5 Gurudwaras of Canada: जब भी बात कनाडा की होती है, तो एक बात अक्सर सामने आती है वहां की मल्टीकल्चरल सोसाइटी। अलग-अलग देशों, धर्मों और भाषाओं के लोग वहां मिल-जुलकर रहते हैं। इन्हीं में एक मजबूत पहचान है सिख समुदाय की, जो अब से नहीं, बल्कि सौ साल से ज्यादा वक्त से कनाडा की संस्कृति में अहम भूमिका निभा रहा है। सिखों ने न सिर्फ कनाडा में मेहनत से काम किया, बल्कि अपने धर्म और परंपराओं को भी सहेज कर रखा, और उसी का उदाहरण हैं वहां के पुराने गुरुद्वारे, जो आज भी उतने ही सक्रिय हैं जितने अपने शुरुआती दिनों में थे।
यहां हम बात कर रहे हैं कनाडा के कुछ सबसे पुराने गुरुद्वारों की, जिनकी नींव 1970–80 के दशक में रखी गई थी, और जो आज भी हजारों लोगों की आस्था, सेवा और एकता का केंद्र बने हुए हैं।
गुरु नानक सिख सेंटर, डेल्टा (Guru Nanak Sikh Centre, Delta)
ब्रिटिश कोलंबिया के डेल्टा में बसा ये गुरुद्वारा 1982 में बना था और आज भी एक्टिव है। यह गुरुद्वारा यह इंटरफेथ डायलॉग और कम्युनिटी इंगेजमेंट पर ज़ोर देता है। यहां सिर्फ सिख ही नहीं, दूसरे धर्मों के लोग भी आते हैं और मिल-जुलकर काम करते हैं। आज यह सेंटर ग्रेटर वैंकूवर इलाके के सिखों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सामाजिक स्थान बन चुका है।
गुरु नानक सिख गुरुद्वारा, सरे (Guru Nanak Sikh Gurdwara, Surrey, BC)
क्या आपको पता है कि यह गुरुद्वारा 1902 में बना था, और इसे नॉर्थ अमेरिका के सबसे पुराने गुरुद्वारों में गिना जाता है? जी हां, सरे में स्थित यह गुरुद्वारा आज भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना तब था जब यहां की सड़कों पर पगड़ी पहने लोगों को देखकर लोग चौंक जाया करते थे। ये सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं है ये एक कम्युनिटी सेंटर, एक सांस्कृतिक मंच और एक सेवा स्थल है।
यहां हर दिन सैकड़ों लोग आते हैं, अरदास करते हैं, लंगर करते हैं और एक-दूसरे से जुड़ते हैं। गुरु नानक देव जी को समर्पित इस गुरुद्वारे ने कनाडा में सिख धर्म की नींव रखने में बड़ी भूमिका निभाई है।
गुर सिख टेम्पल, एबॉट्सफ़ोर्ड (Gur Sikh Temple, Abbotsford, BC)
इस गुरुद्वारे को अक्सर “Central Gurdwara” भी कहा जाता है। 1911 में बना यह गुरुद्वारा आज भी खड़ा है, और कनाडा में सिखों के योगदान की इतिहासिक गवाही देता है।
यह स्थान न सिर्फ धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि इसका सांस्कृतिक और ऐतिहासिक मूल्य भी बहुत बड़ा है। कनाडा के सिख इतिहास में यह एक ऐसा गुरुद्वारा है जो बताता है कि कैसे शुरुआती सिखों ने चुनौतियों का सामना करते हुए अपनी आस्था और परंपरा को ज़िंदा रखा।
रॉस स्ट्रीट गुरुद्वारा, वैंकूवर (Ross Street Gurdwara, Vancouver, BC)
वैंकूवर का यह गुरुद्वारा भी 1912 में स्थापित किया गया था और यह एक सदी से ज्यादा वक्त से स्थानीय सिख समुदाय का आध्यात्मिक केंद्र बना हुआ है। यहां ना सिर्फ धार्मिक आयोजन होते हैं, बल्कि यह गुरुद्वारा सामाजिक मुद्दों पर भी आवाज उठाता है।
समय के साथ, यह जगह एक ऐसा पिलर बन गई है जहां आस्था, एकता और सेवा एक साथ चलती हैं। आज भी यहां हज़ारों लोग हफ्ते भर में आते हैं, और खास आयोजनों के दौरान तो देश-विदेश से संगत उमड़ पड़ती है।
खालसा दीवान सोसाइटी गुरुद्वारा, विक्टोरिया (Khalsa Diwan Society Gurdwara, Victoria, BC)
अब ज़रा सोचिए, जब विक्टोरिया जैसे शांत और खूबसूरत शहर में 1912 में यह गुरुद्वारा बना, तब वहां कितने सिख होंगे? बहुत ही कम! फिर भी, उन्होंने मिलकर कनाडा का यह गुरुद्वारा खड़ा किया।
यह गुरुद्वारा आज भी सिखों की पहली पीढ़ी के संघर्षों और आत्म-विश्वास की निशानी है। इसकी इमारत को देखकर आज भी वो पुराना दौर याद आता है जब सीमित साधनों में भी लोगों ने अपनी पहचान को जिंदा रखा।
विरासत जो आज भी जिंदा है
कनाडा में बसे ये गुरुद्वारे सिर्फ पूजा के स्थान नहीं हैं, ये संघर्ष, सेवा, आस्था और कम्युनिटी भावना की जीती-जागती मिसाल हैं।
1902 में बना Guru Nanak Sikh Gurdwara (Surrey) हो या 1912 में स्थापित Ross Street Gurdwara (Vancouver) इन सबने कनाडा में सिखों की मौजूदगी को सिर्फ दर्ज नहीं किया, बल्कि एक मजबूत पहचान भी दी।
आज की तारीख में, जब सिख समुदाय कनाडा की राजनीति, बिजनेस, एजुकेशन और पब्लिक सर्विस में बड़ी भूमिका निभा रहा है, तो हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि इसकी शुरुआत उन्हीं पुराने गुरुद्वारों से हुई थी, जहां पहली बार “सत श्री अकाल” की गूंज सुनाई दी थी।
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