Apple on Caste Discrimination: Apple, जो अपने iPhone, MacBook और IMC जैसे प्रोडक्ट्स के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है, अब एक सामाजिक बुराई के खिलाफ भी खुलकर खड़ी हो गई है। कंपनी ने अब अपने ऑफिस में जातिगत भेदभाव को लेकर सख्त पॉलिसी लागू कर दी है। इस कदम से Apple ने साफ कर दिया है कि जाति के नाम पर अब कोई भी भेदभाव बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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नई पॉलिसी क्या कहती है? (Apple on Caste Discrimination)
Apple की इस नई पॉलिसी के तहत, अगर कोई सवर्ण कर्मचारी किसी दलित सहकर्मी के साथ उसकी जाति के आधार पर भेदभाव करता है, तो उसे नौकरी से निकाला जा सकता है, और ज़रूरत पड़ी तो कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है।
जातिवाद अब सिर्फ भारत की समस्या नहीं रही
अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स कहती हैं कि भारत की यह सदियों पुरानी जाति समस्या अब सिलिकॉन वैली तक पहुंच चुकी है। वहां के ऑफिसों में भी जातिगत भेदभाव के मामले सामने आ रहे हैं। यह बात Apple जैसे वैश्विक ब्रांड्स को परेशान कर रही है, और इसी कारण उन्होंने यह बड़ा फैसला लिया है।
साल 2020 में सिसको का केस बना Turning Point
2020 में अमेरिका की बड़ी कंपनी सिसको (Cisco) में दो सवर्ण कर्मचारियों ने एक दलित इंजीनियर के साथ जातिगत भेदभाव किया था। यह मामला अदालत तक गया और इसके बाद से सिलिकॉन वैली में जातिवाद पर बहस तेज़ हो गई। यही से कंपनियों ने इसे गंभीरता से लेना शुरू किया।
Apple पहले ही कर चुका था शुरुआत
Apple ने जाति आधारित भेदभाव को लेकर काम बहुत पहले ही शुरू कर दिया था। दो साल पहले, उसने अपनी जनरल एम्प्लॉयी कंडक्ट पॉलिसी में जाति को लेकर भेदभाव पर रोक लगाई थी। इसमें नस्ल, धर्म, जेंडर और उम्र जैसे पहलुओं पर भी भेदभाव को वर्जित किया गया है।
Dalit कर्मचारियों के अनुभव: अब छुप नहीं रहा जातिवाद
Reuters की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में काम कर रहे 20 दलित कर्मचारियों ने कबूल किया कि उन्हें उनके गोत्र, खान-पान, जन्म स्थान और धार्मिक मान्यताओं के कारण काम में पीछे रखा गया।
BBC की रिपोर्ट में एक दलित कर्मचारी ने बताया कि उसके सीनियर्स उसके जनेऊ की जांच करने के लिए उसके कंधे और कमर पर हाथ मारते थे। कुछ उसे जानबूझकर स्विमिंग पूल ले जाते थे, ताकि कपड़े उतारते समय उसका जनेऊ देखा जा सके।
Google में जातिवाद का विरोध: कॉन्फ्रेंस रद्द
हाल ही में Google में जातिगत भेदभाव को लेकर एक वर्कशॉप रखी गई थी, जिसमें थेन्मोझी सुंदरराजन को बोलना था। लेकिन Google के भारतीय सवर्ण कर्मचारियों के विरोध के कारण कार्यक्रम रद्द कर दिया गया। इसके बाद Google के CEO सुंदर पिचाई, जो तमिल ब्राह्मण हैं, पर जातिवाद को बढ़ावा देने के आरोप लगे।
अब कंपनियों पर बढ़ रहा है दबाव
Apple के इस कदम के बाद अब Google और दूसरी बड़ी कंपनियों पर भी एंटी-कास्ट पॉलिसी लागू करने का दबाव बढ़ गया है। अमेरिका की कुछ यूनिवर्सिटीज़ जैसे कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी और ब्रडिस यूनिवर्सिटी पहले ही अपने कैंपस में ऐसी पॉलिसी लागू कर चुकी हैं।
बाबा साहब की चेतावनी हो रही है सच
बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर ने सालों पहले कहा था कि “भारत के सवर्ण जहां भी जाएंगे, जाति की बीमारी साथ ले जाएंगे।” आज यह बात सच साबित हो रही है। अब जातिवाद सिर्फ भारत की समस्या नहीं रही, यह एक ग्लोबल इशू बन चुका है।
दिलीप मंडल का ट्वीट और Apple की ताकत
वरिष्ठ पत्रकार दिलीप सिंह मंडल ने Apple के इस फैसले पर ट्वीट करते हुए लिखा कि Apple का मार्केट कैप भारत की कुल GDP से थोड़ा ही कम यानी 2.7 ट्रिलियन डॉलर है। इतनी बड़ी कंपनी जब जातिवाद के खिलाफ खड़ी होती है, तो दुनिया को फर्क पड़ता है।