डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा के सामने शिवलिंग देख भड़के अंबेडकरवादी, कहा- आयोजन की अनुमति कैसे दी गई

Ambedkar's statue Shivling controversy
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दिल्ली के अंबेडकर इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट (Ambedkar International Institute) से जुड़ा एक पुराना विवाद फिर से चर्चा में आ गया है। विवाद डॉ. बी.आर. अंबेडकर (Dr. B. R. Ambedkar) की मूर्ति के सामने रखे गए शिवलिंग को लेकर है। दरअसल, पिछले साल 8 फरवरी 2023 को महाशिवरात्रि का आयोजन कैंपस में डॉ. अंबेडकर की मूर्ति के ठीक सामने किया गया था और प्रतीक के तौर पर एक फूल शिवलिंग स्थापित किया गया था। इस घटना से खासकर दलित समुदाय (Dalit community) और अंबेडकर के अनुयायियों में गहरी नाराजगी है, क्योंकि डॉ. अंबेडकर का जीवन और उनकी विचारधारा सामाजिक न्याय, समानता और धर्मनिरपेक्षता पर आधारित थी।

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अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अधीन है और इसी मंत्रालय द्वारा इसका रखरखाव किया जाता है। सवाल यह है कि परिसर में धार्मिक आयोजन की अनुमति कैसे दी गई? इस संबंध में जब केंद्र की आधिकारिक वेबसाइट पर दिए गए टेलीफोन नंबरों पर संपर्क किया गया तो जिम्मेदारी से बचने की कोशिश सामने आई।

ये है पूरा मामला – Ambedkar’s statue Shivling controversy

विवाद की शुरुआत डॉ. बी.आर. अंबेडकर के जीवन और योगदान को समर्पित संस्था अंबेडकर इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट में डॉ. अंबेडकर की मूर्ति के सामने शिवलिंग के निर्माण से हुई। यह जगह अंबेडकर के अनुयायियों और सामाजिक न्याय कार्यकर्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है। फॉरवर्डप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल फ़रवरी में अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर परिसर के ऑडिटोरियम को एक सभागार धार्मिक नाम वाले संगठन ने बुक किया था। संगठन ने अपनी दसवीं वर्षगांठ मनाने के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया था और आयोजकों ने खुद परिसर के प्रवेश द्वार पर हॉल में कुर्सी पर बैठी डॉ. अंबेडकर की मूर्ति के सामने एक शिवलिंग बना दी।

Ambedkar's statue Shivling controversy
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उठ रहे कई सवाल

अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में तीन ऑडिटोरियम हैं: भीम, नालंदा और समरस्थ। विभिन्न संगठन और संस्थाएं इन स्थानों को आरक्षित करती हैं और परिसर के प्रबंधक पूरी प्रक्रिया को संभालते हैं। कहने की जरूरत नहीं कि उक्त संगठन ने ऑडिटोरियम आरक्षित करते समय प्रबंधकों को कार्यक्रम की सूचना पहले से ही दे दी थी। फिर, उस संगठन को कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति कैसे दी गई, जबकि डॉ. अंबेडकर का पूरा दर्शन आडंबर और कर्मकांड से रहित है?

आरएसएस-भाजपा की साजिश?                 

इस संबंध में पूर्व सांसद उदित राज का भी बयान सामने आया था। उनका कहना था कि यह आरएसएस-भाजपा की अंबेडकर की पूरी विचारधारा को पलटने की साजिश है। यह बेहद निंदनीय है कि जिस महापुरुष ने अपना पूरा जीवन समाज को पाखंड मुक्त और समतामूलक बनाने के लिए समर्पित कर दिया, आज उनके नाम पर बने संस्थान में उनकी प्रतिमा के सामने इस तरह का आयोजन किया जा रहा है।

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दलित लेखक ने जाहीर की नाराजगी

वहीं, मशहूर दलित लेखक और आलोचक कंवल भारती ने अपना गुस्सा जाहिर करते हुए कहा कि अंबेडकर इंटरनेशनल कैंपस में इस तरह की हरकत करने की इजाजत कैसे दी गई और दिल्ली में बैठे तथाकथित अंबेडकरवादियों ने इसका विरोध क्यों नहीं किया। भारती ने यह भी कहा कि यह डॉ अंबेडकर के विचारों को पलटने की साजिश है। उन्होंने आगे कहा कि “डॉ अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में शिवलिंग स्थापित करना डॉ अंबेडकर का अपमान है। उन्होंने शिवलिंग पूजा को घृणित और अनैतिक कृत्य बताया था। लेकिन यह हिंदुओं की सरकार है, यह अंबेडकर विरोधी भी है। मैं इस शर्मनाक हरकत की कड़ी निंदा करता हूं।”

विरोध की वजह

डॉ. अंबेडकर ने हमेशा धर्मनिरपेक्षता का समर्थन किया और हिंदू धर्म की जाति व्यवस्था की कड़ी आलोचना की। उन्होंने बौद्ध धर्म अपनाया, जो समानता और करुणा पर आधारित है। ऐसे में अंबेडकर की मूर्ति के सामने शिवलिंग (Ambedkar’s statue Shivling controversy) का बनाना उनकी विचारधारा और सिद्धांतों के खिलाफ माना जा रहा है।

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