BHU Buddhist Research Center: काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में बौद्ध धर्म के अध्ययन और शोध को नई दिशा देने के लिए ताइवान की प्रतिष्ठित संस्था ‘बौद्ध करुणा राहत त्ज़ू ची फाउंडेशन’ और बीएचयू प्रशासन के बीच हाल ही में महत्वपूर्ण बैठक हुई। बैठक में विश्वविद्यालय के कला संकाय के पाली और बौद्ध अध्ययन विभाग के तहत एक शोध केंद्र की स्थापना पर गहन चर्चा की गई।
प्रतिनिधिमंडल की बैठक और कुलपति से मुलाकात- BHU Buddhist Research Center
इसी साल 13 अक्टूबर को त्ज़ू ची फाउंडेशन की उपाध्यक्ष लिन पी यू के नेतृत्व में 13 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने बीएचयू का दौरा किया। प्रतिनिधिमंडल ने विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अजीत कुमार चतुर्वेदी से मुलाकात कर केंद्र की स्थापना पर विचार-विमर्श किया। कुलपति ने इस पहल का स्वागत करते हुए विश्वविद्यालय की ओर से पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया और कहा कि केंद्र की स्थापना बीएचयू के नियमों के अनुसार शीघ्रता से की जाएगी।
बैठक में कला संकाय की अधिष्ठाता प्रो. सुषमा घिल्डियाल, अंतरराष्ट्रीय केंद्र के समन्वयक प्रो. राजेश सिंह और पाली एवं बौद्ध अध्ययन विभाग के अध्यक्ष अरुण कुमार यादव भी उपस्थित थे।
केंद्र का उद्देश्य और प्रमुख कार्य
प्रस्तावित केंद्र पूरी तरह से शोध-उन्मुख होगा। इसका उद्देश्य थेरवाद और महायान दोनों बौद्ध परंपराओं को बढ़ावा देना है। इसके तहत शास्त्रीय ग्रंथों का गहन अध्ययन, उनका अनुवाद और प्रकाशन किया जाएगा। इसके अलावा, उच्च गुणवत्ता वाले शोध पत्रों और व्याख्यान श्रृंखलाओं का आयोजन कर विद्वानों और साधकों के बीच ज्ञान का आदान-प्रदान बढ़ाया जाएगा।
केंद्र विशेष रूप से महायान परंपरा के पुनरुद्धार पर जोर देगा। बैठक में इस बात पर चर्चा हुई कि महायान बौद्ध धर्म, जो कभी भारत में फूला-फला और समृद्ध था, समय के साथ अपने जन्मस्थान से लगभग लुप्त हो गया। बीएचयू में इस केंद्र की स्थापना से इस परंपरा के अध्ययन और जागरूकता को पुनर्जीवित करने में मदद मिलेगी।
अनुवाद और प्रकाशन पर ध्यान
केंद्र महत्वपूर्ण बौद्ध ग्रंथों और पांडुलिपियों का भारतीय भाषाओं में अनुवाद करेगा। इसका उद्देश्य विद्वानों और अनुयायियों के लिए अध्ययन और शोध को सुलभ बनाना है। त्ज़ू ची फाउंडेशन ने थेरवाद और महायान दोनों परंपराओं के ग्रंथों और साहित्य के अनुवाद और प्रकाशन में सहयोग की प्रतिबद्धता जताई है।
इस पहल से न केवल शैक्षणिक शोध को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि भारत और ताइवान के बीच सांस्कृतिक और बौद्ध विरासत के साझा इतिहास को भी मजबूत किया जा सकेगा।
बीएचयू के लिए नई दिशा
विशेषज्ञों का मानना है कि इस केंद्र की स्थापना बीएचयू में बौद्ध धर्म अध्ययन और अनुसंधान को नई ऊंचाई प्रदान करेगी। यह न केवल शैक्षणिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि भारत और ताइवान के बीच सांस्कृतिक सहयोग और आदान-प्रदान को भी बढ़ावा देगा।
बीएचयू और त्ज़ू ची फाउंडेशन की यह साझेदारी बौद्ध धर्म पर शोध, ग्रंथों के अनुवाद और प्रकाशन, और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। इस पहल से भविष्य की पीढ़ियों तक बौद्ध परंपराओं का ज्ञान सुरक्षित और सुलभ रहेगा।
