Chamar community Population: भारतीय उपमहाद्वीप में चमार जाति एक प्रमुख दलित समुदाय के रूप में जानी जाती है। दलित का अर्थ है वे लोग जिन्हें सामाजिक रूप से दबाया, प्रताड़ित या शोषित किया गया हो। ऐतिहासिक रूप से चमार जाति को जातिगत भेदभाव, छुआछूत और सामाजिक अन्याय का सामना करना पड़ा है। इसलिए आधुनिक भारत में सकारात्मक भेदभाव की नीति के तहत चमारों को अनुसूचित जाति की श्रेणी में रखा गया है, जिससे उन्हें शिक्षा, रोजगार और सामाजिक कल्याण योजनाओं में विशेष लाभ मिलते हैं। आज हम चमार जाति के इतिहास, जनसंख्या, सामाजिक स्थिति, और उनकी प्रमुख उपलब्धियों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
चमार शब्द की उत्पत्ति और इतिहास- Chamar community Population
चमार शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के ‘चर्मकार’ शब्द से हुई है, जिसका अर्थ होता है चमड़ा बनाने वाला। पारंपरिक रूप से चमार जाति के लोग चमड़े के काम से जुड़े रहे हैं। हालांकि कुछ अंग्रेज इतिहासकारों ने चमारों के अफ्रीकी मूल होने का दावा किया है, पर अधिकांश विद्वान इस बात से सहमत नहीं हैं और मानते हैं कि चमार भारतीय समाज के आदिकाल से ही एक स्थायी समुदाय हैं।
कुछ विद्वानों, जैसे डॉ. विजय सोनकर शास्त्री, ने अपनी पुस्तक हिंदू चर्मकार जाति: एक स्वर्णिम गौरवशाली राजवंशीय इतिहास में दावा किया है कि चमार समुदाय चंवरवंश के क्षत्रिय थे, जिनका संबंध राजा चंवरसेन और मेवाड़ के शासकों से था।
वहीं, विदेशी आक्रमणकारियों के आने से पहले भारत में मुस्लिम, सिख और दलित जैसी जातियां नहीं थीं। यह समुदाय समय के साथ निम्न जातियों में शामिल हो गया। हालांकि यह शोध विषय है और ऐतिहासिक ग्रंथों में इसका स्पष्ट उल्लेख नहीं मिलता।
चमार जाति की जनसंख्या और वितरण
भारत में चमार समुदाय की जनसंख्या का सटीक आकलन करना चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि 2011 की जनगणना के बाद भारत में कोई नई राष्ट्रीय जनगणना नहीं हुई है। विभिन्न स्रोतों के आधार पर, चमार समुदाय की अनुमानित जनसंख्या 5-9 करोड़ के बीच मानी जाती है। Encyclopedia.com के अनुसार, चमार समुदाय की जनसंख्या 9 करोड़ तक हो सकती है, जबकि अन्य स्रोत इसे 5-6 करोड़ के बीच बताते हैं।
- उत्तर प्रदेश: वहीं, चमार समुदाय की सबसे बड़ी आबादी उत्तर प्रदेश में है। 2011 की जनगणना के अनुसार, यहां चमार समुदाय की जनसंख्या लगभग 2.24 करोड़ थी, जो राज्य की कुल जनसंख्या का 12.6% है। वृद्धि दर को ध्यान में रखते हुए, यह संख्या अब 2.9 करोड़ तक पहुंच सकती है।
- पंजाब: पंजाब में चमार समुदाय की आबादी 2011 की जनगणना के अनुसार 12% थी।
- अन्य राज्य: चमार समुदाय की उल्लेखनीय उपस्थिति मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में है।
इतना ही नहीं, चमार समुदाय में कई उप-जातियां शामिल हैं, जैसे जाटव, जो दिल्ली और हरियाणा में प्रमुख हैं। जाटव को चमार समुदाय की एक उप-जाति माना जाता है।
धार्मिक विश्वास और सामाजिक जीवन
भारत और नेपाल में अधिकांश चमार हिंदू धर्म के अनुयायी हैं, जबकि पंजाब के रामदासिया और रवीदासिया उपसमूह गुरु रविदास की शिक्षाओं का पालन करते हैं। पाकिस्तान में चमार समुदाय के अधिकांश सदस्य इस्लाम धर्म का अनुसरण करते हैं।
पेशे और आर्थिक स्थिति
परंपरागत रूप से चमार जाति चमड़े के काम से जुड़ी थी, जैसे चमड़े की वस्तुओं का निर्माण और मरम्मत। कुछ चमारों ने कपड़ा बुनाई जैसे काम भी अपनाए हैं। हालांकि इतिहासकार रामनारायण रावत का मानना है कि ऐतिहासिक रूप से चमार कृषक भी थे। आज का चमार समाज कृषि, शिक्षा, खेल, साहित्य, प्रशासन, व्यवसाय, चिकित्सा और राजनीति समेत कई क्षेत्रों में सक्रिय है और सफलता प्राप्त कर रहा है।
चमार शब्द का संवेदनशीलता
चमार शब्द का उपयोग सामाजिक तौर पर अक्सर अपमानजनक तरीके से किया जाता है। इसलिए भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने इसे जातिवाद से जुड़ी गाली माना है। अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम, 1989 के तहत इस शब्द का अपमानजनक उपयोग करने पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है। इसलिए इसका प्रयोग सावधानी से करना चाहिए।
गौरवशाली चमार रेजीमेंट
चमार रेजीमेंट का गठन 1 मार्च 1943 को ब्रिटिश काल में हुआ था। यह रेजीमेंट जापानी सेना से मुकाबला करने के लिए बनाई गई थी। हालांकि, इस रेजीमेंट ने ब्रिटिश सेना के बजाय नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज का साथ दिया। इसके कारण ब्रिटिश सरकार ने 1946 में इस रेजीमेंट को बंद कर दिया। 2011 के बाद दलित समुदाय और राजनेताओं ने इस रेजीमेंट को पुनर्जीवित करने की मांग की है।
प्रमुख व्यक्तित्व
चमार समुदाय ने सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
- संत रविदास – मोची जाति से थे, जिन्होंने भक्ति आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी शिक्षाएं आज भी लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।
- बाबू जगजीवन राम – भारत के पहले दलित उपप्रधानमंत्री और बड़े राजनेता, जिन्होंने दलितों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया।
- कांशीराम – बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक, जिन्होंने दलितों और पिछड़ों की राजनीति को मजबूत किया।
- मीरा कुमार – बाबू जगजीवन राम की पुत्री, जो लोकसभा अध्यक्ष और सांसद रह चुकी हैं।
- मायावती – उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष।
आर्थिक स्थिति
चमार समुदाय की आर्थिक स्थिति की बात करें तो अन्य समुदायों की तुलना में कमजोर रही है। एक अध्ययन के अनुसार, अनुसूचित जातियों के पास देश की कुल संपत्ति का केवल 7.6% हिस्सा है। हालांकि, शिक्षा और रोजगार के नए अवसरों के साथ, समुदाय के कई लोग अब विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, चमार समुदाय से 20 से अधिक IAS अधिकारी बन चुके हैं।