आदि की सुविधाओं को सामने से देखा जायेगा और उसकी रेटिंग की जाएगी। बीईई (ऊर्जा दक्षता ब्यूरो दुनिया) के कई विकसित देशों की तरह ही अब देश में भी ग्रीन कोड लागू किया जाएगा, जिसका मकसद सिर्फ एक ही है, मकानों को एक उचित मात्रा में बिजली पहुंचाना। यह कदम प्रकृति को हो रहे नुकसान की वजह से उठाया जा रहा हैं।
Subscribe our Youtube Channel: Click Here
देश में घरों ,इमारतों की अलग बनावट से जुड़ी यह योजना एक अनोखी पहल है। ऑस्ट्रेलिया, स्विट्जरलैंड और सिंगापुर समेत कई देशों में ग्रीन कोड को लागू किया जा चुका है। वहीं भारत में यह पहली बार लागू होगा। अब तक यह सिर्फ होटल तक ही सीमित था, जबकि अब यह मकानों के अंदर की बनावट का भी एक मानक होगा।
यह घरों के डिजाइन और मौसम के प्रभाव के कारण बिजली उपकरणों से होने वाली खपत को कम करने का एक अनोखा तरीका है। गर्मी, ठंड और बारिश समेत तमाम प्राकृतिक पहलुओं को ध्यान में रखकर घरों को बनाया जायेगा। जहां इसका असर स्टार रेटिंग वाले घरों में प्रवेश करने के साथ ही नजर आयेगा।
बीईई के अधिकारीयों के मुताबिक, कोड की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है। इसके बाद राज्यों, विशेषज्ञों से विशेष चर्चा की जाएगी। अगले दो माह में इस योजना को शुरू कर दिया जाएगा। आपको बता दें कि यह बिल्कुल वैसे ही होगा, जैसा होटल की स्टार रेटिंग की जाती है। साथ ही इसमें तमाम सुविधाएं रेटिंग के आधार पर ही की जाएंगी। प्रधानमंत्री आवास योजना में मिल घरों पर भी इसे लागू किया जाएगा।
मौसम की चुनौतियों से निपटने में मकानों की बनावट का अहम रोल होता है। मकानों की बनावट के फायदों पर बताया कि अगर बनावट के साथ घर में लगे बिजली उपकरण अच्छी गुणवत्ता के हो, तो बिजली की अच्छी-खासी बचत की जा सकती है। यह ग्रीन कोड का सिर्फ एक मकसद है, प्रकृति को हो रहे नुकसान से बचने का।