Europe biggest Gurudwara: जब भी सिख धर्म की बात होगी तो उनसे जुड़े गुरुद्वारों का जिक्र भी जरूर होगा। साल 1854 में अमृतसर के अंतिम महाराजा राजशाही सुकेरचकिया साम्राज्य के महाराज दुलीप सिंह जी पहले भारतीय सिख थे जो लंदन में बसे थे। इसके बाद 1911 में लंदन के पुटनी में पहले सिख गुरुद्वारे गुरुद्वारा द खालसा जत्था का निर्माण हुआ। इसे बनाने के लिए पटियाला के महाराज भूपिंदर सिंह ने अपने लन्दन आने के दौरान 1000 यूरो दिए थे ताकि गुरुद्वारे का निर्माण हो सके। तब पुटनी के एक निजी घर में लोगों ने पूजा स्थल बनाया। इस गुरुद्वारे के खुलने के बाद तेजी से सिख धर्म के लोग पलायन करने लगे। केवल एक गुरूद्वारे के कारण सिखों की की आबादी लंदन में तेजी से बढ़ी और आज लंदन का साउथहॉल मिनी पंजाब बन चुका है।
कहानी लंदन के मिनी पंजाब की Story of mini punjab in London
लंदन का साउथहॉल में यहीं पर बना है सिर्फ ब्रिटेन का ही नहीं बल्कि पूरे यूरोप का सबसे बड़ा गुरूद्वारा- श्री गुरु सिंह सभा गुरुद्वारा, जो कि लंदन के साउथहॉल में हेवलोक रोड पर स्थित है। श्री गुरु सिंह सभा गुरुद्वारा सिख धर्म की एकता, अखंडता और पूरे देशी अंदाज की कहानी के रूप में खड़ा है, जो लंदन में रह रहे सिखों के लिए गौरांवित करने वाली बात है। आज के वीडियो में हम आपको पूरे यूरोप में सबसे बड़े गुरुद्वारे के नाम से मशहूर श्री गुरु सिंह सभा गुरुद्वारा के बारे में विस्तार से जानेंगे, क्या है इस गुरुद्वारे का इतिहास, कैसे बना ये सबसे बड़ा गुरुद्वारा, क्या होता है लंगर, कैसे बना साउथहॉल मिनी पजांब।
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लंदन में सिखों का बढ़ता वर्चस्व
पूरे ब्रिटेन में आज के समय में टोटल सिखों की आबादी करीब 5 लाख 35000 है। 2021 में ब्रिटिश पापुलेशन के अनुसार यह करीब 0.8 प्रतिशत है। वही अकेले लंदन में 1,44,543 सिख रहते हैं, यह आंकड़े 2021 के है। जिसमें लंदन के साउथ हॉल में 20,843 सिख रहते हैं जो की लंदन की आबादी का 28.2 प्रतिशत सिख आबादी है। और यही बस है भारत के बाहर का सबसे बड़ा गुरुद्वारा गुरुद्वारा गुरु सिंह सभा। साउथ हॉल को लंदन का मिनी पंजाब भी कहा जाता है क्योंकि यहां पर दुकानों से लेकर मकान तक में सबसे ज्यादा सिखों का दबदबा है।
कब बना साउथहॉल गुरुद्वारा Story of south hall gurudwara
गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा लंदन के साउथअवेन्यू में गुरुनानक रोड पर बना हुआ है। गुरुनानक रोड का पुराना नाम हेवलोक रोड था, लेकिन इसे 2020 में बदल कर गुरूद्वारे के सम्मान में गुरुनानक रोड कर दिया गया। लंदन के थेम्स नदी से करीब 1 किलोमीटर की दूरी पर बसे गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा गुरुद्वारे को बनाने की नींव मार्च 2000 में रखी गई थी, जो 2003 में जाकर बन कर तैयार हुई थी. इस गुरुद्वारो को बनाने में करीब 17.5 मिलियन यूरोस का खर्चा आया था। इस गुरुद्वारे का सारा खर्चा यहां रहने वाली सिख कम्युनिटी ने उठाया था। जो सिख सभाओ के जरिए पैसे इकट्ठा किया करती थी। 30 मार्च 2003 को गुरु नानक रोड गुरुद्वारा स्थल का उद्घाटन एचआरएच प्रिंस ऑफ वेल्स – प्रिंस चार्ल्स जो कि अब किंग चार्ल्स III है उनके द्वारा गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा का उद्घाटन किया गया था किया गया था। इस गुरुद्वारे की बनावट से प्रिंस चालर्स काफी प्रभावित थे, उनके द्वारा उद्घाटन किये जाने के बाद ये गुरुद्वारा सुर्खियों में आ गया था।
सिख धर्म के प्रचार प्रसार के लिए इस गुरुद्वारे की ओर से एक स्कूल भी बनाया गया खालसा प्राइमरी स्कूल। ये स्कूल साउथहॉल के ही नॉरवुड हॉल, टेंटेलो लेन में बना हुआ है। इस स्कूल को ईलिंग, हैमरस्मिथ जो कि वेस्ट लंदन कॉलेज के अधीन था, उससे 2.8 मिलियन यूरो में खरीदा गया था। इस गुरुद्वारे के अध्यक्ष है हिम्मत सिंह सोही। गुरुद्वारे में एक बार में 3000 लोगो के आने की कैपेसिटी है। गुरुद्वारे में रोजाना मुफ्त में लंगर बांटा जाता है जो कि पूरी तरह से भारतीय व्यंजन परोसे जाते है। इस गुरुद्वारे में हर हफ्ते करीब 50 हजार लोग हर समुदाय से आते है।
गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा के बनने की कहानी history of gurudwara shri guru singh sabha
1940 से लेकर 1950 के बीच दूसरे विश्वयुद् के बाद मलेशिया और सिंगापुर से सिखों ने लंदन में रहना शुरु कर दिया। इस दौरान वो नीजि घरो को पूजा स्थल के तौर पर इस्तेमाल करते थे। मलेशिया और सिंगापुर दोनो अलग अलग समुदाय से थे और दोनो स्वतंत्र रूप से श्री गुरु नानक सिंह सभा के नाम से संगठन चला रहे थे, जो कि शेकलटन हॉल में प्राथर्ना किया करते थे लेकिन कुछ समय के बाद 11 बेकन्सफील्ड रोड पर सभा लगाने लगे थे, लेकिन 1964 में दोनो ने एक साथ विलय कर लिया और एक गुरुद्वारे का निर्माण करवाया गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा, जो कि ग्रीन साउथहॉल में बनाया गया था। इस दौरान भी ये केवल एक सभा करने का स्थान था लेकिन 30 अप्रैल 1967 में गुरुद्वारा की स्थापना करने के लिए अमृत पर्चा बनाने के लिए अमृतसर के दरबार साहिब गुरूद्वारे के तोशा खाना से खंडा को इंग्लैंड लाया गया, जिसके बाद गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा को गुरुद्वारा की पहचान मिली थी। इस दौरान इस गुरुद्वारे के अध्यक्ष थे श्री सिंह गिल। साउथहॉल की 80 प्रतिशत आबादी सिखो की है, यहां सिख धर्म के प्रभाव को आप इस तरीके से समझ सकते है कि साउथहॉल स्टेशन के बाहर इंग्लिश के साथ साथ गुरमुखी लिपी में भी साउथहॉल स्टेशन का नाम लिखा है।
गुरुद्वारे की बनावट
गुरुद्वारे की बनावट की बात की जाए तो इसके द्वार पर बड़ा सा निशान साहिब है, जो सिखों के प्रमुख चिन्ह के रूप में है। जैसे ही आप अंदर प्रवेश करते है, जूतेचप्पल रखने की व्यवस्था काफी दूर में है। आप पूरे गुरुद्वारे में सिख धर्म के इतिहास और गुरुद्वारे श्री गुरु सिंह सभा के स्थापित होने की कहानी कहती तस्वीरे लगी हुई है। चारों तरफ इस गुरुद्वारे का वो सुनहरा इतिहास है जो इस गुरुद्वारे को सबसे खास बनाता है। गुरुद्वारे के नए हॉल में 3000 लोग एक साथ बैठ सकते है तो वहीं इसमें एक बड़ी सी गैलरी बनी है जहां लोग पूजा कर सकते है। इसके अलावा यहां मल्टी एक्टिविटी हॉल बनाया गया है, जिसमें शादी-विवाह, या फिर अन्य सिख पर्व का आयोजन किया जाता है। इसके लंगर में सातों दिन मुफ्त खाना मिलता है जिसमें हफ्ते में 20 हजार लोग खाना खाते है।
साउथहॉल जाने वाले लोगो का कहना है कि वहां जाकर ये एहसास ही नहीं होता है कि वो विदेश में है। साउथहॉल के बाजार हो, या फिर घर पूरी तरह से पंजाब की याद दिलाता है। यहां आपको भारतीय वंयजनों की भरमार मिल जायेगी। यहां पर आपको अधिकतर हिंदी भाषी लोग मिलेंगे, तो जिन लोगो की इंग्लिंग बेहतर नहीं है वो लोग साउथहॉल आ सकते है, यहां उन्हें पूरा अपनापन महसूस होगा।